Hebrews (2/13)  

1. इस लिए लाज़िम है कि हम और ज़ियादा ध्यान से कलाम-ए-मुक़द्दस की उन बातों पर ग़ौर करें जो हम ने सुन ली हैं। ऐसा न हो कि हम समुन्दर पर बेकाबू कश्ती की तरह बेमक़्सद इधर उधर फिरें।
2. जो कलाम फ़रिश्तों ने इन्सान तक पहुँचाया वह तो अनमिट रहा, और जिस से भी कोई ख़ता या नाफ़रमानी हुई उसे उस की मुनासिब सज़ा मिली।
3. तो फिर हम किस तरह अल्लाह के ग़ज़ब से बच सकेंगे अगर हम मसीह की इतनी अज़ीम नजात को नज़रअन्दाज़ करें? पहले ख़ुदावन्द ने ख़ुद इस नजात का एलान किया, और फिर ऐसे लोगों ने हमारे पास आ कर इस की तस्दीक़ की जिन्हों ने उसे सुन लिया था।
4. साथ साथ अल्लाह ने इस बात की इस तरह तस्दीक़ भी की कि उस ने अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ इलाही निशान, मोजिज़े और मुख़्तलिफ़ क़िस्म के ज़ोरदार काम दिखाए और रूह-उल-क़ुद्स की नेमतें लोगों में तक़्सीम कीं।
5. अब ऐसा है कि अल्लाह ने मज़्कूरा आने वाली दुनिया को फ़रिश्तों के ताबे नहीं किया।
6. क्यूँकि कलाम-ए-मुक़द्दस में किसी ने कहीं यह गवाही दी है, “इन्सान कौन है कि तू उसे याद करे या आदमज़ाद कि तू उस का ख़याल रखे?
7. तू ने उसे थोड़ी देर के लिए फ़रिश्तों से कम कर दिया, तू ने उसे जलाल और इज़्ज़त का ताज पहना कर
8. सब कुछ उस के पाँओ के नीचे कर दिया।” जब लिखा है कि सब कुछ उस के पाँओ तले कर दिया गया तो इस का मतलब है कि कोई चीज़ न रही जो उस के ताबे नहीं है। बेशक हमें हाल में यह बात नज़र नहीं आती कि सब कुछ उस के ताबे है,
9. लेकिन हम उसे ज़रूर देखते हैं जो “थोड़ी देर के लिए फ़रिश्तों से कम” था यानी ईसा को जिसे उस की मौत तक के दुख की वजह से “जलाल और इज़्ज़त का ताज” पहनाया गया है। हाँ, अल्लाह के फ़ज़्ल से उस ने सब की ख़ातिर मौत बर्दाश्त की।
10. क्यूँकि यही मुनासिब था कि अल्लाह जिस के लिए और जिस के वसीले से सब कुछ है यूँ बहुत से बेटों को अपने जलाल में शरीक करे कि वह उन की नजात के बानी ईसा को दुख उठाने से कामिलियत तक पहुँचाए।
11. ईसा और वह जिन्हें वह मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस कर देता है दोनों का एक ही बाप है। यही वजह है कि ईसा यह कहने से नहीं शर्माता कि मुक़द्दसीन मेरे भाई हैं।
12. मसलन वह अल्लाह से कहता है, “मैं अपने भाइयों के सामने तेरे नाम का एलान करूँगा, जमाअत के दर्मियान ही तेरी मद्हसराई करूँगा।”
13. वह यह भी कहता है, “मैं उस पर भरोसा रखूँगा।” और फिर “मैं हाज़िर हूँ, मैं और वह बच्चे जो अल्लाह ने मुझे दिए हैं।”
14. अब चूँकि यह बच्चे गोश्त-पोस्त और ख़ून के इन्सान हैं इस लिए ईसा ख़ुद उन की मानिन्द बन गया और उन की इन्सानी फ़ित्रत में शरीक हुआ। क्यूँकि इस तरह ही वह अपनी मौत से मौत के मालिक इब्लीस को तबाह कर सका,
15. और इस तरह ही वह उन्हें छुड़ा सका जो मौत से डरने की वजह से ज़िन्दगी भर ग़ुलामी में थे।
16. ज़ाहिर है कि जिन की मदद वह करता है वह फ़रिश्ते नहीं हैं बल्कि इब्राहीम की औलाद।
17. इस लिए लाज़िम था कि वह हर लिहाज़ से अपने भाइयों की मानिन्द बन जाए। सिर्फ़ इस से उस का यह मक़्सद पूरा हो सका कि वह अल्लाह के हुज़ूर एक रहीम और वफ़ादार इमाम-ए-आज़म बन कर लोगों के गुनाहों का कफ़्फ़ारा दे सके।
18. और अब वह उन की मदद कर सकता है जो आज़्माइश में उलझे हुए हैं, क्यूँकि उस की भी आज़्माइश हुई और उस ने ख़ुद दुख उठाया है।

  Hebrews (2/13)