Habakkuk (2/3)  

1. अब मैं पहरा देने के लिए अपनी बुर्जी पर चढ़ जाऊँगा, क़िलए की ऊँची जगह पर खड़ा हो कर चारों तरफ़ देखता रहूँगा। क्यूँकि मैं जानना चाहता हूँ कि अल्लाह मुझे क्या कुछ बताएगा, कि वह मेरी शिकायत का क्या जवाब देगा।
2. रब्ब ने मुझे जवाब दिया, “जो कुछ तू ने रोया में देखा है उसे तख़्तों पर यूँ लिख दे कि हर गुज़रने वाला उसे रवानी से पढ़ सके।
3. क्यूँकि वह फ़ौरन पूरी नहीं हो जाएगी बल्कि मुक़र्ररा वक़्त पर आख़िरकार ज़ाहिर होगी, वह झूटी साबित नहीं होगी। गो देर भी लगे तो भी सब्र कर। क्यूँकि आने वाला पहुँचेगा, वह देर नहीं करेगा।
4. मग़रूर आदमी फूला हुआ है और अन्दर से सीधी राह पर नहीं चलता। लेकिन रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा।
5. यक़ीनन मै एक बेवफ़ा साथी है। मग़रूर शख़्स जीता नहीं रहेगा, गो वह अपने मुँह को पाताल की तरह खुला रखता और उस की भूक मौत की तरह कभी नहीं मिटती, वह तमाम अक़्वाम और उम्मतें अपने पास जमा करता है।
6. लेकिन यह सब उस का मज़ाक़ उड़ा कर उसे लान-तान करेंगी। वह कहेंगी, ‘उस पर अफ़्सोस जो दूसरों की चीज़ें छीन कर अपनी मिल्कियत में इज़ाफ़ा करता है, जो क़र्ज़दारों की ज़मानत पर क़ब्ज़ा करने से दौलतमन्द हो गया है। यह कार-रवाई कब तक जारी रहेगी?’
7. क्यूँकि अचानक ही ऐसे लोग उठेंगे जो तुझे काटेंगे, ऐसे लोग जाग उठेंगे जिन के सामने तू थरथराने लगेगा। तब तू ख़ुद उन का शिकार बन जाएगा।
8. चूँकि तू ने दीगर मुतअद्दिद अक़्वाम को लूट लिया है इस लिए अब बची हुई उम्मतें तुझे ही लूट लेंगी। क्यूँकि तुझ से क़त्ल-ओ-ग़ारत सरज़द हुई है, तू ने दीहात और शहर पर उन के बाशिन्दों समेत शदीद ज़ुल्म किया है।
9. उस पर अफ़्सोस जो नाजाइज़ नफ़ा कमा कर अपने घर पर आफ़त लाता है, हालाँकि वह आफ़त से बचने के लिए अपना घोंसला बुलन्दियों पर बना लेता है।
10. तेरे मन्सूबों से मुतअद्दिद क़ौमें तबाह हुई हैं, लेकिन यह तेरे ही घराने के लिए शर्म का बाइस बन गया है। इस गुनाह से तू अपने आप पर मौत की सज़ा लाया है।
11. यक़ीनन दीवारों के पत्थर चीख़ कर इल्तिजा करेंगे और लकड़ी के शहतीर जवाब में आह-ओ-ज़ारी करेंगे।
12. उस पर अफ़्सोस जो शहर को क़त्ल-ओ-ग़ारत के ज़रीए तामीर करता, जो आबादी को नाइन्साफ़ी की बुन्याद पर क़ाइम करता है।
13. रब्ब-उल-अफ़्वाज ने मुक़र्रर किया है कि जो कुछ क़ौमों ने बड़ी मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया उसे नज़र-ए-आतिश होना है, जो कुछ पाने के लिए उम्मतें थक जाती हैं वह बेकार ही है।
14. क्यूँकि जिस तरह समुन्दर पानी से भरा हुआ है, उसी तरह दुनिया एक दिन रब्ब के जलाल के इर्फ़ान से भर जाएगी।
15. उस पर अफ़्सोस जो अपना पियाला ज़हरीली शराब से भर कर उसे अपने पड़ोसियों को पिला देता है ताकि उन्हें नशे में ला कर उन की बरहनगी से लुत्फ़अन्दोज़ हो जाए।
16. लेकिन अब तेरी बारी भी आ गई है! तेरी शान-ओ-शौकत ख़त्म हो जाएगी, और तेरा मुँह काला हो जाएगा। अब ख़ुद पी ले! नशे में आ कर अपने कपड़े उतार ले। ग़ज़ब का जो पियाला रब्ब के दहने हाथ में है वह तेरे पास भी पहुँचेगा। तब तेरी इतनी रुस्वाई हो जाएगी कि तेरी शान का नाम-ओ-निशान तक नहीं रहेगा।
17. जो ज़ुल्म तू ने लुब्नान पर किया वह तुझ पर ही ग़ालिब आएगा, जिन जानवरों को तू ने वहाँ तबाह किया उन की दह्शत तुझ ही पर तारी हो जाएगी। क्यूँकि तुझ से क़त्ल-ओ-ग़ारत सरज़द हुई है, तू ने दीहात और शहरों पर उन के बाशिन्दों समेत शदीद ज़ुल्म किया है।
18. बुत का क्या फ़ाइदा? आख़िर किसी माहिर कारीगर ने उसे तराशा या ढाल लिया है, और वह झूट ही झूट की हिदायात देता है। कारीगर अपने हाथों के बुत पर भरोसा रखता है, हालाँकि वह बोल भी नहीं सकता!
19. उस पर अफ़्सोस जो लकड़ी से कहता है, ‘जाग उठ!’ और ख़ामोश पत्थर से, ‘खड़ा हो जा!’ क्या यह चीज़ें हिदायत दे सकती हैं? हरगिज़ नहीं! उन में जान ही नहीं, ख़्वाह उन पर सोना या चाँदी क्यूँ न चढ़ाई गई हो।
20. लेकिन रब्ब अपने मुक़द्दस घर में मौजूद है। उस के हुज़ूर पूरी दुनिया ख़ामोश रहे।”

  Habakkuk (2/3)