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1. | दुनिया में लोगों की तादाद बढ़ने लगी। उन के हाँ बेटियाँ पैदा हुईं। |
2. | तब आस्मानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इन्सान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्हों ने उन में से कुछ चुन कर उन से शादी की। |
3. | फिर रब्ब ने कहा, “मेरी रूह हमेशा के लिए इन्सान में न रहे क्यूँकि वह फ़ानी मख़्लूक़ है। अब से वह 120 साल से ज़ियादा ज़िन्दा नहीं रहेगा।” |
4. | उन दिनों में और बाद में भी दुनिया में देओ थे जो इन्सानी औरतों और उन आस्मानी हस्तियों की शादियों से पैदा हुए थे। यह देओ क़दीम ज़माने के मश्हूर सूर्मा थे। |
5. | रब्ब ने देखा कि इन्सान निहायत बिगड़ गया है, कि उस के तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ माइल रहते हैं। |
6. | वह पछताया कि मैं ने इन्सान को बना कर दुनिया में रख दिया है, और उसे सख़्त दुख हुआ। |
7. | उस ने कहा, “गो मैं ही ने इन्सान को ख़लक़ किया मैं उसे रू-ए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर चलने फिरने और रेंगने वाले जानवरों और हवा के परिन्दों को भी हलाक कर दूँगा, क्यूँकि मैं पछताता हूँ कि मैं ने उन को बनाया।” |
8. | सिर्फ़ नूह पर रब्ब की नज़र-ए-करम थी। |
9. | यह उस की ज़िन्दगी का बयान है। नूह रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगों में सिर्फ़ वही बेक़ुसूर था। वह अल्लाह के साथ साथ चलता था। |
10. | नूह के तीन बेटे थे, सिम, हाम और याफ़त। |
11. | लेकिन दुनिया अल्लाह की नज़र में बिगड़ी हुई और ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद से भरी हुई थी। |
12. | जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्यूँकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रविश को बिगाड़ दिया था। |
13. | तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैं ने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्यूँकि उन के सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उन को ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा। |
14. | अब अपने लिए सर्व की लकड़ी की कश्ती बना ले। उस में कमरे हों और उसे अन्दर और बाहर तारकोल लगा। |
15. | उस की लम्बाई 450 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट हो। |
16. | कश्ती की छत को यूँ बनाना कि उस के नीचे 18 इंच खुला रहे। एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन मन्ज़िलें हों। |
17. | मैं पानी का इतना बड़ा सैलाब लाऊँगा कि वह ज़मीन के तमाम जानदारों को हलाक कर डालेगा। ज़मीन पर सब कुछ फ़ना हो जाएगा। |
18. | लेकिन तेरे साथ मैं अह्द बाँधूँगा जिस के तहत तू अपने बेटों, अपनी बीवी और बहूओं के साथ कश्ती में जाएगा। |
19. | हर क़िस्म के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने साथ कश्ती में ले जाना ताकि वह तेरे साथ जीते बचें। |
20. | हर क़िस्म के पर रखने वाले जानवर और हर क़िस्म के ज़मीन पर फिरने या रेंगने वाले जानवर दो दो हो कर तेरे पास आएँगे ताकि जीते बच जाएँ। |
21. | जो भी ख़ुराक दरकार है उसे अपने और उन के लिए जमा करके कश्ती में मह्फ़ूज़ कर लेना।” |
22. | नूह ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा अल्लाह ने उसे बताया। |
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