← Genesis (4/50) → |
1. | आदम हव्वा से हमबिसतर हुआ तो उन का पहला बेटा क़ाबील पैदा हुआ। हव्वा ने कहा, “रब्ब की मदद से मैं ने एक मर्द हासिल किया है।” |
2. | बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बक्रियों का चरवाहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा। |
3. | कुछ देर के बाद क़ाबील ने रब्ब को अपनी फ़सलों में से कुछ पेश किया। |
4. | हाबील ने भी नज़राना पेश किया, लेकिन उस ने अपनी भेड़-बक्रियों के कुछ पहलौठे उन की चर्बी समेत चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब्ब को पसन्द आया, |
5. | मगर क़ाबील का नज़राना मन्ज़ूर न हुआ। यह देख कर क़ाबील बड़े ग़ुस्से में आ गया, और उस का मुँह बिगड़ गया। |
6. | रब्ब ने पूछा, “तू ग़ुस्से में क्यूँ आ गया है? तेरा मुँह क्यूँ लटका हुआ है? |
7. | क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठा कर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।” |
8. | एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में चलें।” और जब वह खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हम्ला करके उसे मार डाला। |
9. | तब रब्ब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?” |
10. | रब्ब ने कहा, “तू ने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ून ज़मीन में से पुकार कर मुझ से फ़र्याद कर रहा है। |
11. | इस लिए तुझ पर लानत है और ज़मीन ने तुझे रद्द किया है, क्यूँकि ज़मीन को मुँह खोल कर तेरे हाथ से क़त्ल किए हुए भाई का ख़ून पीना पड़ा। |
12. | अब से जब तू खेतीबाड़ी करेगा तो ज़मीन अपनी पैदावार देने से इन्कार करेगी। तू मफ़रूर हो कर मारा मारा फिरेगा।” |
13. | क़ाबील ने कहा, “मेरी सज़ा निहायत सख़्त है। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा। |
14. | आज तू मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़ूर से भी छुप जाना है। मैं मफ़रूर की हैसियत से मारा मारा फिरता रहूँगा, इस लिए जिस को भी पता चलेगा कि मैं कहाँ हूँ वह मुझे क़त्ल कर डालेगा।” |
15. | लेकिन रब्ब ने उस से कहा, “हरगिज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे उस से सात गुना बदला लिया जाएगा।” फिर रब्ब ने उस पर एक निशान लगाया ताकि जो भी क़ाबील को देखे वह उसे क़त्ल न कर दे। |
16. | इस के बाद क़ाबील रब्ब के हुज़ूर से चला गया और अदन के मशरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा। |
17. | क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिस का नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उस का नाम हनूक रखा। |
18. | हनूक का बेटा ईराद था, ईराद का बेटा महूयाएल, महूयाएल का बेटा मतूसाएल और मतूसाएल का बेटा लमक था। |
19. | लमक मतूसाएल की दो बीवियाँ थीं, अदा और ज़िल्ला। |
20. | अदा का बेटा याबल था। उस की नसल के लोग ख़ैमों में रहते और मवेशी पालते थे। |
21. | याबल का भाई यूबल था। उस की नसल के लोग सरोद और बाँसरी बजाते थे। |
22. | ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिस का नाम तूबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते थे। तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था। |
23. | एक दिन लमक ने अपनी बीवियों से कहा, “अदा और ज़िल्ला, मेरी बात सुनो! लमक की बीवियो, मेरे अल्फ़ाज़ पर ग़ौर करो! |
24. | एक आदमी ने मुझे ज़ख़्मी किया तो मैं ने उसे मार डाला। एक लड़के ने मेरे चोट लगाई तो मैं ने उसे क़त्ल कर दिया। जो क़ाबील को क़त्ल करे उस से सात गुना बदला लिया जाएगा, लेकिन जो लमक को क़त्ल करे उस से सतत्तर गुना बदला लिया जाएगा।” |
25. | आदम और हव्वा का एक और बेटा पैदा हुआ। हव्वा ने उस का नाम सेत रख कर कहा, “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह जिसे क़ाबील ने क़त्ल किया एक और बेटा बख़्शा है।” |
26. | सेत के हाँ भी बेटा पैदा हुआ। उस ने उस का नाम अनूस रखा। उन दिनों में लोग रब्ब का नाम ले कर इबादत करने लगे। |
← Genesis (4/50) → |