Genesis (11/50)  

1. उस वक़्त तक पूरी दुनिया के लोग एक ही ज़बान बोलते थे।
2. मशरिक़ की तरफ़ बढ़ते बढ़ते वह सिनआर के एक मैदान में पहुँच कर वहाँ आबाद हुए।
3. तब वह एक दूसरे से कहने लगे, “आओ, हम मिट्टी से ईंटें बना कर उन्हें आग में ख़ूब पकाएँ।” उन्हों ने तामीरी काम के लिए पत्थर की जगह ईंटें और मसाले की जगह तारकोल इस्तेमाल किया।
4. फिर वह कहने लगे, “आओ, हम अपने लिए शहर बना लें जिस में ऐसा बुर्ज हो जो आस्मान तक पहुँच जाए फिर हमारा नाम क़ाइम रहेगा और हम रू-ए-ज़मीन पर बिखर जाने से बच जाएँगे।”
5. लेकिन रब्ब उस शहर और बुर्ज को देखने के लिए उतर आया जिसे लोग बना रहे थे।
6. रब्ब ने कहा, “यह लोग एक ही क़ौम हैं और एक ही ज़बान बोलते हैं। और यह सिर्फ़ उस का आग़ाज़ है जो वह करना चाहते हैं। अब से जो भी वह मिल कर करना चाहेंगे उस से उन्हें रोका नहीं जा सकेगा।
7. इस लिए आओ, हम दुनिया में उतर कर उन की ज़बान को दर्हम-बर्हम कर दें ताकि वह एक दूसरे की बात समझ न पाएँ।”
8. इस तरीक़े से रब्ब ने उन्हें तमाम रू-ए-ज़मीन पर मुन्तशिर कर दिया, और शहर की तामीर रुक गई।
9. इस लिए शहर का नाम बाबल यानी अब्तरी ठहरा, क्यूँकि रब्ब ने वहाँ तमाम लोगों की ज़बान को दर्हम-बर्हम करके उन्हें तमाम रू-ए-ज़मीन पर मुन्तशिर कर दिया।
10. यह सिम का नसबनामा है : सिम 100 साल का था जब उस का बेटा अर्फ़क्सद पैदा हुआ। यह सैलाब के दो साल बाद हुआ।
11. इस के बाद वह मज़ीद 500 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
12. अर्फ़क्सद 35 साल का था जब सिलह पैदा हुआ।
13. इस के बाद वह मज़ीद 403 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
14. सिलह 30 साल का था जब इबर पैदा हुआ।
15. इस के बाद वह मज़ीद 403 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
16. इबर 34 साल का था जब फ़लज पैदा हुआ।
17. इस के बाद वह मज़ीद 430 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
18. फ़लज 30 साल का था जब रऊ पैदा हुआ।
19. इस के बाद वह मज़ीद 209 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
20. रऊ 32 साल का था जब सरूज पैदा हुआ।
21. इस के बाद वह मज़ीद 207 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
22. सरूज 30 साल का था जब नहूर पैदा हुआ।
23. इस के बाद वह मज़ीद 200 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
24. नहूर 29 साल का था जब तारह पैदा हुआ।
25. इस के बाद वह मज़ीद 119 साल ज़िन्दा रहा। उस के और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
26. तारह 70 साल का था जब उस के बेटे अब्राम, नहूर और हारान पैदा हुए।
27. यह तारह का नसबनामा है : अब्राम, नहूर और हारान तारह के बेटे थे। लूत हारान का बेटा था।
28. अपने बाप तारह की ज़िन्दगी में ही हारान कस्दियों के ऊर में इन्तिक़ाल कर गया जहाँ वह पैदा भी हुआ था।
29. बाक़ी दोनों बेटों की शादी हुई। अब्राम की बीवी का नाम सारय था और नहूर की बीवी का नाम मिल्काह। मिल्काह हारान की बेटी थी, और उस की एक बहन बनाम इस्का थी।
30. सारय बाँझ थी, इस लिए उस के बच्चे नहीं थे।
31. तारह कस्दियों के ऊर से रवाना हो कर मुल्क-ए-कनआन की तरफ़ सफ़र करने लगा। उस के साथ उस का बेटा अब्राम, उस का पोता लूत यानी हारान का बेटा और उस की बहू सारय थे। जब वह हारान पहुँचे तो वहाँ आबाद हो गए।
32. तारह 205 साल का था जब उस ने हारान में वफ़ात पाई।

  Genesis (11/50)