Ezra (8/10)  

1. दर्ज-ए-ज़ैल उन ख़ान्दानी सरपरस्तों की फ़हरिस्त है जो अर्तख़्शस्ता बादशाह की हुकूमत के दौरान मेरे साथ बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुए। हर ख़ान्दान के मर्दों की तादाद भी दर्ज है :
2. फ़ीन्हास के ख़ान्दान का जैर्सोम, इतमर के ख़ान्दान का दान्याल, दाऊद के ख़ान्दान का हत्तूश बिन सकनियाह, परऊस के ख़ान्दान का ज़करियाह। 150 मर्द उस के साथ नसबनामे में दर्ज थे।
3. फ़ीन्हास के ख़ान्दान का जैर्सोम, इतमर के ख़ान्दान का दान्याल, दाऊद के ख़ान्दान का हत्तूश बिन सकनियाह, परऊस के ख़ान्दान का ज़करियाह। 150 मर्द उस के साथ नसबनामे में दर्ज थे।
4. पख़त-मोआब के ख़ान्दान का इलीहूऐनी बिन ज़रख़ियाह 200 मर्दों के साथ,
5. ज़त्तू के ख़ान्दान का सकनियाह बिन यहज़ीएल 300 मर्दों के साथ,
6. अदीन के ख़ान्दान का अबद बिन यूनतन 50 मर्दों के साथ,
7. ऐलाम के ख़ान्दान का यसायाह बिन अतलियाह 70 मर्दों के साथ,
8. सफ़तियाह के ख़ान्दान का ज़बदियाह बिन मीकाएल 80 मर्दों के साथ,
9. योआब के ख़ान्दान का अबदियाह बिन यहीएल 218 मर्दों के साथ,
10. बानी के ख़ान्दान का सलूमीत बिन यूसिफ़याह 160 मर्दों के साथ,
11. बबी के ख़ान्दान का ज़करियाह बिन बबी 28 मर्दों के साथ,
12. अज़्जाद के ख़ान्दान का यूहनान बिन हक़्क़ातान 110 मर्दों के साथ,
13. अदूनिक़ाम के ख़ान्दान के आख़िरी लोग इलीफ़लत, यईएल और समायाह 60 मर्दों के साथ,
14. बिग्वई का ख़ान्दान का ऊती और ज़बूद 70 मर्दों के साथ।
15. मैं यानी अज़्रा ने मज़्कूरा लोगों को उस नहर के पास जमा किया जो अहावा की तरफ़ बहती है। वहाँ हम ख़ैमे लगा कर तीन दिन ठहरे रहे। इस दौरान मुझे पता चला कि गो आम लोग और इमाम आ गए हैं लेकिन एक भी लावी हाज़िर नहीं है।
16. चुनाँचे मैं ने इलीअज़र, अरीएल, समायाह, इल्नातन, यरीब, इल्नातन, नातन, ज़करियाह और मसुल्लाम को अपने पास बुला लिया। यह सब ख़ान्दानी सरपरस्त थे जबकि शरीअत के दो उस्ताद बनाम यूयारीब और इल्नातन भी साथ थे।
17. मैं ने उन्हें लावियों की आबादी कासिफ़ियाह के बुज़ुर्ग इद्दू के पास भेज कर वह कुछ बताया जो उन्हें इद्दू, उस के भाइयों और रब्ब के घर के ख़िदमतगारों को बताना था ताकि वह हमारे ख़ुदा के घर के लिए ख़िदमतगार भेजें।
18. अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, इस लिए उन्हों ने हमें महली बिन लावी बिन इस्राईल के ख़ान्दान का समझदार आदमी सरिबियाह भेज दिया। सरिबियाह अपने बेटों और भाइयों के साथ पहुँचा। कुल 18 मर्द थे।
19. इन के इलावा मिरारी के ख़ान्दान के हसबियाह और यसायाह को भी उन के बेटों और भाइयों के साथ हमारे पास भेजा गया। कुल 20 मर्द थे।
20. उन के साथ रब्ब के घर के 220 ख़िदमतगार थे। इन के तमाम नाम नसबनामे में दर्ज थे। दाऊद और उस के मुलाज़िमों ने उन के बापदादा को लावियों की ख़िदमत करने की ज़िम्मादारी दी थी।
21. वहीं अहावा की नहर के पास ही मैं ने एलान किया कि हम सब रोज़ा रख कर अपने आप को अपने ख़ुदा के सामने पस्त करें और दुआ करें कि वह हमें हमारे बाल-बच्चों और सामान के साथ सलामती से यरूशलम पहुँचाए।
22. क्यूँकि हमारे साथ फ़ौजी और घुड़सवार नहीं थे जो हमें रास्ते में डाकुओं से मह्फ़ूज़ रखते। बात यह थी कि मैं शहनशाह से यह माँगने से शर्म मह्सूस कर रहा था, क्यूँकि हम ने उसे बताया था, “हमारे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ हर एक पर ठहरता है जो उस का तालिब रहता है। लेकिन जो भी उसे तर्क करे उस पर उस का सख़्त ग़ज़ब नाज़िल होता है।”
23. चुनाँचे हम ने रोज़ा रख कर अपने ख़ुदा से इलतिमास की कि वह हमारी हिफ़ाज़त करे, और उस ने हमारी सुनी।
24. फिर मैं ने इमामों के 12 राहनुमाओं को चुन लिया, नीज़ सरिबियाह, हसबियाह और मज़ीद 10 लावियों को।
25. उन की मौजूदगी में मैं ने सोना-चाँदी और बाक़ी तमाम सामान तोल लिया जो शहनशाह, उस के मुशीरों और अफ़्सरों और वहाँ के तमाम इस्राईलियों ने हमारे ख़ुदा के घर के लिए अता किया था।
26. मैं ने तोल कर ज़ैल का सामान उन के हवाले कर दिया : तक़्रीबन 22,000 किलोग्राम चाँदी, चाँदी का कुछ सामान जिस का कुल वज़न तकरीन 3,400 किलोग्राम था, 3,400 किलोग्राम सोना,
27. सोने के 20 पियाले जिन का कुल वज़न तक़्रीबन साढे 8 किलोग्राम था, और पीतल के दो पालिश किए हुए पियाले जो सोने के पियालों जैसे क़ीमती थे।
28. मैं ने आदमियों से कहा, “आप और यह तमाम चीज़ें रब्ब के लिए मख़्सूस हैं। लोगों ने अपनी ख़ुशी से यह सोना-चाँदी रब्ब आप के बापदादा के ख़ुदा के लिए क़ुर्बान की है।
29. सब कुछ एहतियात से मह्फ़ूज़ रखें, और जब आप यरूशलम पहुँचेंगे तो इसे रब्ब के घर के ख़ज़ाने तक पहुँचा कर राहनुमा इमामों, लावियों और ख़ान्दानी सरपरस्तों की मौजूदगी में दुबारा तोलना।”
30. फिर इमामों और लावियों ने सोना-चाँदी और बाक़ी सामान ले कर उसे यरूशलम में हमारे ख़ुदा के घर में पहुँचाने के लिए मह्फ़ूज़ रखा।
31. हम पहले महीने के 12वें दिन अहावा नहर से यरूशलम के लिए रवाना हुए। अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, और उस ने हमें रास्ते में दुश्मनों और डाकुओं से मह्फ़ूज़ रखा।
32. हम यरूशलम पहुँचे तो पहले तीन दिन आराम किया।
33. चौथे दिन हम ने अपने ख़ुदा के घर में सोना-चाँदी और बाक़ी मख़्सूस सामान तोल कर इमाम मरीमोत बिन ऊरियाह के हवाले कर दिया। उस वक़्त इलीअज़र बिन फ़ीन्हास और दो लावी बनाम यूज़बद बिन यशूअ और नौअदियाह बिन बिन्नूई उस के साथ थे।
34. हर चीज़ गिनी और तोली गई, फिर उस का पूरा वज़न फ़हरिस्त में दर्ज किया गया।
35. इस के बाद जिलावतनी से वापस आए हुए तमाम लोगों ने इस्राईल के ख़ुदा को भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ पेश कीं। इस नाते से उन्हों ने पूरे इस्राईल के लिए 12 बैल, 96 मेंढे, भेड़ के 77 बच्चे और गुनाह की क़ुर्बानी के 12 बक्रे क़ुर्बान किए।
36. मुसाफ़िरों ने दरया-ए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नरों और हाकिमों को शहनशाह की हिदायात पहुँचाईं। इन को पढ़ कर उन्हों ने इस्राईली क़ौम और अल्लाह के घर की हिमायत की।

  Ezra (8/10)