Ezra (2/10)  

1. ज़ैल में यहूदाह के उन लोगों की फ़हरिस्त है जो जिलावतनी से वापस आए। बाबल का बादशाह नबूकद्नज़्ज़र उन्हें क़ैद करके बाबल ले गया था, लेकिन अब वह यरूशलम और यहूदाह के उन शहरों में फिर जा बसे जहाँ उन के ख़ान्दान पहले रहते थे।
2. उन के राहनुमा ज़रुब्बाबल, यशूअ, नहमियाह, सिरायाह, रालायाह, मर्दकी, बिल्शान, मिस्फ़ार, बिग्वई, रहूम और बाना थे। ज़ैल की फ़हरिस्त में वापस आए हुए ख़ान्दानों के मर्द बयान किए गए हैं।
3. परऊस का ख़ान्दान : 2,172,
4. सफ़तियाह का ख़ान्दान : 372,
5. अरख़ का ख़ान्दान : 775,
6. पख़त-मोआब का ख़ान्दान यानी यशूअ और योआब की औलाद : 2,812,
7. ऐलाम का ख़ान्दान : 1,254,
8. ज़त्तू का ख़ान्दान : 945,
9. ज़क्की का ख़ान्दान : 760,
10. बानी का ख़ान्दान : 642,
11. बबी का ख़ान्दान : 623,
12. अज़्जाद का ख़ान्दान : 1,222,
13. अदूनिक़ाम का ख़ान्दान : 666,
14. बिग्वई का ख़ान्दान : 2,056,
15. अदीन का ख़ान्दान : 454,
16. अतीर का ख़ान्दान यानी हिज़क़ियाह की औलाद : 98,
17. बज़ी का ख़ान्दान : 323,
18. यूरा का ख़ान्दान : 112,
19. हाशूम का ख़ान्दान : 223,
20. जिब्बार का ख़ान्दान : 95,
21. बैत-लहम के बाशिन्दे : 123,
22. नतूफ़ा के 56 बाशिन्दे,
23. अनतोत के बाशिन्दे : 128,
24. अज़्मावत के बाशिन्दे : 42,
25. क़िर्यत-यारीम, कफ़ीरा और बैरोत के बाशिन्दे : 743,
26. रामा और जिबा के बाशिन्दे : 621,
27. मिक्मास के बाशिन्दे : 122,
28. बैत-एल और अई के बाशिन्दे : 223,
29. नबू के बाशिन्दे : 52,
30. मज्बीस के बाशिन्दे : 156,
31. दूसरे ऐलाम के बाशिन्दे : 1,254,
32. हारिम के बाशिन्दे : 320,
33. लूद, हादीद और ओनू के बाशिन्दे : 725,
34. यरीहू के बाशिन्दे : 345,
35. सनाआह के बाशिन्दे : 3,630।
36. ज़ैल के इमाम जिलावतनी से वापस आए। यदायाह का ख़ान्दान जो यशूअ की नसल का था : 973,
37. इम्मेर का ख़ान्दान : 1,052,
38. फ़श्हूर का ख़ान्दान : 1,247,
39. हारिम का ख़ान्दान : 1,017,
40. ज़ैल के लावी जिलावतनी से वापस आए। यशूअ और क़दमीएल का ख़ान्दान यानी हूदावियाह की औलाद : 74,
41. गुलूकार : आसफ़ के ख़ान्दान के 128 आदमी,
42. रब्ब के घर के दरबान : सल्लूम, अतीर, तल्मून, अक़्क़ूब, ख़तीता और सोबी के ख़ान्दानों के 139 आदमी।
43. रब्ब के घर के ख़िदमतगारों के दर्ज-ए-ज़ैल ख़ान्दान जिलावतनी से वापस आए। ज़ीहा, हसूफ़ा, तब्बाओत,
44. क़रूस, सीआहा, फ़दून,
45. लिबाना, हजाबा, अक़्क़ूब,
46. हजाब, शल्मी, हनान,
47. जिद्देल, जहर, रियायाह,
48. रज़ीन, नक़ूदा, जज़्ज़ाम,
49. उज़्ज़ा, फ़ासिह, बसी,
50. अस्ना, मऊनीम, नफ़ूसीम,
51. बक़्बूक़, हक़ूफ़ा, हर्हूर,
52. बज़्लूत, महीदा, हर्शा,
53. बर्क़ूस, सीसरा, तामह,
54. नज़ियाह और ख़तीफ़ा।
55. सुलेमान के ख़ादिमों के दर्ज-ए-ज़ैल ख़ान्दान जिलावतनी से वापस आए। सूती, सूफ़िरत, फ़रूदा,
56. याला, दर्क़ून, जिद्देल,
57. सफ़तियाह, ख़त्तील, फ़ूकिरत-ज़बाइम और अमी।
58. रब्ब के घर के ख़िदमतगारों और सुलेमान के ख़ादिमों के ख़ान्दानों में से वापस आए हुए मर्दों की तादाद 392 थी।
59. वापस आए हुए ख़ान्दानों दिलायाह, तूबियाह और नक़ूदा के 652 मर्द साबित न कर सके कि इस्राईल की औलाद हैं, गो वह तल-मिलह, तल-हर्शा, करूब, अद्दून और इम्मेर के रहने वाले थे।
60. वापस आए हुए ख़ान्दानों दिलायाह, तूबियाह और नक़ूदा के 652 मर्द साबित न कर सके कि इस्राईल की औलाद हैं, गो वह तल-मिलह, तल-हर्शा, करूब, अद्दून और इम्मेर के रहने वाले थे।
61. हबायाह, हक़्क़ूज़ और बर्ज़िल्ली के ख़ान्दानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब्ब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्यूँकि गो उन्हों ने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए उन का कहीं ज़िक्र न मिला, इस लिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बर्ज़िल्ली के ख़ान्दान के बानी ने बर्ज़िल्ली जिलिआदी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।)
62. हबायाह, हक़्क़ूज़ और बर्ज़िल्ली के ख़ान्दानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब्ब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्यूँकि गो उन्हों ने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए उन का कहीं ज़िक्र न मिला, इस लिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बर्ज़िल्ली के ख़ान्दान के बानी ने बर्ज़िल्ली जिलिआदी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।)
63. यहूदाह के गवर्नर ने हुक्म दिया कि इन तीन ख़ान्दानों के इमाम फ़िलहाल क़ुर्बानियों का वह हिस्सा खाने में शरीक न हों जो इमामों के लिए मुक़र्रर है। जब दुबारा इमाम-ए-आज़म मुक़र्रर किया जाए तो वही ऊरीम और तुम्मीम नामी क़ुरआ डाल कर मुआमला हल करे।
64. कुल 42,360 इस्राईली अपने वतन लौट आए,
65. नीज़ उन के 7,337 ग़ुलाम और लौंडियाँ और 200 गुलूकार जिन में मर्द-ओ-ख़वातीन शामिल थे।
66. इस्राईलियों के पास 736 घोड़े, 245 ख़च्चर,
67. 435 ऊँट और 6,720 गधे थे।
68. जब वह यरूशलम में रब्ब के घर के पास पहुँचे तो कुछ ख़ान्दानी सरपरस्तों ने अपनी ख़ुशी से हदिए दिए ताकि अल्लाह का घर नए सिरे से उस जगह तामीर किया जा सके जहाँ पहले था।
69. हर एक ने उतना दे दिया जितना दे सका। उस वक़्त सोने के कुल 61,000 सिक्के, चाँदी के 2,800 किलोग्राम और इमामों के 100 लिबास जमा हुए।
70. इमाम, लावी, गुलूकार, रब्ब के घर के दरबान और ख़िदमतगार, और अवाम के कुछ लोग अपनी अपनी आबाई आबादियों में दुबारा जा बसे। यूँ तमाम इस्राईली दुबारा अपने अपने शहरों में रहने लगे।

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