← Ezekiel (6/48) → |
1. | रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, |
2. | “ऐ आदमज़ाद, इस्राईल के पहाड़ों की तरफ़ रुख़ करके उन के ख़िलाफ़ नुबुव्वत कर। |
3. | उन से कह, ‘ऐ इस्राईल के पहाड़ो, रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का कलाम सुनो! वह पहाड़ों, पहाड़ियों, घाटियों और वादियों के बारे में फ़रमाता है कि मैं तुम्हारे ख़िलाफ़ तल्वार चला कर तुम्हारी ऊँची जगहों के मन्दिरों को तबाह कर दूँगा। |
4. | जिन क़ुर्बानगाहों पर तुम अपने जानवर और बख़ूर जलाते हो वह ढा दूँगा। मैं तेरे मक़्तूलों को तेरे बुतों के सामने ही फैंक छोड़ूँगा। |
5. | मैं इस्राईलियों की लाशों को उन के बुतों के सामने डाल कर तुम्हारी हड्डियों को तुम्हारी क़ुर्बानगाहों के इर्दगिर्द बिखेर दूँगा। |
6. | जहाँ भी तुम आबाद हो वहाँ तुम्हारे शहर खंडरात बन जाएँगे और ऊँची जगहों के मन्दिर मिस्मार हो जाएँगे। क्यूँकि लाज़िम है कि जिन क़ुर्बानगाहों पर तुम अपने जानवर और बख़ूर जलाते हो वह ख़ाक में मिलाई जाएँ, कि तुम्हारे बुतों को पाश पाश किया जाए, कि तुम्हारी बुतपरस्ती की चीज़ें नेस्त-ओ-नाबूद हो जाएँ। |
7. | मक़्तूल तुम्हारे दर्मियान गिर कर पड़े रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब्ब हूँ। |
8. | लेकिन मैं चन्द एक को ज़िन्दा छोड़ूँगा। क्यूँकि जब तुम्हें दीगर ममालिक और अक़्वाम में मुन्तशिर किया जाएगा तो कुछ तल्वार से बचे रहेंगे। |
9. | जब यह लोग क़ैदी बन कर मुख़्तलिफ़ ममालिक में लाए जाएँगे तो उन्हें मेरा ख़याल आएगा। उन्हें याद आएगा कि मुझे कितना ग़म खाना पड़ा जब उन के ज़िनाकार दिल मुझ से दूर हुए और उन की आँखें अपने बुतों से ज़िना करती रहीं। तब वह यह सोच कर कि हम ने कितना बुरा काम किया और कितनी मक्रूह हर्कतें की हैं अपने आप से घिन खाएँगे। |
10. | उस वक़्त वह जान लेंगे कि मैं रब्ब हूँ, कि उन पर यह आफ़त लाने का एलान करते वक़्त मैं ख़ाली बातें नहीं कर रहा था’।” |
11. | फिर रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ ने मुझ से फ़रमाया, “तालियाँ बजा कर पाँओ ज़ोर से ज़मीन पर मार! साथ साथ यह कह, इस्राईली क़ौम की घिनौनी हर्कतों पर अफ़्सोस! वह तल्वार, काल और मुहलक बीमारियों की ज़द में आ कर हलाक हो जाएँगे। |
12. | जो दूर है वह मुहलक वबा से मर जाएगा, जो क़रीब है वह तल्वार से क़त्ल हो जाएगा, और जो बच जाए वह भूकों मरेगा। यूँ मैं अपना ग़ज़ब उन पर नाज़िल करूँगा। |
13. | वह जान लेंगे कि मैं रब्ब हूँ जब उन के मक़्तूल उन के बुतों के दर्मियान, उन की क़ुर्बानगाहों के इर्दगिर्द, हर पहाड़ और पहाड़ की चोटी पर और हर हरे दरख़्त और बलूत के घने दरख़्त के साय में नज़र आएँगे। जहाँ भी वह अपने बुतों को ख़ुश करने के लिए कोशाँ रहे वहाँ उन की लाशें पाई जाएँगी। |
14. | मैं अपना हाथ उन के ख़िलाफ़ उठा कर मुल्क को यहूदाह के रेगिस्तान से ले कर दिबला तक तबाह कर दूँगा। उन की तमाम आबादियाँ वीरान-ओ-सुन्सान हो जाएँगी। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ।” |
← Ezekiel (6/48) → |