← Ezekiel (46/48) → |
1. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि लाज़िम है कि अन्दरूनी सहन में पहुँचाने वाला मशरिक़ी दरवाज़ा इत्वार से ले कर जुमए तक बन्द रहे। उसे सिर्फ़ सबत और नए चाँद के दिन खोलना है। |
2. | उस वक़्त हुक्मरान बैरूनी सहन से हो कर मशरिक़ी दरवाज़े के बराम्दे में दाख़िल हो जाए और उस में से गुज़र कर दरवाज़े के बाज़ू के पास खड़ा हो जाए। वहाँ से वह इमामों को उस की भस्म होने वाली और सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश करते हुए देख सकेगा। दरवाज़े की दहलीज़ पर वह सिज्दा करेगा, फिर चला जाएगा। यह दरवाज़ा शाम तक खुला रहे। |
3. | लाज़िम है कि बाक़ी इस्राईली सबत और नए चाँद के दिन बैरूनी सहन में इबादत करें। वह इसी मशरिक़ी दरवाज़े के पास आ कर मेरे हुज़ूर औंधे मुँह हो जाएँ। |
4. | सबत के दिन हुक्मरान छः बेऐब भेड़ के बच्चे और एक बेऐब मेंढा चुन कर रब्ब को भस्म होने वाली क़ुर्बानी के तौर पर पेश करे। |
5. | वह हर मेंढे के साथ ग़ल्ला की नज़र भी पेश करे यानी 16 किलोग्राम मैदा और 4 लिटर ज़ैतून का तेल। हर भेड़ के बच्चे के साथ वह उतना ही ग़ल्ला दे जितना जी चाहे। |
6. | नए चाँद के दिन वह एक जवान बैल, छः भेड़ के बच्चे और एक मेंढा पेश करे। सब बेऐब हों। |
7. | जवान बैल और मेंढे के साथ ग़ल्ला की नज़र भी पेश की जाए। ग़ल्ला की यह नज़र 16 किलोग्राम मैदे और 4 लिटर ज़ैतून के तेल पर मुश्तमिल हो। वह हर भेड़ के बच्चे के साथ उतना ही ग़ल्ला दे जितना जी चाहे। |
8. | हुक्मरान अन्दरूनी मशरिक़ी दरवाज़े में बैरूनी सहन से हो कर दाख़िल हो, और वह इसी रास्ते से निकले भी। |
9. | जब बाक़ी इस्राईली किसी ईद पर रब्ब को सिज्दा करने आएँ तो जो शिमाली दरवाज़े से बैरूनी सहन में दाख़िल हों वह इबादत के बाद जुनूबी दरवाज़े से निकलें, और जो जुनूबी दरवाज़े से दाख़िल हों वह शिमाली दरवाज़े से निकलें। कोई उस दरवाज़े से न निकले जिस में से वह दाख़िल हुआ बल्कि मुक़ाबिल के दरवाज़े से। |
10. | हुक्मरान उस वक़्त सहन में दाख़िल हो जब बाक़ी इस्राईली दाख़िल हो रहे हों, और वह उस वक़्त रवाना हो जब बाक़ी इस्राईली रवाना हो जाएँ। |
11. | ईदों और मुक़र्ररा तहवारों पर बैल और मेंढे के साथ ग़ल्ला की नज़र पेश की जाए। ग़ल्ला की यह नज़र 16 किलोग्राम मैदे और 4 लिटर ज़ैतून के तेल पर मुश्तमिल हो। हुक्मरान भेड़ के बच्चों के साथ उतना ही ग़ल्ला दे जितना जी चाहे। |
12. | जब हुक्मरान अपनी ख़ुशी से मुझे क़ुर्बानी पेश करना चाहे ख़्वाह भस्म होने वाली या सलामती की क़ुर्बानी हो, तो उस के लिए अन्दरूनी दरवाज़े का मशरिक़ी दरवाज़ा खोला जाए। वहाँ वह अपनी क़ुर्बानी यूँ पेश करे जिस तरह सबत के दिन करता है। उस के निकलने पर यह दरवाज़ा बन्द कर दिया जाए। |
13. | इस्राईल रब्ब को हर सुब्ह एक बेऐब यकसाला भेड़ का बच्चा पेश करे। भस्म होने वाली यह क़ुर्बानी रोज़ाना चढ़ाई जाए। |
14. | साथ साथ ग़ल्ला की नज़र पेश की जाए। इस के लिए सवा लिटर ज़ैतून का तेल ढाई किलोग्राम मैदे के साथ मिलाया जाए। ग़ल्ला की यह नज़र हमेशा ही मुझे पेश करनी है। |
15. | लाज़िम है कि हर सुब्ह भेड़ का बच्चा, मैदा और तेल मेरे लिए जलाया जाए। |
16. | क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि अगर इस्राईल का हुक्मरान अपने किसी बेटे को कुछ मौरूसी ज़मीन दे तो यह ज़मीन बेटे की मौरूसी ज़मीन बन कर उस की औलाद की मिल्कियत रहेगी। |
17. | लेकिन अगर हुक्मरान कुछ मौरूसी ज़मीन अपने किसी मुलाज़िम को दे तो यह ज़मीन सिर्फ़ अगले बहाली के साल तक मुलाज़िम के हाथ में रहेगी। फिर यह दुबारा हुक्मरान के क़ब्ज़े में वापस आएगी। क्यूँकि यह मौरूसी ज़मीन मुस्तक़िल तौर पर उस की और उस के बेटों की मिल्कियत है। |
18. | हुक्मरान को जब्रन दूसरे इस्राईलियों की मौरूसी ज़मीन अपनाने की इजाज़त नहीं। लाज़िम है कि जो भी ज़मीन वह अपने बेटों में तक़्सीम करे वह उस की अपनी ही मौरूसी ज़मीन हो। मेरी क़ौम में से किसी को निकाल कर उस की मौरूसी ज़मीन से महरूम करना मना है’।” |
19. | इस के बाद मेरा राहनुमा मुझे उन कमरों के दरवाज़े के पास ले गया जिन का रुख़ शिमाल की तरफ़ था और जो अन्दरूनी सहन के जुनूबी दरवाज़े के क़रीब थे। यह इमामों के मुक़द्दस कमरे हैं। उस ने मुझे कमरों के मग़रिबी सिरे में एक जगह दिखा कर |
20. | कहा, “यहाँ इमाम वह गोश्त उबालेंगे जो गुनाह और क़ुसूर की क़ुर्बानियों में से उन का हिस्सा बनता है। यहाँ वह ग़ल्ला की नज़र ले कर रोटी भी बनाएँगे। क़ुर्बानियों में से कोई भी चीज़ बैरूनी सहन में नहीं लाई जा सकती, ऐसा न हो कि मुक़द्दस चीज़ें छूने से आम लोगों की जान ख़त्रे में पड़ जाए।” |
21. | फिर मेरा राहनुमा दुबारा मेरे साथ बैरूनी सहन में आ गया। वहाँ उस ने मुझे उस के चार कोने दिखाए। हर कोने में एक सहन था |
22. | जिस की लम्बाई 70 फ़ुट और चौड़ाई साढे 52 फ़ुट थी। हर सहन इतना ही बड़ा था |
23. | और एक दीवार से घिरा हुआ था। दीवार के साथ साथ चूल्हे थे। |
24. | मेरे राहनुमा ने मुझे बताया, “यह वह किचन हैं जिन में रब्ब के घर के ख़ादिम लोगों की पेशकरदा क़ुर्बानियाँ उबालेंगे।” |
← Ezekiel (46/48) → |