Ezekiel (45/48)  

1. जब तुम मुल्क को क़ुरआ डाल कर क़बीलों में तक़्सीम करोगे तो एक हिस्से को रब्ब के लिए मख़्सूस करना है। उस ज़मीन की लम्बाई साढे 12 किलोमीटर और चौड़ाई 10 किलोमीटर होगी। पूरी ज़मीन मुक़द्दस होगी।
2. इस ख़ित्ते में एक प्लाट रब्ब के घर के लिए मख़्सूस होगा। उस की लम्बाई भी 875 फ़ुट होगी और उस की चौड़ाई भी। उस के इर्दगिर्द खुली जगह होगी जिस की चौड़ाई साढे 87 फ़ुट होगी।
3. ख़ित्ते का आधा हिस्सा अलग किया जाए। उस की लम्बाई साढे 12 किलोमीटर और चौड़ाई 5 किलोमीटर होगी, और उस में मक़्दिस यानी मुक़द्दसतरीन जगह होगी।
4. यह ख़ित्ता मुल्क का मुक़द्दस इलाक़ा होगा। वह उन इमामों के लिए मख़्सूस होगा जो मक़्दिस में उस की ख़िदमत करते हैं। उस में उन के घर और मक़्दिस का मख़्सूस प्लाट होगा।
5. ख़ित्ते का दूसरा हिस्सा उन बाक़ी लावियों को दिया जाएगा जो रब्ब के घर में ख़िदमत करेंगे। यह उन की मिल्कियत होगी, और उस में वह अपनी आबादियाँ बना सकेंगे। उस की लम्बाई और चौड़ाई पहले हिस्से के बराबर होगी।
6. मुक़द्दस ख़ित्ते से मुल्हिक़ एक और ख़ित्ता होगा जिस की लम्बाई साढे 12 किलोमीटर और चौड़ाई ढाई किलोमीटर होगी। यह एक ऐसे शहर के लिए मख़्सूस होगा जिस में कोई भी इस्राईली रह सकेगा।
7. हुक्मरान के लिए भी ज़मीन अलग करनी है। यह ज़मीन मुक़द्दस ख़ित्ते की मशरिक़ी हद्द से ले कर मुल्क की मशरिक़ी सरहद्द तक और मुक़द्दस ख़ित्ते की मग़रिबी हद्द से ले कर समुन्दर तक होगी। चुनाँचे मशरिक़ से मग़रिब तक मुक़द्दस ख़ित्ते और हुक्मरान के इलाक़े का मिल मिला कर फ़ासिला उतना है जितना क़बाइली इलाक़ों का है।
8. यह इलाक़ा मुल्क-ए-इस्राईल में हुक्मरान का हिस्सा होगा। फिर वह आइन्दा मेरी क़ौम पर ज़ुल्म नहीं करेगा बल्कि मुल्क के बाक़ी हिस्से को इस्राईल के क़बीलों पर छोड़ेगा।
9. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ इस्राईली हुक्मरानो, अब बस करो! अपनी ग़लत हर्कतों से बाज़ आओ। अपना ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद छोड़ कर इन्साफ़ और रास्तबाज़ी क़ाइम करो। मेरी क़ौम को उस की मौरूसी ज़मीन से भगाने से बाज़ आओ। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।
10. सहीह तराज़ू इस्तेमाल करो, तुम्हारे बाट और पैमाइश के आलात ग़लत न हों।
11. ग़ल्ला नापने का बर्तन बनाम ऐफ़ा माए नापने के बर्तन बनाम बत जितना बड़ा हो। दोनों के लिए कसौटी ख़ोमर है। एक ख़ोमर 10 ऐफ़ा और 10 बत के बराबर है।
12. तुम्हारे बाट यूँ हों कि 20 जीरह 1 मिस्क़ाल के बराबर और 60 मिस्क़ाल 1 माना के बराबर हों।
13. दर्ज-ए-ज़ैल तुम्हारे बाक़ाइदा हदिए हैं : अनाज : तुम्हारी फ़सल का 60वाँ हिस्सा, जौ : तुम्हारी फ़सल का 60वाँ हिस्सा,
14. ज़ैतून का तेल : तुम्हारी फ़सल का 100वाँ हिस्सा (तेल को बत के हिसाब से नापना है। 10 बत 1 ख़ोमर और 1 कोर के बराबर है।),
15. 200 भेड़-बक्रियों में से एक। यह चीज़ें ग़ल्ला की नज़रों के लिए, भस्म होने वाली क़ुर्बानियों और सलामती की क़ुर्बानियों के लिए मुक़र्रर हैं। उन से क़ौम का कफ़्फ़ारा दिया जाएगा। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।
16. लाज़िम है कि तमाम इस्राईली यह हदिए मुल्क के हुक्मरान के हवाले करें।
17. हुक्मरान का फ़र्ज़ होगा कि वह नए चाँद की ईदों, सबत के दिनों और दीगर ईदों पर तमाम इस्राईली क़ौम के लिए क़ुर्बानियाँ मुहय्या करे। इन में भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ, गुनाह और सलामती की क़ुर्बानियाँ और ग़ल्ला और मै की नज़रें शामिल होंगी। यूँ वह इस्राईल का कफ़्फ़ारा देगा।
18. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि पहले महीने के पहले दिन को एक बेऐब बैल को क़ुर्बान करके मक़्दिस को पाक-साफ़ कर।
19. इमाम बैल का ख़ून ले कर उसे रब्ब के घर के दरवाज़ों के बाज़ूओं, क़ुर्बानगाह के दर्मियानी हिस्से के कोनों और अन्दरूनी सहन में पहुँचाने वाले दरवाज़ों के बाज़ूओं पर लगा दे।
20. यही अमल पहले महीने के सातवें दिन भी कर ताकि उन सब का कफ़्फ़ारा दिया जाए जिन्हों ने ग़ैरइरादी तौर पर या बेख़बरी से गुनाह किया हो। यूँ तुम रब्ब के घर का कफ़्फ़ारा दोगे।
21. पहले महीने के चौधवें दिन फ़सह की ईद का आग़ाज़ हो। उसे सात दिन मनाओ, और उस के दौरान सिर्फ़ बेख़मीरी रोटी खाओ।
22. पहले दिन मुल्क का हुक्मरान अपने और तमाम क़ौम के लिए गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर एक बैल पेश करे।
23. नीज़, वह ईद के सात दिन के दौरान रोज़ाना सात बेऐब बैल और सात मेंढे भस्म होने वाली क़ुर्बानी के तौर पर क़ुर्बान करे और गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर एक एक बक्रा पेश करे।
24. वह हर बैल और हर मेंढे के साथ साथ ग़ल्ला की नज़र भी पेश करे। इस के लिए वह फ़ी जानवर 16 किलोग्राम मैदा और 4 लिटर तेल मुहय्या करे।
25. सातवें महीने के पंद्रहवें दिन झोंपड़ियों की ईद शुरू होती है। हुक्मरान इस ईद पर भी सात दिन के दौरान वही क़ुर्बानियाँ पेश करे जो फ़सह की ईद के लिए दरकार हैं यानी गुनाह की क़ुर्बानियाँ, भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ, ग़ल्ला की नज़रें और तेल।

  Ezekiel (45/48)