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1. | एक दिन रब्ब का हाथ मुझ पर आ ठहरा। रब्ब ने मुझे अपने रूह से बाहर ले जा कर एक खुली वादी के बीच में खड़ा किया। वादी हड्डियों से भरी थी। |
2. | उस ने मुझे उन में से गुज़रने दिया तो मैं ने देखा कि वादी की ज़मीन पर बेशुमार हड्डियाँ बिखरी पड़ी हैं। यह हड्डियाँ सरासर सूखी हुई थीं। |
3. | रब्ब ने मुझ से पूछा, “ऐ आदमज़ाद, क्या यह हड्डियाँ दुबारा ज़िन्दा हो सकती हैं?” मैं ने जवाब दिया, “ऐ रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़, तू ही जानता है।” |
4. | तब उस ने फ़रमाया, “नुबुव्वत करके हड्डियों को बता, ‘ऐ सूखी हुई हड्डियो, रब्ब का कलाम सुनो! |
5. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तुम में दम डालूँगा तो तुम दुबारा ज़िन्दा हो जाओगी। |
6. | मैं तुम पर नसें और गोश्त चढ़ा कर सब कुछ जिल्द से ढाँप दूँगा। मैं तुम में दम डाल दूँगा, और तुम ज़िन्दा हो जाओगी। तब तुम जान लोगी कि मैं ही रब्ब हूँ’।” |
7. | मैं ने ऐसा ही किया। और जूँ ही मैं नुबुव्वत करने लगा तो शोर मच गया। हड्डियाँ खड़खड़ाते हुए एक दूसरी के साथ जुड़ गईं, और होते होते पूरे ढाँचे बन गए। |
8. | मेरे देखते देखते नसें और गोश्त ढाँचों पर चढ़ गया और सब कुछ जिल्द से ढाँपा गया। लेकिन अब तक जिस्मों में दम नहीं था। |
9. | फिर रब्ब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, नुबुव्वत करके दम से मुख़ातिब हो जा, ‘ऐ दम, रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि चारों तरफ़ से आ कर मक़्तूलों पर फूँक मार ताकि दुबारा ज़िन्दा हो जाएँ’।” |
10. | मैं ने ऐसा ही किया तो मक़्तूलों में दम आ गया, और वह ज़िन्दा हो कर अपने पाँओ पर खड़े हो गए। एक निहायत बड़ी फ़ौज वुजूद में आ गई थी! |
11. | तब रब्ब ने फ़रमाया, “ऐ आदमज़ाद, यह हड्डियाँ इस्राईली क़ौम के तमाम अफ़राद हैं। वह कहते हैं, ‘हमारी हड्डियाँ सूख गई हैं, हमारी उम्मीद जाती रही है। हम ख़त्म ही हो गए हैं!’ |
12. | चुनाँचे नुबुव्वत करके उन्हें बता, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ मेरी क़ौम, मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोल दूँगा और तुम्हें उन में से निकाल कर मुल्क-ए-इस्राईल में वापस लाऊँगा। |
13. | ऐ मेरी क़ौम, जब मैं तुम्हारी क़ब्रों को खोल दूँगा और तुम्हें उन में से निकाल लाऊँगा तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब्ब हूँ। |
14. | मैं अपना रूह तुम में डाल दूँगा तो तुम ज़िन्दा हो जाओगे। फिर मैं तुमहें तुम्हारे अपने मुल्क में बसा दूँगा। तब तुम जान लोगे कि यह मेरा, रब्ब का फ़रमान है और मैं यह करूँगा भी’।” |
15. | रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, |
16. | “ऐ आदमज़ाद, लकड़ी का टुकड़ा ले कर उस पर लिख दे, ‘जुनूबी क़बीला यहूदाह और जितने इस्राईली क़बीले उस के साथ मुत्तहिद हैं।’ फिर लकड़ी का एक और टुकड़ा ले कर उस पर लिख दे, ‘शिमाली क़बीला यूसुफ़ यानी इफ़्राईम और जितने इस्राईली क़बीले उस के साथ मुत्तहिद हैं।’ |
17. | अब लकड़ी के दोनों टुकड़े एक दूसरे के साथ यूँ जोड़ दे कि तेरे हाथ में एक हो जाएँ। |
18. | तेरे हमवतन तुझ से पूछेंगे, ‘क्या आप हमें इस का मतलब नहीं बताएँगे?’ |
19. | तब उन्हें बता, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं यूसुफ़ यानी लकड़ी के मालिक इफ़्राईम और उस के साथ मुत्तहिद इस्राईली क़बीलों को ले कर यहूदाह की लकड़ी के साथ जोड़ दूँगा। मेरे हाथ में वह लकड़ी का एक ही टुकड़ा बन जाएँगे।’ |
20. | अपने हमवतनों की मौजूदगी में लकड़ी के मज़्कूरा टुकड़े हाथ में थामे रख |
21. | और साथ साथ उन्हें बता, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं इस्राईलियों को उन क़ौमों में से निकाल लाऊँगा जहाँ वह जा बसे हैं। मैं उन्हें जमा करके उन के अपने मुल्क में वापस लाऊँगा। |
22. | वहीं इस्राईल के पहाड़ों पर मैं उन्हें मुत्तहिद करके एक ही क़ौम बना दूँगा। उन पर एक ही बादशाह हुकूमत करेगा। आइन्दा वह न कभी दो क़ौमों में तक़्सीम हो जाएँगे, न दो सल्तनतों में। |
23. | आइन्दा वह अपने आप को न अपने बुतों या बाक़ी मक्रूह चीज़ों से नापाक करेंगे, न उन गुनाहों से जो अब तक करते आए हैं। मैं उन्हें उन तमाम मक़ामों से निकाल कर छुड़ाऊँगा जिन में उन्हों ने गुनाह किया है। मैं उन्हें पाक-साफ़ करूँगा। यूँ वह मेरी क़ौम होंगे और मैं उन का ख़ुदा हूँगा। |
24. | मेरा ख़ादिम दाऊद उन का बादशाह होगा, उन का एक ही गल्लाबान होगा। तब वह मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारेंगे और ध्यान से मेरे अह्काम पर अमल करेंगे। |
25. | जो मुल्क मैं ने अपने ख़ादिम याक़ूब को दिया था और जिस में तुम्हारे बापदादा रहते थे उस में इस्राईली दुबारा बसेंगे। हाँ, वह और उन की औलाद हमेशा तक उस में आबाद रहेंगे, और मेरा ख़ादिम दाऊद अबद तक उन पर हुकूमत करेगा। |
26. | तब मैं उन के साथ सलामती का अह्द बाँधूँगा, एक ऐसा अह्द जो हमेशा तक क़ाइम रहेगा। मैं उन्हें क़ाइम करके उन की तादाद बढ़ाता जाऊँगा, और मेरा मक़्दिस अबद तक उन के दर्मियान रहेगा। |
27. | वह मेरी सुकूनतगाह के साय में बसेंगे। मैं उन का ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे। |
28. | जब मेरा मक़्दिस अबद तक उन के दर्मियान होगा तो दीगर अक़्वाम जान लेंगी कि मैं ही रब्ब हूँ, कि इस्राईल को मुक़द्दस करने वाला मैं ही हूँ’।” |
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