Ezekiel (36/48)  

1. ऐ आदमज़ाद, इस्राईल के पहाड़ों के बारे में नुबुव्वत करके कह, ‘ऐ इस्राईल के पहाड़ो, रब्ब का कलाम सुनो!
2. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि दुश्मन बग़लें बजा कर कहता है कि क्या ख़ूब, इस्राईल की क़दीम बुलन्दियाँ हमारे क़ब्ज़े में आ गई हैं!
3. क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि उन्हों ने तुम्हें उजाड़ दिया, तुम्हें चारों तरफ़ से तंग किया है। नतीजे में तुम दीगर अक़्वाम के क़ब्ज़े में आ गई हो और लोग तुम पर कुफ़्र बकने लगे हैं।
4. चुनाँचे ऐ इस्राईल के पहाड़ो, रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का कलाम सुनो! रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ पहाड़ो और पहाड़ियो, ऐ घाटियो और वादियो, ऐ खंडरात और इन्सान से ख़ाली शहरो, तुम गिर्द-ओ-नवाह की अक़्वाम के लिए लूट-मार और मज़ाक़ का निशाना बन गए हो।
5. इस लिए रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं ने बड़ी ग़ैरत से इन बाक़ी अक़्वाम की सरज़निश की है, ख़ासकर अदोम की। क्यूँकि वह मेरी क़ौम का नुक़्सान देख कर शादियाना बजाने लगीं और अपनी हिक़ारत का इज़्हार करके मेरे मुल्क पर क़ब्ज़ा किया ताकि उस की चरागाह को लूट लें।
6. ऐ पहाड़ो और पहाड़ियो, ऐ घाटियो और वादियो, रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि चूँकि दीगर अक़्वाम ने तेरी इतनी रुस्वाई की है इस लिए मैं अपनी ग़ैरत और अपना ग़ज़ब उन पर नाज़िल करूँगा।
7. मैं रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ अपना हाथ उठा कर क़सम खाता हूँ कि गिर्द-ओ-नवाह की इन अक़्वाम की भी रुस्वाई की जाएगी।
8. लेकिन ऐ इस्राईल के पहाड़ो, तुम पर दुबारा हरियाली फले फूलेगी। तुम नए सिरे से मेरी क़ौम इस्राईल के लिए फल लाओगे, क्यूँकि वह जल्द ही वापस आने वाली है।
9. मैं दुबारा तुम्हारी तरफ़ रुजू करूँगा, दुबारा तुम पर मेहरबानी करूँगा। तब लोग नए सिरे से तुम पर हल चला कर बीज बोएँगे।
10. मैं तुम पर की आबादी बढ़ा दूँगा। क्यूँकि तमाम इस्राईली आ कर तुम्हारी ढलानों पर अपने घर बना लेंगे। तुम्हारे शहर दुबारा आबाद हो जाएँगे, और खंडरात की जगह नए घर बन जाएँगे।
11. मैं तुम पर बसने वाले इन्सान-ओ-हैवान की तादाद बढ़ा दूँगा, और वह बढ़ कर फलें फूलेंगे। मैं होने दूँगा कि तुम्हारे इलाक़े में माज़ी की तरह आबादी होगी, पहले की निस्बत मैं तुम पर कहीं ज़ियादा मेहरबानी करूँगा। तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब्ब हूँ।
12. मैं अपनी क़ौम इस्राईल को तुम्हारे पास पहुँचा दूँगा, और वह दुबारा तुम्हारी ढलानों पर घूमते फिरेंगे। वह तुम पर क़ब्ज़ा करेंगे, और तुम उन की मौरूसी ज़मीन होगे। आइन्दा कभी तुम उन्हें उन की औलाद से महरूम नहीं करोगे।
13. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि बेशक लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं कि तुम लोगों को हड़प करके अपनी क़ौम को उस की औलाद से महरूम कर देते हो।
14. लेकिन आइन्दा ऐसा नहीं होगा। आइन्दा तुम न आदमियों को हड़प करोगे, न अपनी क़ौम को उस की औलाद से महरूम करोगे। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।
15. मैं ख़ुद होने दूँगा कि आइन्दा तुम्हें दीगर अक़्वाम की लान-तान नहीं सुननी पड़ेगी। आइन्दा तुम्हें उन का मज़ाक़ बर्दाश्त नहीं करना पड़ेगा, क्यूँकि ऐसा कभी होगा नहीं कि तुम अपनी क़ौम के लिए ठोकर का बाइस हो। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है’।”
16. रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ,
17. “ऐ आदमज़ाद, जब इस्राईली अपने मुल्क में आबाद थे तो मुल्क उन के चाल-चलन और हर्कतों से नापाक हुआ। वह अपने बुरे रवय्ये के बाइस मेरी नज़र में माहवारी में मुब्तला औरत की तरह नापाक थे।
18. उन के हाथों लोग क़त्ल हुए, उन की बुतपरस्ती से मुल्क नापाक हो गया। जवाब में मैं ने उन पर अपना ग़ज़ब नाज़िल किया।
19. मैं ने उन्हें मुख़्तलिफ़ अक़्वाम-ओ-ममालिक में मुन्तशिर करके उन के चाल-चलन और ग़लत कामों की मुनासिब सज़ा दी।
20. लेकिन जहाँ भी वह पहुँचे वहाँ उन ही के सबब से मेरे मुक़द्दस नाम की बेहुरमती हुई। क्यूँकि जिन से भी उन की मुलाक़ात हुई उन्हों ने कहा, ‘गो यह रब्ब की क़ौम हैं तो भी इन्हें उस के मुल्क को छोड़ना पड़ा!’
21. यह देख कर कि जिस क़ौम में भी इस्राईली जा बसे वहाँ उन्हों ने मेरे मुक़द्दस नाम की बेहुरमती की मैं अपने नाम की फ़िक्र करने लगा।
22. इस लिए इस्राईली क़ौम को बता, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि जो कुछ मैं करने वाला हूँ वह मैं तेरी ख़ातिर नहीं करूँगा बल्कि अपने मुक़द्दस नाम की ख़ातिर। क्यूँकि तुम ने दीगर अक़्वाम में मुन्तशिर हो कर उस की बेहुरमती की है।
23. मैं ज़ाहिर करूँगा कि मेरा अज़ीम नाम कितना मुक़द्दस है। तुम ने दीगर अक़्वाम के दर्मियान रह कर उस की बेहुरमती की है, लेकिन मैं उन की मौजूदगी में तुम्हारी मदद करके अपना मुक़द्दस किरदार उन पर ज़ाहिर करूँगा। तब वह जान लेंगी कि मैं ही रब्ब हूँ। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।
24. मैं तुमहें दीगर अक़्वाम-ओ-ममालिक से निकाल दूँगा और तुम्हें जमा करके तुम्हारे अपने मुल्क में वापस लाऊँगा।
25. मैं तुम पर साफ़ पानी छिड़कूँगा तो तुम पाक-साफ़ हो जाओगे। हाँ, मैं तुमहें तमाम नापाकियों और बुतों से पाक-साफ़ कर दूँगा।
26. तब मैं तुमहें नया दिल बख़्श कर तुम में नई रूह डाल दूँगा। मैं तुम्हारा संगीन दिल निकाल कर तुम्हें गोश्त-पोस्त का नर्म दिल अता करूँगा।
27. क्यूँकि मैं अपना ही रूह तुम में डाल कर तुम्हें इस क़ाबिल बना दूँगा कि तुम मेरी हिदायात की पैरवी और मेरे अह्काम पर ध्यान से अमल कर सको।
28. तब तुम दुबारा उस मुल्क में सुकूनत करोगे जो मैं ने तुम्हारे बापदादा को दिया था। तुम मेरी क़ौम होगे, और मैं तुम्हारा ख़ुदा हूँगा।
29. मैं ख़ुद तुम्हें तुम्हारी तमाम नापाकी से छुड़ाऊँगा। आइन्दा मैं तुम्हारे मुल्क में काल पड़ने नहीं दूँगा बल्कि अनाज को उगने और बढ़ने का हुक्म दूँगा।
30. मैं बाग़ों और खेतों की पैदावार बढ़ा दूँगा ताकि आइन्दा तुम्हें मुल्क में काल पड़ने के बाइस दीगर क़ौमों के ताने सुनने न पड़ें।
31. तब तुम्हारी बुरी राहें और ग़लत हर्कतें तुम्हें याद आएँगी, और तुम अपने गुनाहों और बुतपरस्ती के बाइस अपने आप से घिन खाओगे।
32. लेकिन याद रहे कि मैं यह सब कुछ तुम्हारी ख़ातिर नहीं कर रहा। रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ इस्राईली क़ौम, शर्म करो! अपने चाल-चलन पर शर्मसार हो!
33. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि जिस दिन मैं तुमहें तुम्हारे तमाम गुनाहों से पाक-साफ़ करूँगा उस दिन मैं तुमहें दुबारा तुम्हारे शहरों में आबाद करूँगा। तब खंडरात पर नए घर बनेंगे।
34. गो इस वक़्त मुल्क में से गुज़रने वाले हर मुसाफ़िर को उस की तबाहशुदा हालत नज़र आती है, लेकिन उस वक़्त ऐसा नहीं होगा बल्कि ज़मीन की खेतीबाड़ी की जाएगी।
35. लोग यह देख कर कहेंगे, “पहले सब कुछ वीरान-ओ-सुन्सान था, लेकिन अब मुल्क बाग़-ए-अदन बन गया है! पहले उस के शहर ज़मीनबोस थे और उन की जगह मल्बे के ढेर नज़र आते थे। लेकिन अब उन की नए सिरे से क़िलआबन्दी हो गई है और लोग उन में आबाद हैं।”
36. फिर इर्दगिर्द की जितनी क़ौमें बच गई होंगी वह जान लेंगी कि मैं, रब्ब ने नए सिरे से वह कुछ तामीर किया है जो पहले ढा दिया गया था, मैं ने वीरान ज़मीन में दुबारा पौदे लगाए हैं। यह मेरा, रब्ब का फ़रमान है, और मैं यह करूँगा भी।
37. क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि एक बार फिर मैं इस्राईली क़ौम की इल्तिजाएँ सुन कर बाशिन्दों की तादाद रेवड़ की तरह बढ़ा दूँगा।
38. जिस तरह माज़ी में ईद के दिन यरूशलम में हर तरफ़ क़ुर्बानी की भेड़-बक्रियाँ नज़र आती थीं उसी तरह मुल्क के शहरों में दुबारा हुजूम के हुजूम नज़र आएँगे। तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ’।”

  Ezekiel (36/48)