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1. | रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, |
2. | “ऐ आदमज़ाद, इस्राईल के गल्लाबानों के ख़िलाफ़ नुबुव्वत कर! उन्हें बता, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि इस्राईल के गल्लाबानों पर अफ़्सोस जो सिर्फ़ अपनी ही फ़िक्र करते हैं। क्या गल्लाबान को रेवड़ की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए? |
3. | तुम भेड़-बक्रियों का दूध पीते, उन की ऊन के कपड़े पहनते और बेहतरीन जानवरों का गोश्त खाते हो। तो भी तुम रेवड़ की देख-भाल नहीं करते! |
4. | न तुम ने कमज़ोरों को तक़वियत, न बीमारों को शिफ़ा दी या ज़ख़्मियों की मर्हम-पट्टी की। न तुम आवारा फिरने वालों को वापस लाए, न गुमशुदा जानवरों को तलाश किया बल्कि सख़्ती और ज़ालिमाना तरीक़े से उन पर हुकूमत करते रहे। |
5. | गल्लाबान न होने की वजह से भेड़-बक्रियाँ तित्तर-बित्तर हो कर दरिन्दों का शिकार हो गईं। |
6. | मेरी भेड़-बक्रियाँ तमाम पहाड़ों और बुलन्द जगहों पर आवारा फिरती रहीं। सारी ज़मीन पर वह मुन्तशिर हो गईं, और कोई नहीं था जो उन्हें ढूँड कर वापस लाता। |
7. | चुनाँचे ऐ गल्लाबानो, रब्ब का जवाब सुनो! |
8. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मेरी हयात की क़सम, मेरी भेड़-बक्रियाँ लुटेरों का शिकार और तमाम दरिन्दों की ग़िज़ा बन गई हैं। उन की देख-भाल करने वाला कोई नहीं है। मेरे गल्लाबान मेरे रेवड़ को ढूँड कर वापस नहीं लाते बल्कि सिर्फ़ अपना ही ख़याल करते हैं। |
9. | चुनाँचे ऐ गल्लाबानो, रब्ब का जवाब सुनो! |
10. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं गल्लाबानों से निपट कर उन्हें अपनी भेड़-बक्रियों के लिए ज़िम्मादार ठहराऊँगा। तब मैं उन्हें गल्लाबानी की ज़िम्मादारी से फ़ारिग़ करूँगा ताकि सिर्फ़ अपना ही ख़याल करने का सिलसिला ख़त्म हो जाए। मैं अपनी भेड़-बक्रियों को उन के मुँह से निकाल कर बचाऊँगा ताकि आइन्दा वह उन्हें न खाएँ। |
11. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि आइन्दा मैं ख़ुद अपनी भेड़-बक्रियों को ढूँड कर वापस लाऊँगा, ख़ुद उन की देख-भाल करूँगा। |
12. | जिस तरह चरवाहा चारों तरफ़ बिखरी हुई अपनी भेड़-बक्रियों को इकट्ठा करके उन की देख-भाल करता है उसी तरह मैं अपनी भेड़-बक्रियों की देख-भाल करूँगा। मैं उन्हें उन तमाम मक़ामों से निकाल कर बचाऊँगा जहाँ उन्हें घने बादलों और तारीकी के दिन मुन्तशिर कर दिया गया था। |
13. | मैं उन्हें दीगर अक़्वाम और ममालिक में से निकाल कर जमा करूँगा और उन्हें उन के अपने मुल्क में वापस ला कर इस्राईल के पहाड़ों, घाटियों और तमाम आबादियों में चराऊँगा। |
14. | तब मैं अच्छी चरागाहों में उन की देख-भाल करूँगा, और वह इस्राईल की बुलन्दियों पर ही चरेंगी। वहाँ वह सरसब्ज़ मैदानों में आराम करके इस्राईल के पहाड़ों पर बेहतरीन घास चरेंगी। |
15. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं ख़ुद अपनी भेड़-बक्रियों की देख-भाल करूँगा, ख़ुद उन्हें बिठाऊँगा। |
16. | मैं गुमशुदा भेड़-बक्रियों का खोज लगाऊँगा और आवारा फिरने वालों को वापस लाऊँगा। मैं ज़ख़्मियों की मर्हम-पट्टी करूँगा और कमज़ोरों को तक़वियत दूँगा। लेकिन मोटे-ताज़े और ताक़तवर जानवरों को मैं ख़त्म करूँगा। मैं इन्साफ़ से रेवड़ की गल्लाबानी करूँगा। |
17. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि ऐ मेरे रेवड़, जहाँ भेड़ों, मेंढों और बक्रों के दर्मियान नाइन्साफ़ी है वहाँ मैं उन की अदालत करूँगा। |
18. | क्या यह तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं कि तुम्हें खाने के लिए चरागाह का बेहतरीन हिस्सा और पीने के लिए साफ़-शफ़्फ़ाफ़ पानी मिल गया है? तुम बाक़ी चरागाह को क्यूँ रौंदते और बाक़ी पानी को पाँओ से गदला करते हो? |
19. | मेरा रेवड़ क्यूँ तुम से कुचली हुई घास खाए और तुम्हारा गदला किया हुआ पानी पिए? |
20. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि जहाँ मोटी और दुबली भेड़-बक्रियों के दर्मियान नाइन्साफ़ी है वहाँ मैं ख़ुद फ़ैसला करूँगा। |
21. | क्यूँकि तुम मोटी भेड़ों ने कमज़ोरों को कंधों से धक्का दे कर और सींगों से मार मार कर अच्छी घास से भगा दिया है। |
22. | लेकिन मैं अपनी भेड़-बक्रियों को तुम से बचा लूँगा। आइन्दा उन्हें लूटा नहीं जाएगा बल्कि मैं ख़ुद उन में इन्साफ़ क़ाइम रखूँगा। |
23. | मैं उन पर एक ही गल्लाबान यानी अपने ख़ादिम दाऊद को मुक़र्रर करूँगा जो उन्हें चरा कर उन की देख-भाल करेगा। वही उन का सहीह चरवाहा रहेगा। |
24. | मैं, रब्ब उन का ख़ुदा हूँगा और मेरा ख़ादिम दाऊद उन के दर्मियान उन का हुक्मरान होगा। यह मेरा, रब्ब का फ़रमान है। |
25. | मैं इस्राईलियों के साथ सलामती का अह्द बाँध कर दरिन्दों को मुल्क से निकाल दूँगा। फिर वह हिफ़ाज़त से सो सकेंगे, ख़्वाह रेगिस्तान में हों या जंगल में। |
26. | मैं उन्हें और अपने पहाड़ के इर्दगिर्द के इलाक़े को बर्कत दूँगा। मैं मुल्क में वक़्त पर बारिश बरसाता रहूँगा। ऐसी मुबारक बारिशें होंगी |
27. | कि मुल्क के बाग़ों और खेतों में ज़बरदस्त फ़सलें पकेंगी। लोग अपने मुल्क में मह्फ़ूज़ होंगे। फिर जब मैं उन के जूए को तोड़ कर उन्हें उन से रिहाई दूँगा जिन्हों ने उन्हें ग़ुलाम बनाया था तब वह जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ। |
28. | आइन्दा न दीगर अक़्वाम उन्हें लूटेंगी, न वह दरिन्दों की ख़ुराक बनेंगे बल्कि वह हिफ़ाज़त से अपने घरों में बसेंगे। डराने वाला कोई नहीं होगा। |
29. | मेरे हुक्म पर ज़मीन ऐसी फ़सलें पैदा करेगी जिन की शुहरत दूर दूर तक फैलेगी। आइन्दा न वह भूकों मरेंगे, न उन्हें दीगर अक़्वाम की लान-तान सुननी पड़ेगी। |
30. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा फ़रमाता है कि उस वक़्त वह जान लेंगे कि मैं जो रब्ब उन का ख़ुदा हूँ उन के साथ हूँ, कि इस्राईली मेरी क़ौम हैं। |
31. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि तुम मेरा रेवड़, मेरी चरागाह की भेड़-बक्रियाँ हो। तुम मेरे लोग, और मैं तुम्हारा ख़ुदा हूँ’।” |
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