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1. | रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ, |
2. | “ऐ आदमज़ाद, नुबुव्वत करके यह पैग़ाम सुना दे, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि आह-ओ-ज़ारी करो! उस दिन पर अफ़्सोस |
3. | जो आने वाला है। क्यूँकि रब्ब का दिन क़रीब ही है। उस दिन घने बादल छा जाएँगे, और मैं अक़्वाम की अदालत करूँगा। |
4. | मिस्र पर तल्वार नाज़िल हो कर वहाँ के बाशिन्दों को मार डालेगी। मुल्क की दौलत छीन ली जाएगी, और उस की बुन्यादों को ढा दिया जाएगा। यह देख कर एथोपिया लरज़ उठेगा, |
5. | क्यूँकि उस के लोग भी तल्वार की ज़द में आ जाएँगे। कई क़ौमों के अफ़राद मिस्रियों के साथ हलाक हो जाएँगे। एथोपिया के, लिबिया के, लुदिया के, मिस्र में बसने वाले तमाम अजनबी क़ौमों के, कूब के और मेरे अह्द की क़ौम इस्राईल के लोग हलाक हो जाएँगे। |
6. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मिस्र को सहारा देने वाले सब गिर जाएँगे, और जिस ताक़त पर वह फ़ख़र करता है वह जाती रहेगी। शिमाल में मिज्दाल से ले कर जुनूबी शहर अस्वान तक उन्हें तल्वार मार डालेगी। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है। |
7. | इर्दगिर्द के दीगर ममालिक की तरह मिस्र भी वीरान-ओ-सुन्सान होगा, इर्दगिर्द के दीगर शहरों की तरह उस के शहर भी मल्बे के ढेर होंगे। |
8. | जब मैं मिस्र में यूँ आग लगा कर उस के मददगारों को कुचल डालूँगा तो लोग जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ। |
9. | अब तक एथोपिया अपने आप को मह्फ़ूज़ समझता है, लेकिन उस दिन मेरी तरफ़ से क़ासिद निकल कर उस मुल्क के बाशिन्दों को ऐसी ख़बर पहुँचाएँगे जिस से वह थरथरा उठेंगे। क्यूँकि क़ासिद कश्तियों में बैठ कर दरया-ए-नील के ज़रीए उन तक पहुँचेंगे और उन्हें इत्तिला देंगे कि मिस्र तबाह हो गया है। यह सुन कर वहाँ के लोग काँप उठेंगे। यक़ीन करो, यह दिन जल्द ही आने वाला है। |
10. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि शाह-ए-बाबल नबूकद्नज़्ज़र के ज़रीए मैं मिस्र की शान-ओ-शौकत छीन लूँगा। |
11. | उसे फ़ौज समेत मिस्र में लाया जाएगा ताकि उसे तबाह करे। तब अक़्वाम में से सब से ज़ालिम यह लोग अपनी तल्वारों को चला कर मुल्क को मक़्तूलों से भर देंगे। |
12. | मैं दरया-ए-नील की शाख़ों को ख़ुश्क करूँगा और मिस्र को फ़रोख़्त करके शरीर आदमियों के हवाले कर दूँगा। परदेसियों के ज़रीए मैं मुल्क और जो कुछ भी उस में है तबाह कर दूँगा। यह मेरा, रब्ब का फ़रमान है। |
13. | रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं मिस्री बुतों को बर्बाद करूँगा और मेम्फ़िस के मुजस्समे हटा दूँगा। मिस्र में हुक्मरान नहीं रहेगा, और मैं मुल्क पर ख़ौफ़ तारी करूँगा। |
14. | मेरे हुक्म पर जुनूबी मिस्र बर्बाद और ज़ुअन नज़र-ए-आतिश होगा। मैं थीबस की अदालत |
15. | और मिस्री क़िलए पलूसियम पर अपना ग़ज़ब नाज़िल करूँगा। हाँ, थीबस की शान-ओ-शौकत नेस्त-ओ-नाबूद हो जाएगी। |
16. | मैं मिस्र को नज़र-ए-आतिश करूँगा। तब पलूसियम दर्द-ए-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेच-ओ-ताब खाएगा, थीबस दुश्मन के क़ब्ज़े में आएगा और मेम्फ़िस मुसल्सल मुसीबत में फंसा रहेगा। |
17. | दुश्मन की तल्वार हीलियोपुलिस और बूबस्तिस के जवानों को मार डालेगी जबकि बची हुई औरतें ग़ुलाम बन कर जिलावतन हो जाएँगी। |
18. | तह्फ़न्हीस में दिन तारीक हो जाएगा जब मैं वहाँ मिस्र के जूए को तोड़ दूँगा। वहीं उस की ज़बरदस्त ताक़त जाती रहेगी। घना बादल शहर पर छा जाएगा, और गिर्द-ओ-नवाह की आबादियाँ क़ैदी बन कर जिलावतन हो जाएँगी। |
19. | यूँ मैं मिस्र की अदालत करूँगा और वह जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ’।” |
20. | यहूयाकीन बादशाह की जिलावतनी के ग्यारवें साल में रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ। पहले महीने का सातवाँ दिन था। उस ने फ़रमाया था, |
21. | “ऐ आदमज़ाद, मैं ने मिस्री बादशाह फ़िरऔन का बाज़ू तोड़ डाला है। शिफ़ा पाने के लिए लाज़िम था कि बाज़ू पर पट्टी बाँधी जाए, कि टूटी हुई हड्डी के साथ खपच्ची बाँधी जाए ताकि बाज़ू मज़्बूत हो कर तल्वार चलाने के क़ाबिल हो जाए। लेकिन इस क़िस्म का इलाज हुआ नहीं। |
22. | चुनाँचे रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं मिस्री बादशाह फ़िरऔन से निपट कर उस के दोनों बाज़ूओं को तोड़ डालूँगा, सेहतमन्द बाज़ू को भी और टूटे हुए को भी। तब तल्वार उस के हाथ से गिर जाएगी |
23. | और मैं मिस्रियों को मुख़्तलिफ़ अक़्वाम-ओ-ममालिक में मुन्तशिर कर दूँगा। |
24. | मैं शाह-ए-बाबल के बाज़ूओं को तक़वियत दे कर उसे अपनी ही तल्वार पकड़ा दूँगा। लेकिन फ़िरऔन के बाज़ूओं को मैं तोड़ डालूँगा, और वह शाह-ए-बाबल के सामने मरने वाले ज़ख़्मी आदमी की तरह कराह उठेगा। |
25. | शाह-ए-बाबल के बाज़ूओं को मैं तक़वियत दूँगा जबकि फ़िरऔन के बाज़ू बेहिस्स-ओ-हर्कत हो जाएँगे। जिस वक़्त मैं अपनी तल्वार को शाह-ए-बाबल को पकड़ा दूँगा और वह उसे मिस्र के ख़िलाफ़ चलाएगा उस वक़्त लोग जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ। |
26. | हाँ, जिस वक़्त मैं मिस्रियों को दीगर अक़्वाम-ओ-ममालिक में मुन्तशिर कर दूँगा उस वक़्त वह जान लेंगे कि मैं ही रब्ब हूँ।” |
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