Ezekiel (19/48)  

1. ऐ नबी, इस्राईल के रईसों पर मातमी गीत गा,
2. ‘तेरी माँ कितनी ज़बरदस्त शेरनी थी। जवान शेरबबरों के दर्मियान ही अपना घर बना कर उस ने अपने बच्चों को पाल लिया।
3. एक बच्चे को उस ने ख़ास तर्बियत दी। जब बड़ा हुआ तो जानवरों को फाड़ना सीख लिया, बल्कि इन्सान भी उस की ख़ुराक बन गए।
4. इस की ख़बर दीगर अक़्वाम तक पहुँची तो उन्हों ने उसे अपने गढ़े में पकड़ लिया। वह उस की नाक में काँटे डाल कर उसे मिस्र में घसीट ले गए।
5. जब शेरनी के इस बच्चे पर से उम्मीद जाती रही तो उस ने दीगर बच्चों में से एक को चुन कर उसे ख़ास तर्बियत दी।
6. यह भी ताक़तवर हो कर दीगर शेरों में घूमने फिरने लगा। उस ने जानवरों को फाड़ना सीख लिया, बल्कि इन्सान भी उस की ख़ुराक बन गए।
7. उन के क़िलओं को गिरा कर उस ने उन के शहरों को ख़ाक में मिला दिया। उस की दहाड़ती आवाज़ से मुल्क बाशिन्दों समेत ख़ौफ़ज़दा हो गया।
8. तब इर्दगिर्द के सूबों में बसने वाली अक़्वाम उस से लड़ने आईं। उन्हों ने अपना जाल उस पर डाल दिया, उसे अपने गढ़े में पकड़ लिया।
9. वह उस की गर्दन में पट्टा और नाक में काँटे डाल कर उसे शाह-ए-बाबल के पास घसीट ले गए। वहाँ उसे क़ैद में डाला गया ताकि आइन्दा इस्राईल के पहाड़ों पर उस की गरजती आवाज़ सुनाई न दे।
10. तेरी माँ पानी के किनारे लगाई गई अंगूर की सी बेल थी। बेल कस्रत के पानी के बाइस फलदार और शाख़दार थी।
11. उस की शाख़ें इतनी मज़्बूत थीं कि उन से शाही असा बन सकते थे। वह बाक़ी पौदों से कहीं ज़ियादा ऊँची थी बल्कि उस की शाख़ें दूर दूर तक नज़र आती थीं।
12. लेकिन आख़िरकार लोगों ने तैश में आ कर उसे उखाड़ कर फैंक दिया। मशरिक़ी लू ने उस का फल मुरझाने दिया। सब कुछ उतारा गया, लिहाज़ा वह सूख गया और उस का मज़्बूत तना नज़र-ए-आतिश हुआ।
13. अब बेल को रेगिस्तान में लगाया गया है, वहाँ जहाँ ख़ुश्क और पियासी ज़मीन होती है।
14. उस के तने की एक टहनी से आग ने निकल कर उस का फल भस्म कर दिया। अब कोई मज़्बूत शाख़ नहीं रही जिस से शाही असा बन सके’।” दर्ज-ए-बाला गीत मातमी है और आह-ओ-ज़ारी करने के लिए इस्तेमाल हुआ है।

  Ezekiel (19/48)