Ezekiel (13/48)  

1. रब्ब मुझ से हमकलाम हुआ,
2. “ऐ आदमज़ाद, इस्राईल के नाम-निहाद नबियों के ख़िलाफ़ नुबुव्वत कर! जो नुबुव्वत करते वक़्त अपने दिलों से उभरने वाली बातें ही पेश करते हैं, उन से कह, ‘रब्ब का फ़रमान सुनो!
3. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि उन अहमक़ नबियों पर अफ़्सोस जिन्हें अपनी ही रूह से तहरीक मिलती है और जो हक़ीक़त में रोया नहीं देखते।
4. ऐ इस्राईल, तेरे नबी खंडरात में लोमड़ियों की तरह आवारा फिर रहे हैं।
5. न कोई दीवार के रख़नों में खड़ा हुआ, न किसी ने उस की मरम्मत की ताकि इस्राईली क़ौम रब्ब के उस दिन क़ाइम रह सके जब जंग छिड़ जाएगी।
6. उन की रोयाएँ धोका ही धोका, उन की पेशगोइयाँ झूट ही झूट हैं। वह कहते हैं, “रब्ब फ़रमाता है” गो रब्ब ने उन्हें नहीं भेजा। ताज्जुब की बात है कि तो भी वह तवक़्क़ो करते हैं कि मैं उन की पेशगोइयाँ पूरी होने दूँ!
7. हक़ीक़त में तुम्हारी रोयाएँ धोका ही धोका और तुम्हारी पेशगोइयाँ झूट ही झूट हैं। तो भी तुम कहते हो, “रब्ब फ़रमाता है” हालाँकि मैं ने कुछ नहीं फ़रमाया।
8. चुनाँचे रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तुम्हारी फ़रेबदिह बातों और झूटी रोयाओं की वजह से तुम से निपट लूँगा। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।
9. मैं अपना हाथ उन नबियों के ख़िलाफ़ बढ़ा दूँगा जो धोके की रोयाएँ देखते और झूटी पेशगोइयाँ सुनाते हैं। न वह मेरी क़ौम की मजलिस में शरीक होंगे, न इस्राईली क़ौम की फ़हरिस्तों में दर्ज होंगे। मुल्क-ए-इस्राईल में वह कभी दाख़िल नहीं होंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ हूँ।
10. वह मेरी क़ौम को ग़लत राह पर ला कर अम्न-ओ-अमान का एलान करते हैं अगरचि अम्न-ओ-अमान है नहीं। जब क़ौम अपने लिए कच्ची सी दीवार बना लेती है तो यह नबी उस पर सफेदी फेर देते हैं।
11. लेकिन ऐ सफेदी करने वालो, ख़बरदार! यह दीवार गिर जाएगी। मूसलाधार बारिश बरसेगी, ओले पड़ेंगे और सख़्त आँधी उस पर टूट पड़ेगी।
12. तब दीवार गिर जाएगी, और लोग तन्ज़न तुम से पूछेंगे कि अब वह सफेदी कहाँ है जो तुम ने दीवार पर फेरी थी?
13. रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तैश में आ कर दीवार पर ज़बरदस्त आँधी आने दूँगा, ग़ुस्से में उस पर मूसलाधार बारिश और मुहलक ओले बरसा दूँगा।
14. मैं उस दीवार को ढा दूँगा जिस पर तुम ने सफेदी फेरी थी, उसे ख़ाक में यूँ मिला दूँगा कि उस की बुन्याद नज़र आएगी। और जब वह गिर जाएगी तो तुम भी उस की ज़द में आ कर तबाह हो जाओगे। तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब्ब हूँ।
15. यूँ मैं दीवार और उस की सफेदी करने वालों पर अपना ग़ुस्सा उतारूँगा। तब मैं तुम से कहूँगा कि दीवार भी ख़त्म है और उस की सफेदी करने वाले भी,
16. यानी इस्राईल के वह नबी जिन्हों ने यरूशलम को ऐसी पेशगोइयाँ और रोयाएँ सुनाईं जिन के मुताबिक़ अम्न-ओ-अमान का दौर क़रीब ही है, हालाँकि अम्न-ओ-अमान का इम्कान ही नहीं। यह रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ का फ़रमान है।’
17. ऐ आदमज़ाद, अब अपनी क़ौम की उन बेटियों का सामना कर जो नुबुव्वत करते वक़्त वही बातें पेश करती हैं जो उन के दिलों से उभर आती हैं। उन के ख़िलाफ़ नुबुव्वत करके
18. कह, ‘रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि उन औरतों पर अफ़्सोस जो तमाम लोगों के लिए कलाई से बाँधने वाले तावीज़ सी लेती हैं, जो लोगों को फंसाने के लिए छोटों और बड़ों के सरों के लिए पर्दे बना लेती हैं। ऐ औरतो, क्या तुम वाक़ई समझती हो कि मेरी क़ौम में से बाज़ को फाँस सकती और बाज़ को अपने लिए ज़िन्दा छोड़ सकती हो?
19. मेरी क़ौम के दर्मियान ही तुम ने मेरी बेहुरमती की, और यह सिर्फ़ चन्द एक मुट्ठी भर जौ और रोटी के दो चार टुकड़ों के लिए। अफ़्सोस, मेरी क़ौम झूट सुनना पसन्द करती है। इस से फ़ाइदा उठा कर तुम ने उसे झूट पेश करके उन्हें मार डाला जिन्हें मरना नहीं था और उन्हें ज़िन्दा छोड़ा जिन्हें ज़िन्दा नहीं रहना था।
20. इस लिए रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है कि मैं तुम्हारे तावीज़ों से निपट लूँगा जिन के ज़रीए तुम लोगों को परिन्दों की तरह पकड़ लेती हो। मैं जादूगरी की यह चीज़ें तुम्हारे बाज़ूओं से नोच कर फाड़ डालूँगा और उन्हें रिहा करूँगा जिन्हें तुम ने परिन्दों की तरह पकड़ लिया है।
21. मैं तुम्हारे पर्दों को फाड़ कर हटा लूँगा और अपनी क़ौम को तुम्हारे हाथों से बचा लूँगा। आइन्दा वह तुम्हारा शिकार नहीं रहेगी। तब तुम जान लोगी कि मैं ही रब्ब हूँ।
22. तुम ने अपने झूट से रास्तबाज़ों को दुख पहुँचाया, हालाँकि यह दुख मेरी तरफ़ से नहीं था। साथ साथ तुम ने बेदीनों की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह अपनी बुरी राहों से बाज़ न आएँ, हालाँकि वह बाज़ आने से बच जाते।
23. इस लिए आइन्दा न तुम फ़रेबदिह रोया देखोगी, न दूसरों की क़िस्मत का हाल बताओगी। मैं अपनी क़ौम को तुम्हारे हाथों से छुटकारा दूँगा। तब तुम जान लोगी कि मैं ही रब्ब हूँ’।”

  Ezekiel (13/48)