Exodus (39/40)  

1. बज़लीएल की हिदायत पर कारीगरों ने नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा ले कर मक़्दिस में ख़िदमत के लिए लिबास बनाए। उन्हों ने हारून के मुक़द्दस कपड़े उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ बनाए जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
2. उन्हों ने इमाम-ए-आज़म का बालापोश बनाने के लिए सोना, नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया।
3. उन्हों ने सोने को कूट कूट कर वर्क़ बनाया और फिर उसे काट कर धागे बनाए। जब नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से कपड़ा बनाया गया तो सोने का यह धागा महारत से कड़ाई के काम में इस्तेमाल हुआ।
4. उन्हों ने बालापोश के लिए दो पट्टियाँ बनाईं और उन्हें बालापोश के कंधों पर रख कर सामने और पीछे से बालापोश के साथ लगाइं।
5. पटका भी बनाया गया जिस से बालापोश को बाँधा जाता था। इस के लिए भी सोना, नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल हुआ। यह उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
6. फिर उन्हों ने अक़ीक़-ए-अह्मर के दो पत्थर चुन लिए और उन्हें सोने के ख़ानों में जड़ कर उन पर इस्राईल के बारह बेटों के नाम कन्दा किए। यह नाम जौहरों पर उस तरह कन्दा किए गए जिस तरह मुहर कन्दा की जाती है।
7. उन्हों ने पत्थरों को बालापोश की दो पट्टियों पर यूँ लगाया कि वह हारून के कंधों पर रब्ब को इस्राईलियों की याद दिलाते रहें। यह सब कुछ रब्ब की दी गई हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ।
8. इस के बाद उन्हों ने सीने का कीसा बनाया। यह माहिर कारीगर का काम था और उन ही चीज़ों से बना जिन से हारून का बालापोश भी बना था यानी सोने और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से।
9. जब कपड़े को एक दफ़ा तह किया गया तो कीसे की लम्बाई और चौड़ाई नौ नौ इंच थी।
10. उन्हों ने उस पर चार क़तारों में जवाहिर जड़े। हर क़तार में तीन तीन जौहर थे। पहली क़तार में लाल, ज़बर्जद और ज़ुमुर्रद।
11. दूसरी में फ़ीरोज़ा, संग-ए-लाजवर्द और हज्र-उल-क़मर।
12. तीसरी में ज़रक़ोन, अक़ीक़ और याक़ूत-ए-अर्ग़वानी।
13. चौथी में पुखराज, अक़ीक़-ए-अह्मर और यशब। हर जौहर सोने के ख़ाने में जड़ा हुआ था।
14. यह बारह जवाहिर इस्राईल के बारह क़बीलों की नुमाइन्दगी करते थे। एक एक जौहर पर एक क़बीले का नाम कन्दा किया गया, और यह नाम उस तरह कन्दा किए गए जिस तरह मुहर कन्दा की जाती है।
15. अब उन्हों ने सीने के कीसे के लिए ख़ालिस सोने की दो ज़न्जीरें बनाईं जो डोरी की तरह गुंधी हुई थीं।
16. साथ साथ उन्हों ने सोने के दो ख़ाने और दो कड़े भी बनाए। उन्हों ने यह कड़े कीसे के ऊपर के दो कोनों पर लगाए।
17. फिर दोनों ज़न्जीरें उन दो कड़ों के साथ लगाई गईं।
18. उन के दूसरे सिरे बालापोश की कंधों वाली पट्टियों के दो ख़ानों के साथ जोड़ दिए गए, फिर सामने की तरफ़ लगाए गए।
19. उन्हों ने कीसे के निचले दो कोनों पर भी सोने के दो कड़े लगाए। वह अन्दर, बालापोश की तरफ़ लगे थे।
20. अब उन्हों ने दो और कड़े बना कर बालापोश की कंधों वाली पट्टियों पर लगाए। यह भी सामने की तरफ़ लगे थे लेकिन नीचे, बालापोश के पटके के ऊपर ही।
21. उन्हों ने सीने के कीसे के निचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के इन निचले कड़ों के साथ बाँधे। यूँ कीसा पटके के ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा रहा। यह उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
22. फिर कारीगरों ने चोग़ा बुना। वह पूरी तरह नीले धागे से बनाया गया। चोग़े को बालापोश से पहले पहनना था।
23. उस के गिरीबान को बुने हुए कालर से मज़्बूत किया गया ताकि वह न फटे।
24. उन्हों ने नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे से अनार बना कर उन्हें चोग़े के दामन में लगा दिया।
25. उन के दर्मियान ख़ालिस सोने की घंटियाँ लगाई गईं।
26. दामन में अनार और घंटियाँ बारी बारी लगाई गईं। लाज़िम था कि हारून ख़िदमत करने के लिए हमेशा यह चोग़ा पहने। रब्ब ने मूसा को यही हुक्म दिया था।
27. कारीगरों ने हारून और उस के बेटों के लिए बारीक कतान के ज़ेरजामे बनाए। यह बुनने वाले का काम था।
28. साथ साथ उन्हों ने बारीक कतान की पगड़ियाँ और बारीक कतान के पाजामे बनाए।
29. कमरबन्द को बारीक कतान और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे से बनाया गया। कड़ाई करने वालों ने इस पर काम किया। सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
30. उन्हों ने मुक़द्दस ताज यानी ख़ालिस सोने की तख़्ती बनाई और उस पर यह अल्फ़ाज़ कन्दा किए, ‘रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस।’
31. फिर उन्हों ने इसे नीली डोरी से पगड़ी के सामने वाले हिस्से से लगा दिया। यह भी उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
32. आख़िरकार मक़्दिस का काम मुकम्मल हुआ। इस्राईलियों ने सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया था जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
33. वह मक़्दिस की तमाम चीज़ें मूसा के पास ले आए यानी मुक़द्दस ख़ैमा और उस का सारा सामान, उस की हुकें, दीवारों के तख़्ते, शहतीर, सतून और पाए,
34. ख़ैमे पर मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालों का ग़िलाफ़ और तख़स की खालों का ग़िलाफ़, मुक़द्दसतरीन कमरे के दरवाज़े का पर्दा,
35. अह्द का सन्दूक़ जिस में शरीअत की तख़्तियाँ रखनी थीं, उसे उठाने की लकड़ियाँ और उस का ढकना,
36. मख़्सूस रोटियों की मेज़, उस का सारा सामान और रोटियाँ,
37. ख़ालिस सोने का शमादान और उस पर रखने के चराग़ उस के सारे सामान समेत, शमादान के लिए तेल,
38. बख़ूर जलाने की सोने की क़ुर्बानगाह, मसह का तेल, ख़ुश्बूदार बख़ूर, मुक़द्दस ख़ैमे के दरवाज़े का पर्दा,
39. जानवरों को चढ़ाने की पीतल की क़ुर्बानगाह, उस का पीतल का जंगला, उसे उठाने की लकड़ियाँ और बाक़ी सारा सामान, धोने का हौज़ और वह ढाँचा जिस पर हौज़ रखना था,
40. चारदीवारी के पर्दे उन के खम्बों और पाइयों समेत, सहन के दरवाज़े का पर्दा, चारदीवारी के रस्से और मेख़ें, मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने का बाक़ी सारा सामान
41. और मक़्दिस में ख़िदमत करने के वह मुक़द्दस लिबास जो हारून और उस के बेटों को पहनने थे।
42. सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया था जो रब्ब ने मूसा को दी थीं।
43. मूसा ने तमाम चीज़ों का मुआइना किया और मालूम किया कि उन्हों ने सब कुछ रब्ब की हिदायात के मुताबिक़ बनाया था। तब उस ने उन्हें बर्कत दी।

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