Exodus (36/40)  

1. लाज़िम है कि बज़लीएल, उहलियाब और बाक़ी कारीगर जिन को रब्ब ने मक़्दिस की तामीर के लिए हिक्मत और समझ दी है सब कुछ ऐन उन हिदायात के मुताबिक़ बनाएँ जो रब्ब ने दी हैं।”
2. मूसा ने बज़लीएल और उहलियाब को बुलाया। साथ ही उस ने हर उस कारीगर को भी बुलाया जिसे रब्ब ने मक़्दिस की तामीर के लिए हिक्मत और महारत दी थी और जो ख़ुशी से आना और यह काम करना चाहता था।
3. उन्हें मूसा से तमाम हदिए मिले जो इस्राईली मक़्दिस की तामीर के लिए लाए थे। इस के बाद भी लोग रोज़-ब-रोज़ सुब्ह के वक़्त हदिए लाते रहे।
4. आख़िरकार तमाम कारीगर जो मक़्दिस बनाने के काम में लगे थे अपना काम छोड़ कर मूसा के पास आए।
5. उन्हों ने कहा, “लोग हद्द से ज़ियादा ला रहे हैं। जिस काम का हुक्म रब्ब ने दिया है उस के लिए इतने सामान की ज़रूरत नहीं है।”
6. तब मूसा ने पूरी ख़ैमागाह में एलान करवा दिया कि कोई मर्द या औरत मक़्दिस की तामीर के लिए अब कुछ न लाए। यूँ उन्हें मज़ीद चीज़ें लाने से रोका गया,
7. क्यूँकि काम के लिए सामान ज़रूरत से ज़ियादा हो गया था।
8. जो कारीगर महारत रखते थे उन्हों ने ख़ैमे को बनाया। उन्हों ने बारीक कतान और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी धागे से दस पर्दे बनाए। पर्दों पर किसी माहिर कारीगर के कड़ाई के काम से करूबी फ़रिश्तों का डिज़ाइन बनाया गया।
9. हर पर्दे की लम्बाई 42 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट थी।
10. पाँच पर्दों के लम्बे हाशिए एक दूसरे के साथ जोड़े गए और इसी तरह बाक़ी पाँच भी। यूँ दो बड़े टुकड़े बन गए।
11. दोनों टुकड़ों को एक दूसरे के साथ मिलाने के लिए उन्हों ने नीले धागे के हल्क़े बनाए। यह हल्क़े हर टुकड़े के 42 फ़ुट वाले एक किनारे पर लगाए गए,
12. एक टुकड़े के हाशिए पर 50 हल्क़े और दूसरे पर भी उतने ही हल्क़े। इन दो हाशियों के हल्क़े एक दूसरे के आमने-सामने थे।
13. फिर बज़लीएल ने सोने की 50 हुकें बना कर उन से आमने-सामने के हल्क़ों को एक दूसरे के साथ मिलाया। यूँ दोनों टुकड़ों के जोड़ने से ख़ैमा बन गया।
14. उस ने बक्री के बालों से भी 11 पर्दे बनाए जिन्हें कपड़े वाले ख़ैमे के ऊपर रखना था।
15. हर पर्दे की लम्बाई 45 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट थी।
16. पाँच पर्दों के लम्बे हाशिए एक दूसरे के साथ जोड़े गए और इस तरह बाक़ी छः भी।
17. इन दोनों टुकड़ों को मिलाने के लिए उस ने हर टुकड़े के 45 फ़ुट वाले एक किनारे पर पचास पचास हल्क़े लगाए।
18. फिर पीतल की 50 हुकें बना कर उस ने दोनों हिस्से मिलाए।
19. एक दूसरे के ऊपर के दोनों ख़ैमों की हिफ़ाज़त के लिए बज़लीएल ने दो और ग़िलाफ़ बनाए। बक्री के बालों के ख़ैमे पर रखने के लिए उस ने मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालें जोड़ दीं और उस के ऊपर रखने के लिए तख़स की खालें मिलाईं।
20. इस के बाद उस ने कीकर की लकड़ी के तख़्ते बनाए जो ख़ैमे की दीवारों का काम देते थे।
21. हर तख़्ते की ऊँचाई 15 फ़ुट थी और चौड़ाई सवा दो फ़ुट।
22. हर तख़्ते के नीचे दो दो चूलें थीं। इन चूलों से हर तख़्ते को उस के पाइयों के साथ जोड़ा जाता था ताकि तख़्ता खड़ा रहे।
23. ख़ैमे की जुनूबी दीवार के लिए 20 तख़्ते बनाए गए
24. और साथ ही चाँदी के 40 पाए भी जिन पर तख़्ते खड़े किए जाते थे। हर तख़्ते के नीचे दो पाए थे, और हर पाए में एक चूल लगती थी।
25. इसी तरह ख़ैमे की शिमाली दीवार के लिए भी 20 तख़्ते बनाए गए
26. और साथ ही चाँदी के 40 पाए जो तख़्तों को खड़ा करने के लिए थे। हर तख़्ते के नीचे दो पाए थे।
27. ख़ैमे की पिछली यानी मग़रिबी दीवार के लिए छः तख़्ते बनाए गए।
28. इस दीवार को शिमाली और जुनूबी दीवारों के साथ जोड़ने के लिए कोने वाले दो तख़्ते बनाए गए।
29. इन दो तख़्तों में नीचे से ले कर ऊपर तक कोना था ताकि एक से शिमाली दीवार मग़रिबी दीवार के साथ जुड़ जाए और दूसरे से जुनूबी दीवार मग़रिबी दीवार के साथ। इन के ऊपर के सिरे कड़ों से मज़्बूत किए गए।
30. यूँ पिछले यानी मग़रिबी तख़्तों की पूरी तादाद 8 थी और इन के लिए चाँदी के पाइयों की तादाद 16, हर तख़्ते के नीचे दो पाए।
31. फिर बज़लीएल ने कीकर की लकड़ी के शहतीर बनाए, तीनों दीवारों के लिए पाँच पाँच शहतीर। वह हर दीवार के तख़्तों पर यूँ लगाने के लिए थे कि उन से तख़्ते एक दूसरे के साथ मिलाए जाएँ।
32. फिर बज़लीएल ने कीकर की लकड़ी के शहतीर बनाए, तीनों दीवारों के लिए पाँच पाँच शहतीर। वह हर दीवार के तख़्तों पर यूँ लगाने के लिए थे कि उन से तख़्ते एक दूसरे के साथ मिलाए जाएँ।
33. दर्मियानी शहतीर यूँ बनाया गया कि वह दीवार की आधी ऊँचाई पर दीवार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक लग सकता था।
34. उस ने तमाम तख़्तों और शहतीरों पर सोना चढ़ाया। शहतीरों को तख़्तों के साथ लगाने के लिए उस ने सोने के कड़े बनाए जो तख़्तों में लगाने थे।
35. अब बज़लीएल ने एक और पर्दा बनाया। उस के लिए भी बारीक कतान और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग का धागा इस्तेमाल हुआ। उस पर भी किसी माहिर कारीगर के कड़ाई के काम से करूबी फ़रिश्तों का डिज़ाइन बनाया गया।
36. फिर उस ने पर्दे को लटकाने के लिए कीकर की लकड़ी के चार सतून, सोने की हुकें और चाँदी के चार पाए बनाए। सतूनों पर सोना चढ़ाया गया।
37. बज़लीएल ने ख़ैमे के दरवाज़े के लिए भी पर्दा बनाया। वह भी बारीक कतान और नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे से बनाया गया, और उस पर कड़ाई का काम किया गया।
38. इस पर्दे को लटकाने के लिए उस ने सोने की हुकें और कीकर की लकड़ी के पाँच सतून बनाए। सतूनों के ऊपर के सिरों और पट्टियों पर सोना चढ़ाया गया जबकि उन के पाए पीतल के थे।

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