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1. | तब अल्लाह ने यह तमाम बातें फ़रमाईं, |
2. | “मैं रब्ब तेरा ख़ुदा हूँ जो तुझे मुल्क-ए-मिस्र की ग़ुलामी से निकाल लाया। |
3. | मेरे सिवा किसी और माबूद की परस्तिश न करना। |
4. | अपने लिए बुत न बनाना। किसी भी चीज़ की मूरत न बनाना, चाहे वह आस्मान में, ज़मीन पर या समुन्दर में हो। |
5. | न बुतों की परस्तिश, न उन की ख़िदमत करना, क्यूँकि मैं तेरा रब्ब ग़यूर ख़ुदा हूँ। जो मुझ से नफ़रत करते हैं उन्हें मैं तीसरी और चौथी पुश्त तक सज़ा दूँगा। |
6. | लेकिन जो मुझ से मुहब्बत रखते और मेरे अह्काम पूरे करते हैं उन पर मैं हज़ार पुश्तों तक मेहरबानी करूँगा। |
7. | रब्ब अपने ख़ुदा का नाम बेमक़्सद या ग़लत मक़्सद के लिए इस्तेमाल न करना। जो भी ऐसा करता है उसे रब्ब सज़ा दिए बग़ैर नहीं छोड़ेगा। |
8. | सबत के दिन का ख़याल रखना। उसे इस तरह मनाना कि वह मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हो। |
9. | हफ़्ते के पहले छः दिन अपना काम-काज कर, |
10. | लेकिन सातवाँ दिन रब्ब तेरे ख़ुदा का आराम का दिन है। उस दिन किसी तरह का काम न करना। न तू, न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा नौकर, न तेरी नौकरानी और न तेरे मवेशी। जो परदेसी तेरे दर्मियान रहता है वह भी काम न करे। |
11. | क्यूँकि रब्ब ने पहले छः दिन में आस्मान-ओ-ज़मीन, समुन्दर और जो कुछ उन में है बनाया लेकिन सातवें दिन आराम किया। इस लिए रब्ब ने सबत के दिन को बर्कत दे कर मुक़र्रर किया कि वह मख़्सूस और मुक़द्दस हो। |
12. | अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना। फिर तू उस मुल्क में जो रब्ब तेरा ख़ुदा तुझे देने वाला है देर तक जीता रहेगा। |
13. | क़त्ल न करना। |
14. | ज़िना न करना। |
15. | चोरी न करना। |
16. | अपने पड़ोसी के बारे में झूटी गवाही न देना। |
17. | अपने पड़ोसी के घर का लालच न करना। न उस की बीवी का, न उस के नौकर का, न उस की नौकरानी का, न उस के बैल और न उस के गधे का बल्कि उस की किसी भी चीज़ का लालच न करना।” |
18. | जब बाक़ी तमाम लोगों ने बादल की गरज और नरसिंगे की आवाज़ सुनी और बिजली की चमक और पहाड़ से उठते हुए धुएँ को देखा तो वह ख़ौफ़ के मारे काँपने लगे और पहाड़ से दूर खड़े हो गए। |
19. | उन्हों ने मूसा से कहा, “आप ही हम से बात करें तो हम सुनेंगे। लेकिन अल्लाह को हम से बात न करने दें वर्ना हम मर जाएँगे।” |
20. | लेकिन मूसा ने उन से कहा, “मत डरो, क्यूँकि रब्ब तुम्हें जाँचने के लिए आया है, ताकि उस का ख़ौफ़ तुम्हारी आँखों के सामने रहे और तुम गुनाह न करो।” |
21. | लोग दूर ही रहे जबकि मूसा उस गहरी तारीकी के क़रीब गया जहाँ अल्लाह था। |
22. | तब रब्ब ने मूसा से कहा, “इस्राईलियों को बता, ‘तुम ने ख़ुद देखा कि मैं ने आस्मान पर से तुम्हारे साथ बातें की हैं। |
23. | चुनाँचे मेरी परस्तिश के साथ साथ अपने लिए सोने या चाँदी के बुत न बनाओ। |
24. | मेरे लिए मिट्टी की क़ुर्बानगाह बना कर उस पर अपनी भेड़-बक्रियों और गाय-बैलों की भस्म होने वाली और सलामती की क़ुर्बानियाँ चढ़ाना। मैं तुझे वह जगहें दिखाऊँगा जहाँ मेरे नाम की ताज़ीम में क़ुर्बानियाँ पेश करनी हैं। ऐसी तमाम जगहों पर मैं तेरे पास आ कर तुझे बर्कत दूँगा। |
25. | अगर तू मेरे लिए क़ुर्बानगाह बनाने की ख़ातिर पत्थर इस्तेमाल करना चाहे तो तराशे हुए पत्थर इस्तेमाल न करना। क्यूँकि तू तराशने के लिए इस्तेमाल होने वाले औज़ार से उस की बेहुरमती करेगा। |
26. | क़ुर्बानगाह को सीढ़ियों के बग़ैर बनाना है ताकि उस पर चढ़ने से तेरे लिबास के नीचे से तेरा नंगापन नज़र न आए।’ |
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