Esther (6/10)  

1. उस रात बादशाह को नींद न आई, इस लिए उस ने हुक्म दिया कि वह किताब लाई जाए जिस में रोज़ाना हुकूमत के अहम वाक़िआत लिखे जाते हैं। उस में से पढ़ा गया
2. तो इस का भी ज़िक्र हुआ कि मर्दकी ने किस तरह बादशाह को दोनों ख़्वाजासराओं बिग्ताना और तरश के हाथ से बचाया था, कि जब शाही कमरों के इन पहरेदारों ने अख़स्वेरुस को क़त्ल करने की साज़िश की तो मर्दकी ने बादशाह को इत्तिला दी थी।
3. जब यह वाक़िआ पढ़ा गया तो बादशाह ने पूछा, “इस के इवज़ मर्दकी को क्या एज़ाज़ दिया गया?” मुलाज़िमों ने जवाब दिया, “कुछ भी नहीं दिया गया।”
4. उसी लम्हे हामान महल के बैरूनी सहन में आ पहुँचा था ताकि बादशाह से मर्दकी को उस सूली से लटकाने की इजाज़त माँगे जो उस ने उस के लिए बनवाई थी। बादशाह ने सवाल किया, “बाहर सहन में कौन है?”
5. मुलाज़िमों ने जवाब दिया, “हामान है।” बादशाह ने हुक्म दिया, “उसे अन्दर आने दो।”
6. हामान दाख़िल हुआ तो बादशाह ने उस से पूछा, “उस आदमी के लिए क्या किया जाए जिस की बादशाह ख़ास इज़्ज़त करना चाहे?” हामान ने सोचा, “वह मेरी ही बात कर रहा है! क्यूँकि मेरी निस्बत कौन है जिस की बादशाह ज़ियादा इज़्ज़त करना चाहता है?”
7. चुनाँचे उस ने जवाब दिया, “जिस आदमी की बादशाह ख़ास इज़्ज़त करना चाहें
8. उस के लिए शाही लिबास चुना जाए जो बादशाह ख़ुद पहन चुके हों। एक घोड़ा भी लाया जाए जिस का सर शाही सजावट से सजा हुआ हो और जिस पर बादशाह ख़ुद सवार हो चुके हों।
9. यह लिबास और घोड़ा बादशाह के आलातरीन अफ़्सरों में से एक के सपुर्द किया जाए। वही उस शख़्स को जिस की बादशाह ख़ास इज़्ज़त करना चाहते हैं कपड़े पहनाए और उसे घोड़े पर बिठा कर शहर के चौक में से गुज़ारे। साथ साथ वह उस के आगे आगे चल कर एलान करे, ‘यही उस के साथ किया जाता है जिस की इज़्ज़त बादशाह करना चाहते हैं’।”
10. अख़स्वेरुस ने हामान से कहा, “फिर जल्दी करें, मर्दकी यहूदी शाही सहन के दरवाज़े के पास बैठा है। शाही लिबास और घोड़ा मंगवा कर उस के साथ ऐसा ही सुलूक करें। जो भी करने का मश्वरा आप ने दिया वही कुछ करें, और ध्यान दें कि इस में किसी भी चीज़ की कमी न हो!”
11. हामान को ऐसा ही करना पड़ा। शाही लिबास को चुन कर उस ने उसे मर्दकी को पहना दिया। फिर उसे बादशाह के अपने घोड़े पर बिठा कर उस ने उसे शहर के चौक में से गुज़ारा। साथ साथ वह उस के आगे आगे चल कर एलान करता रहा, “यही उस शख़्स के साथ किया जाता है जिस की इज़्ज़त बादशाह करना चाहता है।”
12. फिर मर्दकी शाही सहन के दरवाज़े के पास वापस आया। लेकिन हामान उदास हो कर जल्दी से अपने घर चला गया। शर्म के मारे उस ने मुँह पर कपड़ा डाल लिया था।
13. उस ने अपनी बीवी ज़रिश और अपने दोस्तों को सब कुछ सुनाया जो उस के साथ हुआ था। तब उस के मुशीरों और बीवी ने उस से कहा, “आप का बेड़ा ग़र्क़ हो गया है, क्यूँकि मर्दकी यहूदी है और आप उस के सामने शिकस्त खाने लगे हैं। आप उस का मुक़ाबला नहीं कर सकेंगे।”
14. वह अभी उस से बात कर ही रहे थे कि बादशाह के ख़्वाजासरा पहुँच गए और उसे ले कर जल्दी जल्दी आस्तर के पास पहुँचाया। ज़ियाफ़त तय्यार थी।

  Esther (6/10)