Ephesians (3/6)  

1. इस वजह से मैं पौलुस जो आप ग़ैरयहूदियों की ख़ातिर मसीह ईसा का क़ैदी हूँ अल्लाह से दुआ करता हूँ।
2. आप ने तो सुन लिया है कि मुझे आप में अल्लाह के फ़ज़्ल का इन्तिज़ाम चलाने की ख़ास ज़िम्मादारी दी गई है।
3. जिस तरह मैं ने पहले ही मुख़्तसर तौर पर लिखा है, अल्लाह ने ख़ुद मुझ पर यह राज़ ज़ाहिर कर दिया।
4. जब आप वह पढ़ेंगे जो मैं ने लिखा तो आप जान लेंगे कि मुझे मसीह के राज़ के बारे में क्या क्या समझ आई है।
5. गुज़रे ज़मानों में अल्लाह ने यह बात ज़ाहिर नहीं की, लेकिन अब उस ने इसे रूह-उल-क़ुद्स के ज़रीए अपने मुक़द्दस रसूलों और नबियों पर ज़ाहिर कर दिया।
6. और अल्लाह का राज़ यह है कि उस की ख़ुशख़बरी के ज़रीए ग़ैरयहूदी इस्राईल के साथ आस्मानी बादशाही के वारिस, एक ही बदन के आज़ा और उसी वादे में शरीक हैं जो अल्लाह ने मसीह ईसा में किया है।
7. मैं अल्लाह के मुफ़्त फ़ज़्ल और उस की क़ुद्रत के इज़्हार से ख़ुशख़बरी का ख़ादिम बन गया।
8. अगरचि मैं अल्लाह के तमाम मुक़द्दसीन से कमतर हूँ तो भी उस ने मुझे यह फ़ज़्ल बख़्शा कि मैं ग़ैरयहूदियों को उस ला-मह्दूद दौलत की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ जो मसीह में दस्तयाब है।
9. यही मेरी ज़िम्मादारी बन गई कि मैं सब पर उस राज़ का इन्तिज़ाम ज़ाहिर करूँ जो गुज़रे ज़मानों में सब चीज़ों के ख़ालिक़ ख़ुदा में पोशीदा रहा।
10. क्यूँकि अल्लाह चाहता था कि अब मसीह की जमाअत ही आस्मानी हुक्मरानों और कुव्वतों को अल्लाह की वसी हिक्मत के बारे में इल्म पहुँचाए।
11. यही उस का अज़ली मन्सूबा था जो उस ने हमारे ख़ुदावन्द मसीह ईसा के वसीले से तक्मील तक पहुँचाया।
12. उस में और उस पर ईमान रख कर हम पूरी आज़ादी और एतिमाद के साथ अल्लाह के हुज़ूर आ सकते हैं।
13. इस लिए मेरी आप से गुज़ारिश है कि आप मेरी मुसीबतें देख कर बेदिल न हो जाएँ। यह मैं आप की ख़ातिर बर्दाश्त कर रहा हूँ, और यह आप की इज़्ज़त का बाइस हैं।
14. इस वजह से मैं बाप के हुज़ूर अपने घुटने टेकता हूँ,
15. उस बाप के सामने जिस से आस्मान-ओ-ज़मीन का हर ख़ान्दान नामज़द है।
16. मेरी दुआ है कि वह अपने जलाल की दौलत के मुवाफ़िक़ यह बख़्शे कि आप उस के रूह के वसीले से बातिनी तौर पर ज़बरदस्त तक़वियत पाएँ,
17. कि मसीह ईमान के ज़रीए आप के दिलों में सुकूनत करे। हाँ, मेरी दुआ है कि आप मुहब्बत में जड़ पकड़ें और इस बुन्याद पर ज़िन्दगी यूँ गुज़ारें
18. कि आप बाक़ी तमाम मुक़द्दसीन के साथ यह समझने के क़ाबिल बन जाएँ कि मसीह की मुहब्बत कितनी चौड़ी, कितनी लम्बी, कितनी ऊँची और कितनी गहरी है।
19. ख़ुदा करे कि आप मसीह की यह मुहब्बत जान लें जो हर इल्म से कहीं अफ़्ज़ल है और यूँ अल्लाह की पूरी मामूरी से भर जाएँ।
20. अल्लाह की तम्जीद हो जो अपनी उस क़ुद्रत के मुवाफ़िक़ जो हम में काम कर रही है ऐसा ज़बरदस्त काम कर सकता है जो हमारी हर सोच और दुआ से कहीं बाहर है।
21. हाँ, मसीह ईसा और उस की जमाअत में अल्लाह की तम्जीद पुश्त-दर-पुश्त और अज़ल से अबद तक होती रहे। आमीन।

  Ephesians (3/6)