Ephesians (1/6) → |
1. | यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है, जो अल्लाह की मर्ज़ी से मसीह ईसा का रसूल है। मैं इफ़िसुस शहर के मुक़द्दसीन को लिख रहा हूँ, उन्हें जो मसीह ईसा में ईमानदार हैं। |
2. | ख़ुदा हमारा बाप और ख़ुदावन्द ईसा मसीह आप को फ़ज़्ल और सलामती बख़्शें। |
3. | ख़ुदा हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के बाप की हम्द-ओ-सना हो! क्यूँकि मसीह में उस ने हमें आस्मान पर हर रुहानी बर्कत से नवाज़ा है। |
4. | दुनिया की तख़्लीक़ से पेशतर ही उस ने मसीह में हमें चुन लिया ताकि हम मुक़द्दस और बेऐब हालत में उस के सामने ज़िन्दगी गुज़ारें। यह कितनी अज़ीम मुहब्बत थी! |
5. | पहले ही से उस ने फ़ैसला कर लिया कि वह हमें मसीह में अपने बेटे-बेटियाँ बना लेगा। यही उस की मर्ज़ी और ख़ुशी थी |
6. | ताकि हम उस के जलाली फ़ज़्ल की तम्जीद करें, उस मुफ़्त नेमत के लिए जो उस ने हमें अपने पियारे फ़र्ज़न्द में दे दी। |
7. | क्यूँकि उस ने मसीह के ख़ून से हमारा फ़िद्या दे कर हमें आज़ाद और हमारे गुनाहों को मुआफ़ कर दिया है। अल्लाह का यह फ़ज़्ल कितना वसी है |
8. | जो उस ने कस्रत से हमें अता किया है। अपनी पूरी हिक्मत और दानाई का इज़्हार करके |
9. | अल्लाह ने हम पर अपनी पोशीदा मर्ज़ी ज़ाहिर कर दी, यानी वह मन्सूबा जो उसे पसन्द था और जो उस ने मसीह में पहले से बना रखा था। |
10. | मन्सूबा यह है कि जब मुक़र्ररा वक़्त आएगा तो अल्लाह मसीह में तमाम काइनात को जमा कर देगा। उस वक़्त सब कुछ मिल कर मसीह के तहत हो जाएगा, ख़्वाह वह आस्मान पर हो या ज़मीन पर। |
11. | मसीह में हम आस्मानी बादशाही के वारिस भी बन गए हैं। अल्लाह ने पहले से हमें इस के लिए मुक़र्रर किया, क्यूँकि वह सब कुछ यूँ सरअन्जाम देता है कि उस की मर्ज़ी का इरादा पूरा हो जाए। |
12. | और वह चाहता है कि हम उस के जलाल की सिताइश का बाइस बनें, हम जिन्हों ने पहले से मसीह पर उम्मीद रखी। |
13. | आप भी मसीह में हैं, क्यूँकि आप सच्चाई का कलाम और अपनी नजात की ख़ुशख़बरी सुन कर ईमान लाए। और अल्लाह ने आप पर भी रूह-उल-क़ुद्स की मुहर लगा दी जिस का वादा उस ने किया था। |
14. | रूह-उल-क़ुद्स हमारी मीरास का बैआना है। वह हमें यह ज़मानत देता है कि अल्लाह हमारा जो उस की मिल्कियत हैं फ़िद्या दे कर हमें पूरी मख़्लसी तक पहुँचाएगा। क्यूँकि हमारी ज़िन्दगी का मक़्सद यह है कि उस के जलाल की सिताइश की जाए। |
15. | भाइयो, मैं ख़ुदावन्द ईसा पर आप के ईमान और आप की तमाम मुक़द्दसीन से मुहब्बत के बारे में सुन कर |
16. | आप के लिए ख़ुदा का शुक्र करने से बाज़ नहीं आता बल्कि आप को अपनी दुआओं में याद करता रहता हूँ। |
17. | मेरी ख़ास दुआ यह है कि हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का ख़ुदा और जलाली बाप आप को दानाई और मुकाशफ़ा की रूह दे ताकि आप उसे बेहतर तौर पर जान सकें। |
18. | वह करे कि आप के दिलों की आँखें रौशन हो जाएँ। क्यूँकि फिर ही आप जान लेंगे कि यह कैसी उम्मीद है जिस के लिए उस ने आप को बुलाया है, कि यह जलाली मीरास कैसी दौलत है जो मुक़द्दसीन को हासिल है, |
19. | और कि हम ईमान रखने वालों पर उस की क़ुद्रत का इज़्हार कितना ज़बरदस्त है। यह वही बेहद क़ुद्रत है |
20. | जिस से उस ने मसीह को मुर्दों में से ज़िन्दा करके आस्मान पर अपने दहने हाथ बिठाया। |
21. | वहाँ मसीह हर हुक्मरान, इख़तियार, क़ुव्वत, हुकूमत, हाँ हर नाम से कहीं सरफ़राज़ है, ख़्वाह इस दुनिया में हो या आने वाली दुनिया में। |
22. | अल्लाह ने सब कुछ उस के पाँओ के नीचे करके उसे सब का सर बना दिया। यह उस ने अपनी जमाअत की ख़ातिर किया |
23. | जो मसीह का बदन है और जिसे मसीह से पूरी मामूरी हासिल होती है यानी उस से जो हर तरह से सब कुछ मामूर कर देता है। |
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