Ecclesiastes (5/12)  

1. अल्लाह के घर में जाते वक़्त अपने क़दमों का ख़याल रख और सुनने के लिए तय्यार रह। यह अहमक़ों की क़ुर्बानियों से कहीं बेहतर है, क्यूँकि वह जानते ही नहीं कि ग़लत काम कर रहे हैं।
2. बोलने में जल्दबाज़ी न कर, तेरा दिल अल्लाह के हुज़ूर कुछ बयान करने में जल्दी न करे। अल्लाह आस्मान पर है जबकि तू ज़मीन पर ही है। लिहाज़ा बेहतर है कि तू कम बातें करे।
3. क्यूँकि जिस तरह हद्द से ज़ियादा मेहनत-मशक़्क़त से ख़्वाब आने लगते हैं उसी तरह बहुत बातें करने से आदमी की हमाक़त ज़ाहिर होती है।
4. अगर तू अल्लाह के हुज़ूर मन्नत माने तो उसे पूरा करने में देर मत कर। वह अहमक़ों से ख़ुश नहीं होता, चुनाँचे अपनी मन्नत पूरी कर।
5. मन्नत न मानना मन्नत मान कर उसे पूरा न करने से बेहतर है।
6. अपने मुँह को इजाज़त न दे कि वह तुझे गुनाह में फंसाए, और अल्लाह के पैग़म्बर के सामने न कह, “मुझ से ग़ैरइरादी ग़लती हुई है।” क्या ज़रूरत है कि अल्लाह तेरी बात से नाराज़ हो कर तेरी मेहनत का काम तबाह करे?
7. जहाँ बहुत ख़्वाब देखे जाते हैं वहाँ फ़ुज़ूल बातें और बेशुमार अल्फ़ाज़ होते हैं। चुनाँचे अल्लाह का ख़ौफ़ मान!
8. क्या तुझे सूबे में ऐसे लोग नज़र आते हैं जो ग़रीबों पर ज़ुल्म करते, उन का हक़ मारते और उन्हें इन्साफ़ से महरूम रखते हैं? ताज्जुब न कर, क्यूँकि एक सरकारी मुलाज़िम दूसरे की निगहबानी करता है, और उन पर मज़ीद मुलाज़िम मुक़र्रर होते हैं।
9. चुनाँचे मुल्क के लिए हर लिहाज़ से फ़ाइदा इस में है कि ऐसा बादशाह उस पर हुकूमत करे जो काश्तकारी की फ़िक्र करता है।
10. जिसे पैसे पियारे हों वह कभी मुत्मइन नहीं होगा, ख़्वाह उस के पास कितने ही पैसे क्यूँ न हों। जो ज़रदोसत हो वह कभी आसूदा नहीं होगा, ख़्वाह उस के पास कितनी ही दौलत क्यूँ न हो। यह भी बातिल ही है।
11. जितना माल में इज़ाफ़ा हो उतना ही उन की तादाद बढ़ती है जो उसे खा जाते हैं। उस के मालिक को उस का क्या फ़ाइदा है सिवा-ए-इस के कि वह उसे देख देख कर मज़ा ले?
12. काम-काज करने वाले की नींद मीठी होती है, ख़्वाह उस ने कम या ज़ियादा खाना खाया हो, लेकिन अमीर की दौलत उसे सोने नहीं देती।
13. मुझे सूरज तले एक निहायत बुरी बात नज़र आई। जो दौलत किसी ने अपने लिए मह्फ़ूज़ रखी वह उस के लिए नुक़्सान का बाइस बन गई।
14. क्यूँकि जब यह दौलत किसी मुसीबत के बाइस तबाह हो गई और आदमी के हाँ बेटा पैदा हुआ तो उस के हाथ में कुछ नहीं था।
15. माँ के पेट से निकलते वक़्त वह नंगा था, और इसी तरह कूच करके चला भी जाएगा। उस की मेहनत का कोई फल नहीं होगा जिसे वह अपने साथ ले जा सके।
16. यह भी बहुत बुरी बात है कि जिस तरह इन्सान आया उसी तरह कूच करके चला भी जाता है। उसे क्या फ़ाइदा हुआ है कि उस ने हवा के लिए मेहनत-मशक़्क़त की हो?
17. जीते जी वह हर दिन तारीकी में खाना खाते हुए गुज़ारता, ज़िन्दगी भर वह बड़ी रंजीदगी, बीमारी और ग़ुस्से में मुब्तला रहता है।
18. तब मैं ने जान लिया कि इन्सान के लिए अच्छा और मुनासिब है कि वह जितने दिन अल्लाह ने उसे दिए हैं खाए पिए और सूरज तले अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल का मज़ा ले, क्यूँकि यही उस के नसीब में है।
19. क्यूँकि जब अल्लाह किसी शख़्स को माल-ओ-मता अता करके उसे इस क़ाबिल बनाए कि उस का मज़ा ले सके, अपना नसीब क़बूल कर सके और मेहनत-मशक़्क़त के साथ साथ ख़ुश भी हो सके तो यह अल्लाह की बख़्शिश है।
20. ऐसे शख़्स को ज़िन्दगी के दिनों पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करने का कम ही वक़्त मिलता है, क्यूँकि अल्लाह उसे दिल में ख़ुशी दिला कर मसरूफ़ रखता है।

  Ecclesiastes (5/12)