Ecclesiastes (4/12)  

1. मैं ने एक बार फिर नज़र डाली तो मुझे वह तमाम ज़ुल्म नज़र आया जो सूरज तले होता है। मज़्लूमों के आँसू बहते हैं, और तसल्ली देने वाला कोई नहीं होता। ज़ालिम उन से ज़ियादती करते हैं, और तसल्ली देने वाला कोई नहीं होता।
2. यह देख कर मैं ने मुर्दों को मुबारक कहा, हालाँकि वह अर्से से वफ़ात पा चुके थे। मैं ने कहा, “वह हाल के ज़िन्दा लोगों से कहीं मुबारक हैं।
3. लेकिन इन से ज़ियादा मुबारक वह है जो अब तक वुजूद में नहीं आया, जिस ने वह तमाम बुराइयाँ नहीं देखीं जो सूरज तले होती हैं।”
4. मैं ने यह भी देखा कि सब लोग इस लिए मेहनत-मशक़्क़त और महारत से काम करते हैं कि एक दूसरे से हसद करते हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।
5. एक तरफ़ तो अहमक़ हाथ पर हाथ धरे बैठने के बाइस अपने आप को तबाही तक पहुँचाता है।
6. लेकिन दूसरी तरफ़ अगर कोई मुट्ठी भर रोज़ी कमा कर सुकून के साथ ज़िन्दगी गुज़ार सके तो यह इस से बेहतर है कि दोनों मुट्ठियाँ सिरतोड़ मेहनत और हवा को पकड़ने की कोशिशों के बाद ही भरें।
7. मैं ने सूरज तले मज़ीद कुछ देखा जो बातिल है।
8. एक आदमी अकेला ही था। न उस के बेटा था, न भाई। वह बेहद मेहनत-मशक़्क़त करता रहा, लेकिन उस की आँखें कभी अपनी दौलत से मुत्मइन न थीं। सवाल यह रहा, “मैं इतनी सिरतोड़ कोशिश किस के लिए कर रहा हूँ? मैं अपनी जान को ज़िन्दगी के मज़े लेने से क्यूँ महरूम रख रहा हूँ?” यह भी बातिल और नागवार मुआमला है।
9. दो एक से बेहतर हैं, क्यूँकि उन्हें अपने काम-काज का अच्छा अज्र मिलेगा।
10. अगर एक गिर जाए तो उस का साथी उसे दुबारा खड़ा करेगा। लेकिन उस पर अफ़्सोस जो गिर जाए और कोई साथी न हो जो उसे दुबारा खड़ा करे।
11. नीज़, जब दो सर्दियों के मौसम में मिल कर बिस्तर पर लेट जाएँ तो वह गर्म रहते हैं। जो तन्हा है वह किस तरह गर्म हो जाएगा?
12. एक शख़्स पर क़ाबू पाया जा सकता है जबकि दो मिल कर अपना दिफ़ा कर सकते हैं। तीन लड़ियों वाली रस्सी जल्दी से नहीं टूटती।
13. जो लड़का ग़रीब लेकिन दानिशमन्द है वह उस बुज़ुर्ग लेकिन अहमक़ बादशाह से कहीं बेहतर है जो तम्बीह मानने से इन्कार करे।
14. क्यूँकि गो वह बूढ़े बादशाह की हुकूमत के दौरान ग़ुर्बत में पैदा हुआ था तो भी वह जेल से निकल कर बादशाह बन गया।
15. लेकिन फिर मैं ने देखा कि सूरज तले तमाम लोग एक और लड़के के पीछे हो लिए जिसे पहले की जगह तख़्तनशीन होना था।
16. उन तमाम लोगों की इन्तिहा नहीं थी जिन की क़ियादत वह करता था। तो भी जो बाद में आएँगे वह उस से ख़ुश नहीं होंगे। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।

  Ecclesiastes (4/12)