Ecclesiastes (11/12)  

1. अपनी रोटी पानी पर फैंक कर जाने दे तो मुतअद्दिद दिनों के बाद वह तुझे फिर मिल जाएगी।
2. अपनी मिल्कियत सात बल्कि आठ मुख़्तलिफ़ कामों में लगा दे, क्यूँकि तुझे क्या मालूम कि मुल्क क्या क्या मुसीबत से दोचार होगा।
3. अगर बादल पानी से भरे हों तो ज़मीन पर बारिश ज़रूर होगी। दरख़्त जुनूब या शिमाल की तरफ़ गिर जाए तो उसी तरफ़ पड़ा रहेगा।
4. जो हर वक़्त हवा का रुख़ देखता रहे वह कभी बीज नहीं बोएगा। जो बादलों को तकता रहे वह कभी फ़सल की कटाई नहीं करेगा।
5. जिस तरह न तुझे हवा के चक्कर मालूम हैं, न यह कि माँ के पेट में बच्चा किस तरह तश्कील पाता है उसी तरह तू अल्लाह का काम नहीं समझ सकता, जो सब कुछ अमल में लाता है।
6. सुब्ह के वक़्त अपना बीज बो और शाम को भी काम में लगा रह, क्यूँकि क्या मालूम कि किस काम में काम्याबी होगी, इस में, उस में या दोनों में।
7. रौशनी कितनी भली है, और सूरज आँखों के लिए कितना ख़ुशगवार है।
8. जितने भी साल इन्सान ज़िन्दा रहे उतने साल वह ख़ुशबाश रहे। साथ साथ उसे याद रहे कि तारीक दिन भी आने वाले हैं, और कि उन की बड़ी तादाद होगी। जो कुछ आने वाला है वह बातिल ही है।
9. ऐ नौजवान, जब तक तू जवान है ख़ुश रह और जवानी के मज़े लेता रह। जो कुछ तेरा दिल चाहे और तेरी आँखों को पसन्द आए वह कर, लेकिन याद रहे कि जो कुछ भी तू करे उस का जवाब अल्लाह तुझ से तलब करेगा।
10. चुनाँचे अपने दिल से रंजीदगी और अपने जिस्म से दुख-दर्द दूर रख, क्यूँकि जवानी और काले बाल दम भर के ही हैं।

  Ecclesiastes (11/12)