Ecclesiastes (10/12)  

1. मरी हुई मक्खियाँ ख़ुश्बूदार तेल ख़राब करती हैं, और हिक्मत और इज़्ज़त की निस्बत थोड़ी सी हमाक़त का ज़ियादा असर होता है।
2. दानिशमन्द का दिल सहीह राह चुन लेता है जबकि अहमक़ का दिल ग़लत राह पर आ जाता है।
3. रास्ते पर चलते वक़्त भी अहमक़ समझ से ख़ाली है, जिस से भी मिले उसे बताता है कि वह बेवुक़ूफ़ है ।
4. अगर हुक्मरान तुझ से नाराज़ हो जाए तो अपनी जगह मत छोड़, क्यूँकि पुरसुकून रवय्या बड़ी बड़ी ग़लतियाँ दूर कर देता है।
5. मुझे सूरज तले एक ऐसी बुरी बात नज़र आई जो अक्सर हुक्मरानों से सरज़द होती है।
6. अहमक़ को बड़े उह्दों पर फ़ाइज़ किया जाता है जबकि अमीर छोटे उह्दों पर ही रहते हैं।
7. मैं ने ग़ुलामों को घोड़े पर सवार और हुक्मरानों को ग़ुलामों की तरह पैदल चलते देखा है।
8. जो गढ़ा खोदे वह ख़ुद उस में गिर सकता है, जो दीवार गिरा दे हो सकता है कि साँप उसे डसे।
9. जो कान से पत्थर निकाले उसे चोट लग सकती है, जो लकड़ी चीर डाले वह ज़ख़्मी हो जाने के ख़त्रे में है।
10. अगर कुल्हाड़ी कुन्द हो और कोई उसे तेज़ न करे तो ज़ियादा ताक़त दरकार है। लिहाज़ा हिक्मत को सहीह तौर से अमल में ला, तब ही काम्याबी हासिल होगी।
11. अगर इस से पहले कि सपेरा साँप पर क़ाबू पाए वह उसे डसे तो फिर सपेरा होने का क्या फ़ाइदा?
12. दानिशमन्द अपने मुँह की बातों से दूसरों की मेहरबानी हासिल करता है, लेकिन अहमक़ के अपने ही होंट उसे हड़प कर लेते हैं।
13. उस का बयान अहमक़ाना बातों से शुरू और ख़तरनाक बेवुक़ूफ़ियों से ख़त्म होता है।
14. ऐसा शख़्स बातें करने से बाज़ नहीं आता, गो इन्सान मुस्तक़बिल के बारे में कुछ नहीं जानता। कौन उसे बता सकता है कि उस के बाद क्या कुछ होगा?
15. अहमक़ का काम उसे थका देता है, और वह शहर का रास्ता भी नहीं जानता।
16. उस मुल्क पर अफ़्सोस जिस का बादशाह बच्चा है और जिस के बुज़ुर्ग सुब्ह ही ज़ियाफ़त करने लगते हैं।
17. मुबारक है वह मुल्क जिस का बादशाह शरीफ़ है और जिस के बुज़ुर्ग नशे में धुत नहीं रहते बल्कि मुनासिब वक़्त पर और नज़्म-ओ-ज़ब्त के साथ खाना खाते हैं।
18. जो सुस्त है उस के घर के शहतीर झुकने लगते हैं, जिस के हाथ ढीले हैं उस की छत से पानी टपकने लगता है।
19. ज़ियाफ़त करने से हंसी-ख़ुशी और मै पीने से ज़िन्दादिली पैदा होती है, लेकिन पैसा ही सब कुछ मुहय्या करता है।
20. ख़यालों में भी बादशाह पर लानत न कर, अपने सोने के कमरे में भी अमीर पर लानत न भेज, ऐसा न हो कि कोई परिन्दा तेरे अल्फ़ाज़ ले कर उस तक पहुँचाए।

  Ecclesiastes (10/12)