Deuteronomy (6/34)  

1. यह वह तमाम अह्काम हैं जो रब्ब तुम्हारे ख़ुदा ने मुझे तुम्हें सिखाने के लिए कहा। उस मुल्क में इन पर अमल करना जिस में तुम जाने वाले हो ताकि उस पर क़ब्ज़ा करो।
2. उम्र भर तू, तेरे बच्चे और पोते-नवासे रब्ब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें और उस के उन तमाम अह्काम पर चलें जो मैं तुझे दे रहा हूँ। तब तू देर तक जीता रहेगा।
3. ऐ इस्राईल, यह मेरी बातें सुन और बड़ी एहतियात से इन पर अमल कर! फिर रब्ब तेरे ख़ुदा का वादा पूरा हो जाएगा कि तू काम्याब रहेगा और तेरी तादाद उस मुल्क में ख़ूब बढ़ती जाएगी जिस में दूध और शहद की कस्रत है।
4. सुन ऐ इस्राईल! रब्ब हमारा ख़ुदा एक ही रब्ब है।
5. रब्ब अपने ख़ुदा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपनी पूरी ताक़त से पियार करना।
6. जो अह्काम मैं तुझे आज बता रहा हूँ उन्हें अपने दिल पर नक़्श कर।
7. उन्हें अपने बच्चों के ज़हननशीन करा। यही बातें हर वक़्त और हर जगह तेरे लबों पर हों ख़्वाह तू घर में बैठा या रास्ते पर चलता हो, लेटा हो या खड़ा हो।
8. उन्हें निशान के तौर पर और याददहानी के लिए अपने बाज़ूओं और माथे पर लगा।
9. उन्हें अपने घरों की चौखटों और अपने शहरों के दरवाज़ों पर लिख।
10. रब्ब तेरे ख़ुदा का वादा पूरा होगा जो उस ने क़सम खा कर तेरे बापदादा इब्राहीम, इस्हाक़ और याक़ूब के साथ किया कि मैं तुझे कनआन में ले जाऊँगा। जो बड़े और शानदार शहर उस में हैं वह तू ने ख़ुद नहीं बनाए।
11. जो मकान उस में हैं वह ऐसी अच्छी चीज़ों से भरे हुए हैं जो तू ने उन में नहीं रखीं। जो कुएँ उस में हैं उन को तू ने नहीं खोदा। जो अंगूर और ज़ैतून के बाग़ उस में हैं उन्हें तू ने नहीं लगाया। यह हक़ीक़त याद रख। जब तू उस मुल्क में कस्रत का खाना खा कर सेर हो जाएगा
12. तो ख़बरदार! रब्ब को न भूलना जो तुझे मिस्र की ग़ुलामी से निकाल लाया।
13. रब्ब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना। सिर्फ़ उसी की इबादत करना और उसी का नाम ले कर क़सम खाना।
14. दीगर माबूदों की पैरवी न करना। इस में तमाम पड़ोसी अक़्वाम के देवता भी शामिल हैं।
15. वर्ना रब्ब तेरे ख़ुदा का ग़ज़ब तुझ पर नाज़िल हो कर तुझे मुल्क में से मिटा डालेगा। क्यूँकि वह ग़यूर ख़ुदा है और तेरे दर्मियान ही रहता है।
16. रब्ब अपने ख़ुदा को उस तरह न आज़्माना जिस तरह तुम ने मस्सा में किया था।
17. ध्यान से रब्ब अपने ख़ुदा के अह्काम के मुताबिक़ चलो, उन तमाम हिदायात और क़वानीन पर जो उस ने तुझे दिए हैं।
18. जो कुछ रब्ब की नज़र में दुरुस्त और अच्छा है वह कर। फिर तू काम्याब रहेगा, तू जा कर उस अच्छे मुल्क पर क़ब्ज़ा करेगा जिस का वादा रब्ब ने तेरे बापदादा से क़सम खा कर किया था।
19. तब रब्ब की बात पूरी हो जाएगी कि तू अपने दुश्मनों को अपने आगे आगे निकाल देगा।
20. आने वाले दिनों में तेरे बच्चे पूछेंगे, “रब्ब हमारे ख़ुदा ने आप को इन तमाम अह्काम पर अमल करने को क्यूँ कहा?”
21. फिर उन्हें जवाब देना, “हम मिस्र के बादशाह फ़िरऔन के ग़ुलाम थे, लेकिन रब्ब हमें बड़ी क़ुद्रत का इज़्हार करके मिस्र से निकाल लाया।
22. हमारे देखते देखते उस ने बड़े बड़े निशान और मोजिज़े किए और मिस्र, फ़िरऔन और उस के पूरे घराने पर हौलनाक मुसीबतें भेजीं।
23. उस वक़्त वह हमें वहाँ से निकाल लाया ताकि हमें ले कर वह मुल्क दे जिस का वादा उस ने क़सम खा कर हमारे बापदादा के साथ किया था।
24. रब्ब हमारे ख़ुदा ही ने हमें कहा कि इन तमाम अह्काम के मुताबिक़ चलो और रब्ब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानो। क्यूँकि अगर हम ऐसा करें तो फिर हम हमेशा काम्याब और ज़िन्दा रहेंगे। और आज तक ऐसा ही रहा है।
25. अगर हम रब्ब अपने ख़ुदा के हुज़ूर रह कर एहतियात से उन तमाम बातों पर अमल करेंगे जो उस ने हमें करने को कही हैं तो वह हमें रास्तबाज़ क़रार देगा।”

  Deuteronomy (6/34)