Deuteronomy (14/34)  

1. तुम रब्ब अपने ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हो। अपने आप को मुर्दों के सबब से न ज़ख़्मी करो, न अपने सर के सामने वाले बाल मुंडवाओ।
2. क्यूँकि तू रब्ब अपने ख़ुदा के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस क़ौम है। दुनिया की तमाम क़ौमों में से रब्ब ने तुझे ही चुन कर अपनी मिल्कियत बना लिया है।
3. कोई भी मक्रूह चीज़ न खाना।
4. तुम बैल, भेड़-बक्री,
5. हिरन, ग़ज़ाल, मर्ग , पहाड़ी बक्री, महात , ग़ज़ाल-ए-अफ़्रीक़ा और पहाड़ी बक्री खा सकते हो।
6. जिन के खुर या पाँओ बिलकुल चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं उन्हें खाने की इजाज़त है।
7. ऊँट, बिज्जू या ख़रगोश खाना मना है। वह आप के लिए नापाक हैं, क्यूँकि वह जुगाली तो करते हैं लेकिन उन के खुर या पाँओ चिरे हुए नहीं हैं।
8. सूअर न खाना। वह तुम्हारे लिए नापाक है, क्यूँकि उस के खुर तो चिरे हुए हैं लेकिन वह जुगाली नहीं करता। न उन का गोश्त खाना, न उन की लाशों को छूना।
9. पानी में रहने वाले जानवर खाने के लिए जाइज़ हैं अगर उन के पर और छिलके हों।
10. लेकिन जिन के पर या छिलके नहीं हैं वह तुम्हारे लिए नापाक हैं।
11. तुम हर पाक परिन्दा खा सकते हो।
12. लेकिन ज़ैल के परिन्दे खाना मना है : उक़ाब, दढ़ियल गिद्ध, काला गिद्ध,
13. लाल चील, काली चील, हर क़िस्म का गिद्ध,
14. हर क़िस्म का कव्वा,
15. उक़ाबी उल्लू, छोटे कान वाला उल्लू, बड़े कान वाला उल्लू, हर क़िस्म का बाज़,
16. छोटा उल्लू, चिंघाड़ने वाला उल्लू, सफ़ेद उल्लू,
17. दश्ती उल्लू, मिस्री गिद्ध, क़ूक़,
18. लक़्लक़, हर क़िस्म का बूतीमार, हुदहुद और चमगादड़ ।
19. तमाम पर रखने वाले कीड़े तुम्हारे लिए नापाक हैं। उन्हें खाना मना है।
20. लेकिन तुम हर पाक परिन्दा खा सकते हो।
21. जो जानवर ख़ुद-ब-ख़ुद मर जाए उसे न खाना। तू उसे अपनी आबादी में रहने वाले किसी परदेसी को दे या किसी अजनबी को बेच सकता है और वह उसे खा सकता है। लेकिन तू उसे मत खाना, क्यूँकि तू रब्ब अपने ख़ुदा के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस क़ौम है। बक्री के बच्चे को उस की माँ के दूध में पकाना मना है।
22. लाज़िम है कि तू हर साल अपने खेतों की पैदावार का दसवाँ हिस्सा रब्ब के लिए अलग करे।
23. इस के लिए अपना अनाज, अंगूर का रस, ज़ैतून का तेल और मवेशी के पहलौठे रब्ब अपने ख़ुदा के हुज़ूर ले आना यानी उस जगह जो वह अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा। वहाँ यह चीज़ें क़ुर्बान करके खा ताकि तू उम्र भर रब्ब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना सीखे।
24. लेकिन हो सकता है कि जो जगह रब्ब तेरा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा वह तेरे घर से हद्द से ज़ियादा दूर हो और रब्ब तेरे ख़ुदा की बर्कत के बाइस मज़्कूरा दसवाँ हिस्सा इतना ज़ियादा हो कि तू उसे मक़्दिस तक नहीं पहुँचा सकता।
25. इस सूरत में उसे बेच कर उस के पैसे उस जगह ले जा जो रब्ब तेरा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा।
26. वहाँ पहुँच कर उन पैसों से जो जी चाहे ख़रीदना, ख़्वाह गाय-बैल, भेड़-बक्री, मै या मै जैसी कोई और चीज़ क्यूँ न हो। फिर अपने घराने के साथ मिल कर रब्ब अपने ख़ुदा के हुज़ूर यह चीज़ें खाना और ख़ुशी मनाना।
27. ऐसे मौक़ों पर उन लावियों का ख़याल रखना जो तेरे क़बाइली इलाक़े में रहते हैं, क्यूँकि उन्हें मीरास में ज़मीन नहीं मिलेगी।
28. हर तीसरे साल अपनी पैदावार का दसवाँ हिस्सा अपने शहरों में जमा करना।
29. उसे लावियों को देना जिन के पास मौरूसी ज़मीन नहीं है, नीज़ अपने शहरों में आबाद परदेसियों, यतीमों और बेवाओं को देना। वह आएँ और खाना खा कर सेर हो जाएँ ताकि रब्ब तेरा ख़ुदा तेरे हर काम में बर्कत दे।

  Deuteronomy (14/34)