Daniel (9/12)  

1. दारा बिन अख़स्वेरुस बाबल के तख़्त पर बैठ गया था। इस मादी बादशाह
2. की हुकूमत के पहले साल में मैं, दान्याल ने पाक नविश्तों की तह्क़ीक़ की। मैं ने ख़ासकर उस पर ग़ौर किया जो रब्ब ने यरमियाह नबी की मारिफ़त फ़रमाया था। उस के मुताबिक़ यरूशलम की तबाहशुदा हालत 70 साल तक क़ाइम रहेगी।
3. चुनाँचे मैं ने रब्ब अपने ख़ुदा की तरफ़ रुजू किया ताकि अपनी दुआ और इल्तिजाओं से उस की मर्ज़ी दरयाफ़्त करूँ। साथ साथ मैं ने रोज़ा रखा, टाट का लिबास ओढ़ लिया और अपने सर पर राख डाल ली।
4. मैं ने रब्ब अपने ख़ुदा से दुआ करके इक़्रार किया, “ऐ रब्ब, तू कितना अज़ीम और महीब ख़ुदा है! जो भी तुझे पियार करता और तेरे अह्काम के ताबे रहता है उस के साथ तू अपना अह्द क़ाइम रखता और उस पर मेहरबानी करता है।
5. लेकिन हम ने गुनाह और बदी की है। हम बेदीन और बाग़ी हो कर तेरे अह्काम और हिदायात से भटक गए हैं।
6. हम ने नबियों की नहीं सुनी, हालाँकि तेरे ख़ादिम तेरा नाम ले कर हमारे बादशाहों, बुज़ुर्गों, बापदादा बल्कि मुल्क के तमाम बाशिन्दों से मुख़ातिब हुए।
7. ऐ रब्ब, तू हक़-ब-जानिब है जबकि इस दिन हम सब शर्मसार हैं, ख़्वाह यहूदाह, यरूशलम या इस्राईल के हों, ख़्वाह क़रीब या उन तमाम दूरदराज़ ममालिक में रहते हों जहाँ तू ने हमें हमारी बेवफ़ाई के सबब से मुन्तशिर कर दिया है। क्यूँकि हम तेरे ही साथ बेवफ़ा रहे हैं।
8. ऐ रब्ब, हम अपने बादशाहों, बुज़ुर्गों और बापदादा समेत बहुत शर्मसार हैं, क्यूँकि हम ने तेरा ही गुनाह किया है।
9. लेकिन रब्ब हमारा ख़ुदा रहीम है और ख़ुशी से मुआफ़ करता है, गो हम उस से सरकश हुए हैं।
10. न हम रब्ब अपने ख़ुदा के ताबे रहे, न उस के उन अह्काम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारी जो उस ने हमें अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त दिए थे।
11. तमाम इस्राईल तेरी शरीअत की ख़िलाफ़वरज़ी करके सहीह राह से भटक गया है, कोई तेरी सुनने के लिए तय्यार नहीं था। अल्लाह के ख़ादिम मूसा ने शरीअत में क़सम खा कर लानतें भेजी थीं, और अब यह लानतें हम पर नाज़िल हुई हैं, इस लिए कि हम ने तेरा गुनाह किया।
12. जो कुछ तू ने हमारे और हमारे हुक्मरानों के ख़िलाफ़ फ़रमाया था वह पूरा हुआ, और हम पर बड़ी आफ़त आई। आस्मान तले कहीं भी ऐसी मुसीबत नहीं आई जिस तरह यरूशलम को पेश आई है।
13. मूसा की शरीअत में मज़्कूर हर वह लानत हम पर नाज़िल हुई जो नाफ़रमानों पर भेजी गई है। तो भी न हम ने अपने गुनाहों को छोड़ा, न तेरी सच्चाई पर ध्यान दिया, हालाँकि इस से हम रब्ब अपने ख़ुदा का ग़ज़ब ठंडा कर सकते थे।
14. इसी लिए रब्ब हम पर आफ़त लाने से न झिजका। क्यूँकि जो कुछ भी रब्ब हमारा ख़ुदा करता है उस में वह हक़-ब-जानिब होता है। लेकिन हम ने उस की न सुनी।
15. ऐ रब्ब हमारे ख़ुदा, तू बड़ी क़ुद्रत का इज़्हार करके अपनी क़ौम को मिस्र से निकाल लाया। यूँ तेरे नाम को वह इज़्ज़त-ओ-जलाल मिला जो आज तक क़ाइम रहा है। इस के बावुजूद हम ने गुनाह किया, हम से बेदीन हर्कतें सरज़द हुई हैं।
16. ऐ रब्ब, तू अपने मुन्सिफ़ाना कामों में वफ़ादार रहा है! अब भी इस का लिहाज़ कर और अपने सख़्त ग़ज़ब को अपने शहर और मुक़द्दस पहाड़ यरूशलम से दूर कर! यरूशलम और तेरी क़ौम गिर्द-ओ-नवाह की क़ौमों के लिए मज़ाक़ का निशाना बन गई है, गो हम मानते हैं कि यह हमारे गुनाहों और हमारे बापदादा की ख़ताओं की वजह से हो रहा है।
17. ऐ हमारे ख़ुदा, अब अपने ख़ादिम की दुआओं और इल्तिजाओं को सुन! ऐ रब्ब, अपनी ही ख़ातिर अपने तबाहशुदा मक़्दिस पर अपने चिहरे का मेहरबान नूर चमका।
18. ऐ मेरे ख़ुदा, कान लगा कर मेरी सुन! अपनी आँखें खोल! उस शहर के खंडरात पर नज़र कर जिस पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है। हम इस लिए तुझ से इल्तिजाएँ नहीं कर रहे कि हम रास्तबाज़ हैं बल्कि इस लिए कि तू निहायत मेहरबान है।
19. ऐ रब्ब, हमारी सुन! ऐ रब्ब, हमें मुआफ़ कर! ऐ मेरे ख़ुदा, अपनी ख़ातिर देर न कर, क्यूँकि तेरे शहर और क़ौम पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है।”
20. यूँ मैं दुआ करता और अपने और अपनी क़ौम इस्राईल के गुनाहों का इक़्रार करता गया। मैं ख़ासकर अपने ख़ुदा के मुक़द्दस पहाड़ यरूशलम के लिए रब्ब अपने ख़ुदा के हुज़ूर फ़र्याद कर रहा था।
21. मैं दुआ कर ही रहा था कि जिब्राईल जिसे मैं ने दूसरी रोया में देखा था मेरे पास आ पहुँचा। रब्ब के घर में शाम की क़ुर्बानी पेश करने का वक़्त था। मैं बहुत ही थक गया था।
22. उस ने मुझे समझा कर कहा, “ऐ दान्याल, अब मैं तुझे समझ और बसीरत देने के लिए आया हूँ।
23. जूँ ही तू दुआ करने लगा तो अल्लाह ने जवाब दिया, क्यूँकि तू उस की नज़र में गिराँक़दर है। मैं तुझे यह जवाब सुनाने आया हूँ। अब ध्यान से रोया को समझ ले!
24. तेरी क़ौम और तेरे मुक़द्दस शहर के लिए 70 हफ़्ते मुक़र्रर किए गए हैं ताकि उतने में जराइम और गुनाहों का सिलसिला ख़त्म किया जाए, क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाए, अबदी रास्ती क़ाइम की जाए, रोया और पेशगोई की तस्दीक़ की जाए और मुक़द्दसतरीन जगह को मसह करके मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस किया जाए।
25. अब जान ले और समझ ले कि यरूशलम को दुबारा तामीर करने का हुक्म दिया जाएगा, लेकिन मज़ीद सात हफ़्ते गुज़रेंगे, फिर ही अल्लाह एक हुक्मरान को इस काम के लिए चुन कर मसह करेगा। तब शहर को 62 हफ़्तों के अन्दर चौकों और ख़न्दक़ों समेत नए सिरे से तामीर किया जाएगा, गो इस दौरान वह काफ़ी मुसीबत से दोचार होगा।
26. इन 62 हफ़्तों के बाद अल्लाह के मसह किए गए बन्दे को क़त्ल किया जाएगा, और उस के पास कुछ भी नहीं होगा। उस वक़्त एक और हुक्मरान की क़ौम आ कर शहर और मक़्दिस को तबाह करेगी। इख़तिताम सैलाब की सूरत में आएगा, और आख़िर तक जंग जारी रहेगी, ऐसी तबाही होगी जिस का फ़ैसला हो चुका है।
27. एक हफ़्ते तक यह हुक्मरान मुतअद्दिद लोगों को एक अह्द के तहत रहने पर मज्बूर करेगा। इस हफ़्ते के बीच में वह ज़बह और ग़ल्ला की क़ुर्बानियों का इन्तिज़ाम बन्द करेगा और मक़्दिस के एक तरफ़ वह कुछ खड़ा करेगा जो बेहुरमती और तबाही का बाइस है। लेकिन तबाह करने वाले का ख़ातमा भी मुक़र्रर किया गया है, और आख़िरकार वह भी तबाह हो जाएगा।”

  Daniel (9/12)