Acts (6/28)  

1. उन दिनों में जब ईसा के शागिर्दों की तादाद बढ़ती गई तो यूनानी ज़बान बोलने वाले ईमानदार इब्रानी बोलने वाले ईमानदारों के बारे में बुड़बुड़ाने लगे। उन्हों ने कहा, “जब रोज़मर्रा का खाना तक़्सीम होता है तो हमारी बेवाओं को नज़रअन्दाज़ किया जाता है।”
2. तब बारह रसूलों ने शागिर्दों की पूरी जमाअत को इकट्ठा करके कहा, “यह ठीक नहीं कि हम अल्लाह का कलाम सिखाने की ख़िदमत को छोड़ कर खाना तक़्सीम करने में मसरूफ़ रहें।
3. भाइयो, यह बात पेश-ए-नज़र रख कर अपने में से सात आदमी चुन लें, जिन के नेक किरदार की आप तस्दीक़ कर सकते हैं और जो रूह-उल-क़ुद्स और हिक्मत से मामूर हैं। फिर हम उन्हें खाना तक़्सीम करने की यह ज़िम्मादारी दे कर
4. अपना पूरा वक़्त दुआ और कलाम की ख़िदमत में सर्फ़ कर सकेंगे।”
5. यह बात पूरी जमाअत को पसन्द आई और उन्हों ने सात आदमी चुन लिए : स्तिफ़नुस (जो ईमान और रूह-उल-क़ुद्स से मामूर था), फ़िलिप्पुस, प्रुख़ुरुस, नीकानोर, तीमोन, पर्मिनास और अन्ताकिया का नीकुलाउस। (नीकलाओस ग़ैरयहूदी था जिस ने ईसा पर ईमान लाने से पहले यहूदी मज़्हब को अपना लिया था।)
6. इन सात आदमियों को रसूलों के सामने पेश किया गया तो उन्हों ने इन पर हाथ रख कर दुआ की।
7. यूँ अल्लाह का पैग़ाम फैलता गया। यरूशलम में ईमानदारों की तादाद निहायत बढ़ती गई और बैत-उल-मुक़द्दस के बहुत से इमाम भी ईमान ले आए।
8. स्तिफ़नुस अल्लाह के फ़ज़्ल और क़ुव्वत से मामूर था और लोगों के दर्मियान बड़े बड़े मोजिज़े और इलाही निशान दिखाता था।
9. एक दिन कुछ यहूदी स्तिफ़नुस से बह्स करने लगे। (वह कुरेन, इस्कन्दरिया, किलिकिया और सूबा आसिया के रहने वाले थे और उन के इबादतख़ाने का नाम लबरतीनियों यानी आज़ाद किए गए ग़ुलामों का इबादतखाना था।)
10. लेकिन वह न उस की हिक्मत का सामना कर सके, न उस रूह का जो कलाम करते वक़्त उस की मदद करता था।
11. इस लिए उन्हों ने बाज़ आदमियों को यह कहने को उकसाया कि “इस ने मूसा और अल्लाह के बारे में कुफ़्र बका है। हम ख़ुद इस के गवाह हैं।”
12. यूँ आम लोगों, बुज़ुर्गों और शरीअत के उलमा में हलचल मच गई। वह स्तिफ़नुस पर चढ़ आए और उसे घसीट कर यहूदी अदालत-ए-आलिया के पास लाए।
13. वहाँ उन्हों ने झूटे गवाह खड़े किए जिन्हों ने कहा, “यह आदमी बैत-उल-मुक़द्दस और शरीअत के ख़िलाफ़ बातें करने से बाज़ नहीं आता।
14. हम ने इस के मुँह से सुना है कि ईसा नासरी यह मक़ाम तबाह करेगा और वह रस्म-ओ-रिवाज बदल देगा जो मूसा ने हमारे सपुर्द किए हैं।”
15. जब इज्लास में बैठे तमाम लोग घूर घूर कर स्तिफ़नुस की तरफ़ देखने लगे तो उस का चिहरा फ़रिश्ते का सा नज़र आया।

  Acts (6/28)