Acts (17/28)  

1. अम्फ़िपुलिस और अपुल्लोनिया से हो कर पौलुस और सीलास थिस्सलुनीके शहर पहुँच गए जहाँ यहूदी इबादतखाना था।
2. अपनी आदत के मुताबिक़ पौलुस उस में गया और लगातार तीन सबतों के दौरान कलाम-ए-मुक़द्दस से दलाइल दे दे कर यहूदियों को क़ाइल करने की कोशिश करता रहा।
3. उस ने कलाम-ए-मुक़द्दस की तश्रीह करके साबित किया कि मसीह का दुख उठाना और मुर्दों में से जी उठना लाज़िम था। उस ने कहा, “जिस ईसा की मैं ख़बर दे रहा हूँ, वही मसीह है।”
4. यहूदियों में से कुछ क़ाइल हो कर पौलुस और सीलास से वाबस्ता हो गए, जिन में ख़ुदातरस यूनानियों की बड़ी तादाद और बारसूख ख़वातीन भी शरीक थीं।
5. यह देख कर बाक़ी यहूदी हसद करने लगे। उन्हों ने गलियों में आवारा फिरने वाले कुछ शरीर आदमी इकट्ठे करके जुलूस निकाला और शहर में हलचल मचा दी। फिर यासोन के घर पर हम्ला करके उन्हों ने पौलुस और सीलास को ढूँडा ताकि उन्हें अवामी इज्लास के सामने पेश करें।
6. लेकिन वह वहाँ नहीं थे, इस लिए वह यासोन और चन्द एक और ईमानदार भाइयों को शहर के मजिस्ट्रेटों के सामने लाए। उन्हों ने चीख़ कर कहा, “यह लोग पूरी दुनिया में गड़बड़ पैदा कर रहे हैं और अब यहाँ भी आ गए हैं।
7. यासोन ने उन्हें अपने घर में ठहराया है। यह सब शहनशाह के अह्काम की ख़िलाफ़वरज़ी कर रहे हैं, क्यूँकि यह किसी और को बादशाह मानते हैं जिस का नाम ईसा है।”
8. इस तरह की बातों से उन्हों ने हुजूम और मजिस्ट्रेटों में बड़ा हंगामा पैदा किया।
9. चुनाँचे मजिस्ट्रेटों ने यासोन और दूसरों से ज़मानत ली और फिर उन्हें छोड़ दिया।
10. उसी रात भाइयों ने पौलुस और सीलास को बेरिया भेज दिया। वहाँ पहुँच कर वह यहूदी इबादतख़ाने में गए।
11. यह लोग थिस्सलुनीके के यहूदियों की निस्बत ज़ियादा खुले ज़हन के थे। यह बड़े शौक़ से पौलुस और सीलास की बातें सुनते और रोज़-ब-रोज़ कलाम-ए-मुक़द्दस की तफ़्तीश करते रहे कि क्या वाक़ई ऐसा है जैसा हमें बताया जा रहा है?
12. नतीजे में इन में से बहुत से यहूदी ईमान लाए और साथ साथ बहुत सी बारसूख यूनानी ख़वातीन और मर्द भी।
13. लेकिन फिर थिस्सलुनीके के यहूदियों को यह ख़बर मिली कि पौलुस बेरिया में अल्लाह का कलाम सुना रहा है। वह वहाँ भी पहुँचे और लोगों को उकसा कर हलचल मचा दी।
14. इस पर भाइयों ने पौलुस को फ़ौरन साहिल पर भेज दिया, लेकिन सीलास और तीमुथियुस बेरिया में पीछे रह गए।
15. जो आदमी पौलुस को साहिल तक पहुँचाने आए थे वह उस के साथ अथेने तक गए। वहाँ वह उसे छोड़ कर वापस चले गए। उन के हाथ पौलुस ने सीलास और तीमुथियुस को ख़बर भेजी कि जितनी जल्दी हो सके बेरिया को छोड़ कर मेरे पास आ जाएँ।
16. अथेने शहर में सीलास और तीमुथियुस का इन्तिज़ार करते करते पौलुस बड़े जोश में आ गया, क्यूँकि उस ने देखा कि पूरा शहर बुतों से भरा हुआ है।
17. वह यहूदी इबादतख़ाने में जा कर यहूदियों और ख़ुदातरस ग़ैरयहूदियों से बह्स करने लगा। साथ साथ वह रोज़ाना चौक में भी जा कर वहाँ पर मौजूद लोगों से गुफ़्तगु करता रहा।
18. इपिकूरी और स्तोइकी फ़ल्सफ़ी भी उस से बह्स करने लगे। जब पौलुस ने उन्हें ईसा और उस के जी उठने की ख़ुशख़बरी सुनाई तो बाज़ ने पूछा, “यह बकवासी इन बातों से क्या कहना चाहता है जो इस ने इधर उधर से चुन कर जोड़ दी हैं?” दूसरों ने कहा, “लगता है कि वह अजनबी देवताओं की ख़बर दे रहा है।”
19. वह उसे साथ ले कर शहर की मजलिस-ए-शूरा में गए जो अरियोपगुस नामी पहाड़ी पर मुनअक़िद होती थी। उन्हों ने दरख़्वास्त की, “क्या हमें मालूम हो सकता है कि आप कौन सी नई तालीम पेश कर रहे हैं?
20. आप तो हमें अजीब-ओ-ग़रीब बातें सुना रहे हैं। अब हम उन का सहीह मतलब जानना चाहते हैं।”
21. (बात यह थी कि अथेने के तमाम बाशिन्दे शहर में रहने वाले परदेसियों समेत अपना पूरा वक़्त इस में सर्फ़ करते थे कि ताज़ा ताज़ा ख़यालात सुनें या सुनाएँ।)
22. पौलुस मजलिस में खड़ा हुआ और कहा, “अथेने के हज़रात, मैं देखता हूँ कि आप हर लिहाज़ से बहुत मज़्हबी लोग हैं।
23. क्यूँकि जब मैं शहर में से गुज़र रहा था तो उन चीज़ों पर ग़ौर किया जिन की पूजा आप करते हैं। चलते चलते मैं ने एक ऐसी क़ुर्बानगाह भी देखी जिस पर लिखा था, ‘नामालूम ख़ुदा की क़ुर्बानगाह।’ अब मैं आप को उस ख़ुदा की ख़बर देता हूँ जिस की पूजा आप करते तो हैं मगर आप उसे जानते नहीं।
24. यह वह ख़ुदा है जिस ने दुनिया और उस में मौजूद हर चीज़ की तख़्लीक़ की। वह आस्मान-ओ-ज़मीन का मालिक है, इस लिए वह इन्सानी हाथों के बनाए हुए मन्दिरों में सुकूनत नहीं करता।
25. और इन्सानी हाथ उस की ख़िदमत नहीं कर सकते, क्यूँकि उसे कोई भी चीज़ दरकार नहीं होती। इस के बजाय वही सब को ज़िन्दगी और साँस मुहय्या करके उन की तमाम ज़रूरियात पूरी करता है।
26. उसी ने एक शख़्स को ख़लक़ किया ताकि दुनिया की तमाम क़ौमें उस से निकल कर पूरी दुनिया में फैल जाएँ। उस ने हर क़ौम के औक़ात और सरहद्दें भी मुक़र्रर कीं।
27. मक़्सद यह था कि वह ख़ुदा को तलाश करें। उम्मीद यह थी कि वह टटोल टटोल कर उसे पाएँ, अगरचि वह हम में से किसी से दूर नहीं होता।
28. क्यूँकि उस में हम जीते, हर्कत करते और वुजूद रखते हैं। आप के अपने कुछ शाइरों ने भी फ़रमाया है, ‘हम भी उस के फ़र्ज़न्द हैं।’
29. अब चूँकि हम अल्लाह के फ़र्ज़न्द हैं इस लिए हमारा उस के बारे में तसव्वुर यह नहीं होना चाहिए कि वह सोने, चाँदी या पत्थर का कोई मुजस्समा हो जो इन्सान की महारत और डिज़ाइन से बनाया गया हो।
30. माज़ी में ख़ुदा ने इस क़िस्म की जहालत को नज़रअन्दाज़ किया, लेकिन अब वह हर जगह के लोगों को तौबा का हुक्म देता है।
31. क्यूँकि उस ने एक दिन मुक़र्रर किया है जब वह इन्साफ़ से दुनिया की अदालत करेगा। और वह यह अदालत एक शख़्स की मारिफ़त करेगा जिस को वह मुतअय्यिन कर चुका है और जिस की तस्दीक़ उस ने इस से की है कि उस ने उसे मुर्दों में से ज़िन्दा कर दिया है।”
32. मुर्दों की क़ियामत का ज़िक्र सुन कर बाज़ ने पौलुस का मज़ाक़ उड़ाया। लेकिन बाज़ ने कहा, “हम किसी और वक़्त इस के बारे में आप से मज़ीद सुनना चाहते हैं।”
33. फिर पौलुस मजलिस से निकल कर चला गया।
34. कुछ लोग उस से वाबस्ता हो कर ईमान ले आए। उन में से मजलिस-ए-शूरा का मैम्बर दियोनीसियुस था और एक औरत बनाम दमरिस। कुछ और भी थे।

  Acts (17/28)