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1. | जब साऊल के बेटे इश्बोसत को इत्तिला मिली कि अबिनैर को हब्रून में क़त्ल किया गया है तो वह हिम्मत हार गया, और तमाम इस्राईल सख़्त घबरा गया। |
2. | इश्बोसत के दो आदमी थे जिन के नाम बाना और रैकाब थे। जब कभी इश्बोसत के फ़ौजी छापा मारने के लिए निकलते तो यह दो भाई उन पर मुक़र्रर थे। उन का बाप रिम्मोन बिन्यमीन के क़बाइली इलाक़े के शहर बैरोत का रहने वाला था। बैरोत भी बिन्यमीन में शुमार किया जाता है, |
3. | अगरचि उस के बाशिन्दों को हिज्रत करके जित्तैम में बसना पड़ा जहाँ वह आज तक परदेसी की हैसियत से रहते हैं। |
4. | यूनतन का एक बेटा ज़िन्दा रह गया था जिस का नाम मिफ़ीबोसत था। पाँच साल की उम्र में यज़्रएल से ख़बर आई थी कि साऊल और यूनतन मारे गए हैं। तब उस की आया उसे ले कर कहीं पनाह लेने के लिए भाग गई थी। लेकिन जल्दी की वजह से मिफ़ीबोसत गिर कर लंगड़ा हो गया था। उस वक़्त से उस की दोनों टाँगें मफ़्लूज थीं। |
5. | एक दिन रिम्मोन बैरोती के बेटे रैकाब और बाना दोपहर के वक़्त इश्बोसत के घर गए। गर्मी उरूज पर थी, इस लिए इश्बोसत आराम कर रहा था। |
6. | दोनों आदमी यह बहाना पेश करके घर के अन्दरूनी कमरे में गए कि हम कुछ अनाज ले जाने के लिए आए हैं। जब इश्बोसत के कमरे में पहुँचे तो वह चारपाई पर लेटा सो रहा था। यह देख कर उन्हों ने उस के पेट में तल्वार घोंप दी और फिर उस का सर काट कर वहाँ से सलामती से निकल आए। पूरी रात सफ़र करते करते वह दरया-ए-यर्दन की वादी में से गुज़र कर |
7. | दोनों आदमी यह बहाना पेश करके घर के अन्दरूनी कमरे में गए कि हम कुछ अनाज ले जाने के लिए आए हैं। जब इश्बोसत के कमरे में पहुँचे तो वह चारपाई पर लेटा सो रहा था। यह देख कर उन्हों ने उस के पेट में तल्वार घोंप दी और फिर उस का सर काट कर वहाँ से सलामती से निकल आए। पूरी रात सफ़र करते करते वह दरया-ए-यर्दन की वादी में से गुज़र कर |
8. | हब्रून पहुँच गए। वहाँ उन्हों ने दाऊद को इश्बोसत का सर दिखा कर कहा, “यह देखें, साऊल के बेटे इश्बोसत का सर। आप का दुश्मन साऊल बार बार आप को मार देने की कोशिश करता रहा, लेकिन आज रब्ब ने उस से और उस की औलाद से आप का बदला लिया है।” |
9. | लेकिन दाऊद ने जवाब दिया, “रब्ब की हयात की क़सम जिस ने फ़िद्या दे कर मुझे हर मुसीबत से बचाया है, |
10. | जिस आदमी ने मुझे उस वक़्त सिक़्लाज में साऊल की मौत की इत्तिला दी वह भी समझता था कि मैं दाऊद को अच्छी ख़बर पहुँचा रहा हूँ। लेकिन मैं ने उसे पकड़ कर सज़ा-ए-मौत दे दी। यही था वह अज्र जो उसे ऐसी ख़बर पहुँचाने के इवज़ मिला! |
11. | अब तुम शरीर लोगों ने इस से बढ़ कर किया। तुम ने बेक़ुसूर आदमी को उस के अपने घर में उस की अपनी चारपाई पर क़त्ल कर दिया है। तो क्या मेरा फ़र्ज़ नहीं कि तुम को इस क़त्ल की सज़ा दे कर तुम्हें मुल्क में से मिटा दूँ?” |
12. | दाऊद ने दोनों को मार देने का हुक्म दिया। उस के मुलाज़िमों ने उन्हें मार कर उन के हाथों और पैरों को काट डाला और उन की लाशों को हब्रून के तालाब के क़रीब कहीं लटका दिया। इश्बोसत के सर को उन्हों ने अबिनैर की क़ब्र में दफ़नाया। |
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