2Samuel (23/24)  

1. दर्ज-ए-ज़ैल दाऊद के आख़िरी अल्फ़ाज़ हैं : “दाऊद बिन यस्सी का फ़रमान जिसे अल्लाह ने सरफ़राज़ किया, जिसे याक़ूब के ख़ुदा ने मसह करके बादशाह बना दिया था, और जिस की तारीफ़ इस्राईल के गीत करते हैं,
2. रब्ब के रूह ने मेरी मारिफ़त बात की, उस का फ़रमान मेरी ज़बान पर था।
3. इस्राईल के ख़ुदा ने फ़रमाया, इस्राईल की चटान मुझ से हमकलाम हुई, ‘जो इन्साफ़ से हुकूमत करता है, जो अल्लाह का ख़ौफ़ मान कर हुक्मरानी करता है,
4. वह सुब्ह की रौशनी की मानिन्द है, उस तुलू-ए-आफ़्ताब की मानिन्द जब बादल छाए नहीं होते। जब उस की किरनें बारिश के बाद ज़मीन पर पड़ती हैं तो पौदे फूट निकलते हैं।’
5. यक़ीनन मेरा घराना मज़्बूती से अल्लाह के साथ है, क्यूँकि उस ने मेरे साथ अबदी अह्द बाँधा है, ऐसा अह्द जिस का हर पहलू मुनज़्ज़म और मह्फ़ूज़ है। वह मेरी नजात तक्मील तक पहुँचाएगा और मेरी हर आर्ज़ू पूरी करेगा।
6. लेकिन बेदीन ख़ारदार झाड़ियों की मानिन्द हैं जो हवा के झोंकों से इधर उधर बिखर गई हैं। काँटों की वजह से कोई भी हाथ नहीं लगाता।
7. लोग उन्हें लोहे के औज़ार या नेज़े के दस्ते से जमा करके वहीं के वहीं जला देते हैं।”
8. दर्ज-ए-ज़ैल दाऊद के सूर्माओं की फ़हरिस्त है। जो तीन अफ़्सर योआब के भाई अबीशै के ऐन बाद आते थे उन में योशेब-बशेबत तह्कमूनी पहले नम्बर पर आता था। एक बार उस ने अपने नेज़े से 800 आदमियों को मार दिया।
9. इन तीन अफ़्सरों में से दूसरी जगह पर इलीअज़र बिन दोदो बिन अख़ूही आता था। एक जंग में जब उन्हों ने फ़िलिस्तियों को चैलेंज दिया था और इस्राईली बाद में पीछे हट गए तो इलीअज़र दाऊद के साथ
10. फ़िलिस्तियों का मुक़ाबला करता रहा। उस दिन वह फ़िलिस्तियों को मारते मारते इतना थक गया कि आख़िरकार तल्वार उठा न सका बल्कि हाथ तल्वार के साथ जम गया। रब्ब ने उस की मारिफ़त बड़ी फ़त्ह बख़्शी। बाक़ी दस्ते सिर्फ़ लाशों को लूटने के लिए लौट आए।
11. उस के बाद तीसरी जगह पर सम्मा बिन अजी-हरारी आता था। एक मर्तबा फ़िलिस्ती लही के क़रीब मसूर के खेत में इस्राईल के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे। इस्राईली फ़ौजी उन के सामने भागने लगे,
12. लेकिन सम्मा खेत के दर्मियान तक बढ़ गया और वहाँ लड़ते लड़ते फ़िलिस्तियों को शिकस्त दी। रब्ब ने उस की मारिफ़त बड़ी फ़त्ह बख़्शी।
13. एक और जंग के दौरान दाऊद अदुल्लाम के ग़ार के पहाड़ी क़िलए में था जबकि फ़िलिस्ती फ़ौज ने वादी-ए-रफ़ाईम में अपनी लश्करगाह लगाई थी। उन के दस्तों ने बैत-लहम पर भी क़ब्ज़ा कर लिया था। फ़सल का मौसम था। दाऊद के तीस आला अफ़्सरों में से तीन उस से मिलने आए।
14. एक और जंग के दौरान दाऊद अदुल्लाम के ग़ार के पहाड़ी क़िलए में था जबकि फ़िलिस्ती फ़ौज ने वादी-ए-रफ़ाईम में अपनी लश्करगाह लगाई थी। उन के दस्तों ने बैत-लहम पर भी क़ब्ज़ा कर लिया था। फ़सल का मौसम था। दाऊद के तीस आला अफ़्सरों में से तीन उस से मिलने आए।
15. दाऊद को शदीद पियास लगी, और वह कहने लगा, “कौन मेरे लिए बैत-लहम के दरवाज़े पर के हौज़ से कुछ पानी लाएगा?”
16. यह सुन कर तीनों अफ़्सर फ़िलिस्तियों की लश्करगाह पर हम्ला करके उस में घुस गए और लड़ते लड़ते बैत-लहम के हौज़ तक पहुँच गए। उस से कुछ पानी भर कर वह उसे दाऊद के पास ले आए। लेकिन उस ने पीने से इन्कार कर दिया बल्कि उसे क़ुर्बानी के तौर पर उंडेल कर रब्ब को पेश किया
17. और बोला, “रब्ब न करे कि मैं यह पानी पियूँ। अगर ऐसा करता तो उन आदमियों का ख़ून पीता जो अपनी जान पर खेल कर पानी लाए हैं।” इस लिए वह उसे पीना नहीं चाहता था। यह इन तीन सूर्माओं के ज़बरदस्त कामों की एक मिसाल है।
18. योआब बिन ज़रूयाह का भाई अबीशै मज़्कूरा तीन सूर्माओं पर मुक़र्रर था। एक दफ़ा उस ने अपने नेज़े से 300 आदमियों को मार डाला। तीनों की निस्बत उस की दुगनी इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह ख़ुद उन में गिना नहीं जाता था।
19. योआब बिन ज़रूयाह का भाई अबीशै मज़्कूरा तीन सूर्माओं पर मुक़र्रर था। एक दफ़ा उस ने अपने नेज़े से 300 आदमियों को मार डाला। तीनों की निस्बत उस की दुगनी इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह ख़ुद उन में गिना नहीं जाता था।
20. बिनायाह बिन यहोयदा भी ज़बरदस्त फ़ौजी था। वह क़ब्ज़िएल का रहने वाला था, और उस ने बहुत दफ़ा अपनी मर्दानगी दिखाई। मोआब के दो बड़े सूर्मा उस के हाथों हलाक हुए। एक बार जब बहुत बर्फ़ पड़ गई तो उस ने एक हौज़ में उतर कर एक शेरबबर को मार डाला जो उस में गिर गया था।
21. एक और मौक़े पर उस का वास्ता एक देओ जैसे मिस्री से पड़ा। मिस्री के हाथ में नेज़ा था जबकि उस के पास सिर्फ़ लाठी थी। लेकिन बिनायाह ने उस पर हम्ला करके उस के हाथ से नेज़ा छीन लिया और उसे उस के अपने हथियार से मार डाला।
22. ऐसी बहादुरी दिखाने की बिना पर बिनायाह बिन यहोयदा मज़्कूरा तीन आदमियों के बराबर मश्हूर हुआ।
23. तीस अफ़्सरों के दीगर मर्दों की निस्बत उस की ज़ियादा इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह मज़्कूरा तीन आदमियों में गिना नहीं जाता था। दाऊद ने उसे अपने मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर किया।
24. ज़ैल के आदमी बादशाह के 30 सूर्माओं में शामिल थे। योआब का भाई असाहेल, बैत-लहम का इल्हनान बिन दोदो,
25. सम्मा हरोदी, इलीक़ा हरोदी,
26. ख़लिस फ़ल्ती, तक़ूअ का ईरा बिन अक़्क़ीस,
27. अनतोत का अबीअज़र, मबून्नी हूसाती,
28. ज़ल्मोन अख़ूही, महरी नतूफ़ाती,
29. हलिब बिन बाना नतूफ़ाती, बिन्यमीनी शहर जिबिआ का इत्ती बिन रीबी,
30. बिनायाह फ़िरआतोनी, नहले-जास का हिद्दी,
31. अबी-अल्बोन अर्बाती, अज़्मावत बर्हूमी,
32. इलियह्बा सालबूनी, बनी यसीन, यूनतन बिन सम्मा हरारी, अख़ीआम बिन सरार-हरारी,
33. इलियह्बा सालबूनी, बनी यसीन, यूनतन बिन सम्मा हरारी, अख़ीआम बिन सरार-हरारी,
34. इलीफ़लत बिन अहस्बी माकाती, इलीआम बिन अख़ीतुफ़ल जिलोनी,
35. हस्रो कर्मिली, फ़ारी अर्बी,
36. ज़ोबाह का इजाल बिन नातन, बानी जादी,
37. सिलक़ अम्मोनी, योआब बिन ज़रूयाह का सिलाहबर्दार नहरी बैरोती,
38. ईरा इत्री, जरीब इत्री
39. और ऊरियाह हित्ती। आदमियों की कुल तादाद 37 थी।

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