2Samuel (21/24)  

1. दाऊद की हुकूमत के दौरान काल पड़ गया जो तीन साल तक जारी रहा। जब दाऊद ने इस की वजह दरयाफ़्त की तो रब्ब ने जवाब दिया, “काल इस लिए ख़त्म नहीं हो रहा कि साऊल ने जिबऊनियों को क़त्ल किया था।”
2. तब बादशाह ने जिबऊनियों को बुला लिया ताकि उन से बात करे। असल में वह इस्राईली नहीं बल्कि अमोरियों का बचा खचा हिस्सा थे। मुल्क-ए-कनआन पर क़ब्ज़ा करते वक़्त इस्राईलियों ने क़सम खा कर वादा किया था कि हम आप को हलाक नहीं करेंगे। लेकिन साऊल ने इस्राईल और यहूदाह के लिए जोश में आ कर उन्हें हलाक करने की कोशिश की थी।
3. दाऊद ने जिबऊनियों से पूछा, “मैं उस ज़ियादती का कफ़्फ़ारा किस तरह दे सकता हूँ जो आप से हुई है? मैं आप के लिए क्या करूँ ताकि आप दुबारा उस ज़मीन को बर्कत दें जो रब्ब ने हमें मीरास में दी है?”
4. उन्हों ने जवाब दिया, “जो साऊल ने हमारे और हमारे ख़ान्दानों के साथ किया है उस का इज़ाला सोने-चाँदी से नहीं किया जा सकता। यह भी मुनासिब नहीं कि हम इस के इवज़ किसी इस्राईली को मार दें।” दाऊद ने सवाल किया, “तो फिर मैं आप के लिए क्या करूँ?”
5. जिबऊनियों ने कहा, “साऊल ही ने हमें हलाक करने का मन्सूबा बनाया था, वही हमें तबाह करना चाहता था ताकि हम इस्राईल की किसी भी जगह क़ाइम न रह सकें।
6. इस लिए साऊल की औलाद में से सात मर्दों को हमारे हवाले कर दें। हम उन्हें रब्ब के चुने हुए बादशाह साऊल के वतनी शहर जिबिआ में रब्ब के पहाड़ पर मौत के घाट उतार कर उस के हुज़ूर लटका दें।” बादशाह ने जवाब दिया, “मैं उन्हें आप के हवाले कर दूँगा।”
7. यूनतन का बेटा मिफ़ीबोसत साऊल का पोता तो था, लेकिन बादशाह ने उसे न छेड़ा, क्यूँकि उस ने रब्ब की क़सम खा कर यूनतन से वादा किया था कि मैं आप की औलाद को कभी नुक़्सान नहीं पहुँचाऊँगा।
8. चुनाँचे उस ने साऊल की दाश्ता रिस्फ़ा बिन्त अय्याह के दो बेटों अर्मोनी और मिफ़ीबोसत को और इस के इलावा साऊल की बेटी मीरब के पाँच बेटों को चुन लिया। मीरब बर्ज़िल्ली महूलाती के बेटे अद्रीएल की बीवी थी।
9. इन सात आदमियों को दाऊद ने जिबऊनियों के हवाले कर दिया। सातों आदमियों को मज़्कूरा पहाड़ पर लाया गया। वहाँ जिबऊनियों ने उन्हें क़त्ल करके रब्ब के हुज़ूर लटका दिया। वह सब एक ही दिन मर गए। उस वक़्त जौ की फ़सल की कटाई शुरू हुई थी।
10. तब रिस्फ़ा बिन्त अय्याह सातों लाशों के पास गई और पत्थर पर अपने लिए टाट का कपड़ा बिछा कर लाशों की हिफ़ाज़त करने लगी। दिन के वक़्त वह परिन्दों को भगाती और रात के वक़्त जंगली जानवरों को लाशों से दूर रखती रही। वह बहार के मौसम में फ़सल की कटाई के पहले दिनों से ले कर उस वक़्त तक वहाँ ठहरी रही जब तक बारिश न हुई।
11. जब दाऊद को मालूम हुआ कि साऊल की दाश्ता रिस्फ़ा ने क्या किया है
12. तो वह यबीस-जिलिआद के बाशिन्दों के पास गया और उन से साऊल और उस के बेटे यूनतन की हड्डियों को ले कर साऊल के बाप क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। (जब फ़िलिस्तियों ने जिल्बूअ के पहाड़ी इलाक़े में इस्राईलियों को शिकस्त दी थी तो उन्हों ने साऊल और यूनतन की लाशों को बैत-शान के चौक में लटका दिया था। तब यबीस-जिलिआद के आदमी चोरी चोरी वहाँ आ कर लाशों को अपने पास ले गए थे।) दाऊद ने जिबिआ में अब तक लटकी सात लाशों को भी उतार कर ज़िला में क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। ज़िला बिन्यमीन के क़बीले की आबादी है। जब सब कुछ दाऊद के हुक्म के मुताबिक़ किया गया था तो रब्ब ने मुल्क के लिए दुआएँ सुन लीं।
13. तो वह यबीस-जिलिआद के बाशिन्दों के पास गया और उन से साऊल और उस के बेटे यूनतन की हड्डियों को ले कर साऊल के बाप क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। (जब फ़िलिस्तियों ने जिल्बूअ के पहाड़ी इलाक़े में इस्राईलियों को शिकस्त दी थी तो उन्हों ने साऊल और यूनतन की लाशों को बैत-शान के चौक में लटका दिया था। तब यबीस-जिलिआद के आदमी चोरी चोरी वहाँ आ कर लाशों को अपने पास ले गए थे।) दाऊद ने जिबिआ में अब तक लटकी सात लाशों को भी उतार कर ज़िला में क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। ज़िला बिन्यमीन के क़बीले की आबादी है। जब सब कुछ दाऊद के हुक्म के मुताबिक़ किया गया था तो रब्ब ने मुल्क के लिए दुआएँ सुन लीं।
14. तो वह यबीस-जिलिआद के बाशिन्दों के पास गया और उन से साऊल और उस के बेटे यूनतन की हड्डियों को ले कर साऊल के बाप क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। (जब फ़िलिस्तियों ने जिल्बूअ के पहाड़ी इलाक़े में इस्राईलियों को शिकस्त दी थी तो उन्हों ने साऊल और यूनतन की लाशों को बैत-शान के चौक में लटका दिया था। तब यबीस-जिलिआद के आदमी चोरी चोरी वहाँ आ कर लाशों को अपने पास ले गए थे।) दाऊद ने जिबिआ में अब तक लटकी सात लाशों को भी उतार कर ज़िला में क़ीस की क़ब्र में दफ़नाया। ज़िला बिन्यमीन के क़बीले की आबादी है। जब सब कुछ दाऊद के हुक्म के मुताबिक़ किया गया था तो रब्ब ने मुल्क के लिए दुआएँ सुन लीं।
15. एक और बार फ़िलिस्तियों और इस्राईलियों के दर्मियान जंग छिड़ गई। दाऊद अपनी फ़ौज समेत फ़िलिस्तियों से लड़ने के लिए निकला। जब वह लड़ता लड़ता निढाल हो गया था
16. तो एक फ़िलिस्ती ने उस पर हम्ला किया जिस का नाम इश्बी-बनोब था। यह आदमी रफ़ा देओ की नसल से था। उस के पास नई तल्वार और इतना लम्बा नेज़ा था कि सिर्फ़ उस की पीतल की नोक का वज़न तक़्रीबन साढे 3 किलोग्राम था।
17. लेकिन अबीशै बिन ज़रूयाह दौड़ कर दाऊद की मदद करने आया और देओ को मार डाला। इस के बाद दाऊद के फ़ौजियों ने क़सम खाई, “आइन्दा आप लड़ने के लिए हमारे साथ नहीं निकलेंगे। ऐसा न हो कि इस्राईल का चराग़ बुझ जाए।”
18. इस के बाद इस्राईलियों को जूब के क़रीब भी फ़िलिस्तियों से लड़ना पड़ा। वहाँ सिब्बकी हूसाती ने रफ़ा देओ की औलाद में से एक आदमी को मार डाला जिस का नाम सफ़ था।
19. जूब के क़रीब एक और लड़ाई छिड़ गई। इस के दौरान बैत-लहम के इल्हनान बिन यारे-उरजीम ने जाती जालूत को मौत के घाट उतार दिया। जालूत का नेज़ा खड्डी के शहतीर जैसा बड़ा था।
20. एक और दफ़ा जात के पास लड़ाई हुई। फ़िलिस्तियों का एक फ़ौजी जो रफ़ा की नसल का था बहुत लम्बा था। उस के हाथों और पैरों की छः छः उंगलियाँ यानी मिल कर 24 उंगलियाँ थीं।
21. जब वह इस्राईलियों का मज़ाक़ उड़ाने लगा तो दाऊद के भाई सिमआ के बेटे यूनतन ने उसे मार डाला।
22. जात के यह देओ रफ़ा की औलाद थे, और वह दाऊद और उस के फ़ौजियों के हाथों हलाक हुए।

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