2Kings (7/25)  

1. तब इलीशा बोला, “रब्ब का फ़रमान सुनें! रब्ब फ़रमाता है कि कल इसी वक़्त शहर के दरवाज़े पर साढे 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा।”
2. जिस अफ़्सर के बाज़ू का सहारा बादशाह लेता था वह मर्द-ए-ख़ुदा की बात सुन कर बोल उठा, “यह नामुम्किन है, ख़्वाह रब्ब आस्मान के दरीचे क्यूँ न खोल दे।” इलीशा ने जवाब दिया, “आप अपनी आँखों से इस का मुशाहदा करेंगे, लेकिन ख़ुद उस में से कुछ न खाएँगे।”
3. शहर से बाहर दरवाज़े के क़रीब कोढ़ के चार मरीज़ बैठे थे। अब यह आदमी एक दूसरे से कहने लगे, “हम यहाँ बैठ कर मौत का इन्तिज़ार क्यूँ करें?
4. शहर में काल है। अगर उस में जाएँ तो भूके मर जाएँगे, लेकिन यहाँ रहने से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। तो क्यूँ न हम शाम की लश्करगाह में जा कर अपने आप को उन के हवाले करें। अगर वह हमें ज़िन्दा रहने दें तो अच्छा रहेगा, और अगर वह हमें क़त्ल भी कर दें तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। यहाँ रह कर भी हमें मरना ही है।”
5. शाम के धुन्दल्के में वह रवाना हुए। लेकिन जब लश्करगाह के किनारे तक पहुँचे तो एक भी आदमी नज़र न आया।
6. क्यूँकि रब्ब ने शाम के फ़ौजियों को रथों, घोड़ों और एक बड़ी फ़ौज का शोर सुना दिया था। वह एक दूसरे से कहने लगे, “इस्राईल के बादशाह ने हित्ती और मिस्री बादशाहों को उजरत पर बुलाया ताकि वह हम पर हम्ला करें!”
7. डर के मारे वह शाम के धुन्दल्के में फ़रार हो गए थे। उन के ख़ैमे, घोड़े, गधे बल्कि पूरी लश्करगाह पीछे रह गई थी जबकि वह अपनी जान बचाने के लिए भाग गए थे।
8. जब कौड़ी लश्करगाह में दाख़िल हुए तो उन्हों ने एक ख़ैमे में जा कर जी भर कर खाना खाया और मै पी। फिर उन्हों ने सोना, चाँदी और कपड़े उठा कर कहीं छुपा दिए। वह वापस आ कर किसी और ख़ैमे में गए और उस का सामान जमा करके उसे भी छुपा दिया।
9. लेकिन फिर वह आपस में कहने लगे, “जो कुछ हम कर रहे हैं ठीक नहीं। आज ख़ुशी का दिन है, और हम यह ख़ुशख़बरी दूसरों तक नहीं पहुँचा रहे। अगर हम सुब्ह तक इन्तिज़ार करें तो क़ुसूरवार ठहरेंगे। आएँ, हम फ़ौरन वापस जा कर बादशाह के घराने को इत्तिला दें।”
10. चुनाँचे वह शहर के दरवाज़े के पास गए और पहरेदारों को आवाज़ दे कर उन्हें सब कुछ सुनाया, “हम शाम की लश्करगाह में गए तो वहाँ न कोई दिखाई दिया, न किसी की आवाज़ सुनाई दी। घोड़े और गधे बंधे हुए थे और ख़ैमे तर्तीब से खड़े थे, लेकिन आदमी एक भी मौजूद नहीं था!”
11. दरवाज़े के पहरेदारों ने आवाज़ दे कर दूसरों को ख़बर पहुँचाई तो शहर के अन्दर बादशाह के घराने को इत्तिला दी गई।
12. गो रात का वक़्त था तो भी बादशाह ने उठ कर अपने अफ़्सरों को बुलाया और कहा, “मैं आप को बताता हूँ कि शाम के फ़ौजी क्या कर रहे हैं। वह तो ख़ूब जानते हैं कि हम भूकों मर रहे हैं। अब वह अपनी लश्करगाह को छोड़ कर खुले मैदान में छुप गए हैं, क्यूँकि वह समझते हैं कि इस्राईली ख़ाली लश्करगाह को देख कर शहर से ज़रूर निकलेंगे और फिर हम उन्हें ज़िन्दा पकड़ कर शहर में दाख़िल हो जाएँगे।”
13. लेकिन एक अफ़्सर ने मश्वरा दिया, “बेहतर है कि हम चन्द एक आदमियों को पाँच बचे हुए घोड़ों के साथ लश्करगाह में भेजें। अगर वह पकड़े जाएँ तो कोई बात नहीं। क्यूँकि अगर वह यहाँ रहें तो फिर भी उन्हें हमारे साथ मरना ही है।”
14. चुनाँचे दो रथों को घोड़ों समेत तय्यार किया गया, और बादशाह ने उन्हें शाम की लश्करगाह में भेज दिया। रथबानों को उस ने हुक्म दिया, “जाएँ और पता करें कि क्या हुआ है।”
15. वह रवाना हुए और शाम के फ़ौजियों के पीछे पीछे चलने लगे। रास्ते में हर तरफ़ कपड़े और सामान बिखरा पड़ा था, क्यूँकि फ़ौजियों ने भागते भागते सब कुछ फैंक कर रास्ते में छोड़ दिया था। इस्राईली रथसवार दरया-ए-यर्दन तक पहुँचे और फिर बादशाह के पास वापस आ कर सब कुछ कह सुनाया।
16. तब सामरिया के बाशिन्दे शहर से निकल आए और शाम की लश्करगाह में जा कर सब कुछ लूट लिया। यूँ वह कुछ पूरा हुआ जो रब्ब ने फ़रमाया था कि साढे 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा।
17. जिस अफ़्सर के बाज़ू का सहारा बादशाह लेता था उसे उस ने दरवाज़े की निगरानी करने के लिए भेज दिया था। लेकिन जब लोग बाहर निकले तो अफ़्सर उन की ज़द में आ कर उन के पैरों तले कुचला गया। यूँ वैसा ही हुआ जैसा मर्द-ए-ख़ुदा ने उस वक़्त कहा था जब बादशाह उस के घर आया था।
18. क्यूँकि इलीशा ने बादशाह को बताया था, “कल इसी वक़्त शहर के दरवाज़े पर साढे 5 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 11 किलोग्राम जौ चाँदी के एक सिक्के के लिए बिकेगा।”
19. अफ़्सर ने एतिराज़ किया था, “यह नामुम्किन है, ख़्वाह रब्ब आस्मान के दरीचे क्यूँ न खोल दे।” और मर्द-ए-ख़ुदा ने जवाब दिया था, “आप अपनी आँखों से इस का मुशाहदा करेंगे, लेकिन ख़ुद उस में से कुछ नहीं खाएँगे।”
20. अब यह पेशगोई पूरी हुई, क्यूँकि बेकाबू लोगों ने उसे शहर के दरवाज़े पर पाँओ तले कुचल दिया, और वह मर गया।

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