2Kings (5/25)  

1. उस वक़्त शाम की फ़ौज का कमाँडर नामान था। बादशाह उस की बहुत क़दर करता था, और दूसरे भी उस की ख़ास इज़्ज़त करते थे, क्यूँकि रब्ब ने उस की मारिफ़त शाम के दुश्मनों पर फ़त्ह बख़्शी थी। लेकिन ज़बरदस्त फ़ौजी होने के बावुजूद वह संगीन जिल्दी बीमारी का मरीज़ था।
2. नामान के घर में एक इस्राईली लड़की रहती थी। किसी वक़्त जब शाम के फ़ौजियों ने इस्राईल पर छापा मारा था तो वह उसे गिरिफ़्तार करके यहाँ ले आए थे। अब लड़की नामान की बीवी की ख़िदमत करती थी।
3. एक दिन उस ने अपनी मालिकन से बात की, “काश मेरा आक़ा उस नबी से मिलने जाता जो सामरिया में रहता है। वह उसे ज़रूर शिफ़ा देता।”
4. यह सुन कर नामान ने बादशाह के पास जा कर लड़की की बात दुहराई।
5. बादशाह बोला, “ज़रूर जाएँ और उस नबी से मिलें। मैं आप के हाथ इस्राईल के बादशाह को सिफ़ारिशी ख़त भेज दूँगा।” चुनाँचे नामान रवाना हुआ। उस के पास तक़्रीबन 340 किलोग्राम चाँदी, 68 किलोग्राम सोना और 10 क़ीमती सूट थे।
6. जो ख़त वह साथ ले कर गया उस में लिखा था, “जो आदमी आप को यह ख़त पहुँचा रहा है वह मेरा ख़ादिम नामान है। मैं ने उसे आप के पास भेजा है ताकि आप उसे उस की जिल्दी बीमारी से शिफ़ा दें।”
7. ख़त पढ़ कर यूराम ने रंजिश के मारे अपने कपड़े फाड़े और पुकारा, “इस आदमी ने मरीज़ को मेरे पास भेज दिया है ताकि मैं उसे शिफ़ा दूँ! क्या मैं अल्लाह हूँ कि किसी को जान से मारूँ या उसे ज़िन्दा करूँ? अब ग़ौर करें और देखें कि वह किस तरह मेरे साथ झगड़ने का मौक़ा ढूँड रहा है।”
8. जब इलीशा को ख़बर मिली कि बादशाह ने घबरा कर अपने कपड़े फाड़ लिए हैं तो उस ने यूराम को पैग़ाम भेजा, “आप ने अपने कपड़े क्यूँ फाड़ लिए? आदमी को मेरे पास भेज दें तो वह जान लेगा कि इस्राईल में नबी है।”
9. तब नामान अपने रथ पर सवार इलीशा के घर के दरवाज़े पर पहुँच गया।
10. इलीशा ख़ुद न निकला बल्कि किसी को बाहर भेज कर इत्तिला दी, “जा कर सात बार दरया-ए-यर्दन में नहा लें। फिर आप के जिस्म को शिफ़ा मिलेगी और आप पाक-साफ़ हो जाएँगे।”
11. यह सुन कर नामान को ग़ुस्सा आया और वह यह कह कर चला गया, “मैं ने सोचा कि वह कम अज़ कम बाहर आ कर मुझ से मिलेगा। होना यह चाहिए था कि वह मेरे सामने खड़े हो कर रब्ब अपने ख़ुदा का नाम पुकारता और अपना हाथ बीमार जगह के ऊपर हिला हिला कर मुझे शिफ़ा देता।
12. क्या दमिश्क़ के दरया अबाना और फ़र्फ़र तमाम इस्राईली दरयाओं से बेहतर नहीं हैं? अगर नहाने की ज़रूरत है तो मैं क्यूँ न उन में नहा कर पाक-साफ़ हो जाऊँ?” यूँ बुड़बुड़ाते हुए वह बड़े ग़ुस्से में चला गया।
13. लेकिन उस के मुलाज़िमों ने उसे समझाने की कोशिश की। “हमारे आक़ा, अगर नबी आप से किसी मुश्किल काम का तक़ाज़ा करता तो क्या आप वह करने के लिए तय्यार न होते? अब जबकि उस ने सिर्फ़ यह कहा है कि नहा कर पाक-साफ़ हो जाएँ तो आप को यह ज़रूर करना चाहिए।”
14. आख़िरकार नामान मान गया और यर्दन की वादी में उतर गया। दरया पर पहुँच कर उस ने सात बार उस में डुबकी लगाई और वाक़ई उस का जिस्म लड़के के जिस्म जैसा सेहतमन्द और पाक-साफ़ हो गया।
15. तब नामान अपने तमाम मुलाज़िमों के साथ मर्द-ए-ख़ुदा के पास वापस गया। उस के सामने खड़े हो कर उस ने कहा, “अब मैं जान गया हूँ कि इस्राईल के ख़ुदा के सिवा पूरी दुनिया में ख़ुदा नहीं है। ज़रा अपने ख़ादिम से तुह्फ़ा क़बूल करें।”
16. लेकिन इलीशा ने इन्कार किया, “रब्ब की हयात की क़सम जिस की ख़िदमत मैं करता हूँ, मैं कुछ नहीं लूँगा।” नामान इस्रार करता रहा, तो भी वह कुछ लेने के लिए तय्यार न हुआ।
17. आख़िरकार नामान मान गया। उस ने कहा, “ठीक है, लेकिन मुझे ज़रा एक काम करने की इजाज़त दें। मैं यहाँ से इतनी मिट्टी अपने घर ले जाना चाहता हूँ जितनी दो ख़च्चर उठा कर ले जा सकते हैं। क्यूँकि आइन्दा मैं उस पर रब्ब को भस्म होने वाली और ज़बह की क़ुर्बानियाँ चढ़ाना चाहता हूँ। अब से मैं किसी और माबूद को क़ुर्बानियाँ पेश नहीं करूँगा।
18. लेकिन रब्ब मुझे एक बात के लिए मुआफ़ करे। जब मेरा बादशाह पूजा करने के लिए रिम्मोन के मन्दिर में जाता है तो मेरे बाज़ू का सहारा लेता है। यूँ मुझे भी उस के साथ झुक जाना पड़ता है जब वह बुत के सामने औंधे मुँह झुक जाता है। रब्ब मेरी यह हर्कत मुआफ़ कर दे।”
19. इलीशा ने जवाब दिया, “सलामती से जाएँ।” नामान रवाना हुआ
20. तो कुछ देर के बाद इलीशा का नौकर जैहाज़ी सोचने लगा, “मेरे आक़ा ने शाम के इस बन्दे नामान पर हद्द से ज़ियादा नर्मदिली का इज़्हार किया है। चाहिए तो था कि वह उस के तुह्फ़े क़बूल कर लेता। रब्ब की हयात की क़सम, मैं उस के पीछे दौड़ कर कुछ न कुछ उस से ले लूँगा।”
21. चुनाँचे जैहाज़ी नामान के पीछे भागा। जब नामान ने उसे देखा तो वह रथ से उतर कर जैहाज़ी से मिलने गया और पूछा, “क्या सब ख़ैरियत है?”
22. जैहाज़ी ने जवाब दिया, “जी, सब ख़ैरियत है। मेरे आक़ा ने मुझे आप को इत्तिला देने भेजा है कि अभी अभी नबियों के गुरोह के दो जवान इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े से मेरे पास आए हैं। मेहरबानी करके उन्हें 34 किलोग्राम चाँदी और दो क़ीमती सूट दे दें।”
23. नामान बोला, “ज़रूर, बल्कि 68 किलोग्राम चाँदी ले लें।” इस बात पर वह बज़िद रहा। उस ने 68 किलोग्राम चाँदी बोरियों में लपेट ली, दो सूट चुन लिए और सब कुछ अपने दो नौकरों को दे दिया ताकि वह सामान जैहाज़ी के आगे आगे ले चलें।
24. जब वह उस पहाड़ के दामन में पहुँचे जहाँ इलीशा रहता था तो जैहाज़ी ने सामान नौकरों से ले कर अपने घर में रख छोड़ा, फिर दोनों को रुख़्सत कर दिया।
25. फिर वह जा कर इलीशा के सामने खड़ा हो गया। इलीशा ने पूछा, “जैहाज़ी, तुम कहाँ से आए हो?” उस ने जवाब दिया, “मैं कहीं नहीं गया था।”
26. लेकिन इलीशा ने एतिराज़ किया, “क्या मेरी रूह तुम्हारे साथ नहीं थी जब नामान अपने रथ से उतर कर तुम से मिलने आया? क्या आज चाँदी, कपड़े, ज़ैतून और अंगूर के बाग़, भेड़-बक्रियाँ, गाय-बैल, नौकर और नौकरानियाँ हासिल करने का वक़्त था?
27. अब नामान की जिल्दी बीमारी हमेशा तक तुम्हें और तुम्हारी औलाद को लगी रहेगी।” जब जैहाज़ी कमरे से निकला तो जिल्दी बीमारी उसे लग चुकी थी। वह बर्फ़ की तरह सफ़ेद हो गया था।

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