2Kings (21/25)  

1. मनस्सी 12 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 55 साल था। उस की माँ हिफ़्सीबाह थी।
2. मनस्सी का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था। उस ने उन क़ौमों के क़ाबिल-ए-घिन रस्म-ओ-रिवाज अपना लिए जिन्हें रब्ब ने इस्राईलियों के आगे से निकाल दिया था।
3. ऊँची जगहों के जिन मन्दिरों को उस के बाप हिज़क़ियाह ने ढा दिया था उन्हें उस ने नए सिरे से तामीर किया। उस ने बाल देवता की क़ुर्बानगाहें बनवाईं और यसीरत देवी का खम्बा खड़ा किया, बिलकुल उसी तरह जिस तरह इस्राईल के बादशाह अख़ियब ने किया था। इन के इलावा वह सूरज, चाँद बल्कि आस्मान के पूरे लश्कर को सिज्दा करके उन की ख़िदमत करता था।
4. उस ने रब्ब के घर में भी अपनी क़ुर्बानगाहें खड़ी कीं, हालाँकि रब्ब ने इस मक़ाम के बारे में फ़रमाया था, “मैं यरूशलम में अपना नाम क़ाइम करूँगा।”
5. लेकिन मनस्सी ने पर्वा न की बल्कि रब्ब के घर के दोनों सहनों में आस्मान के पूरे लश्कर के लिए क़ुर्बानगाहें बनवाईं।
6. यहाँ तक कि उस ने अपने बेटे को भी क़ुर्बान करके जला दिया। जादूगरी और ग़ैबदानी करने के इलावा वह मुर्दों की रूहों से राबिता करने वालों और रम्मालों से भी मश्वरा करता था। ग़रज़ उस ने बहुत कुछ किया जो रब्ब को नापसन्द था और उसे तैश दिलाया।
7. यसीरत देवी का खम्बा बनवा कर उस ने उसे रब्ब के घर में खड़ा किया, हालाँकि रब्ब ने दाऊद और उस के बेटे सुलेमान से कहा था, “इस घर और इस शहर यरूशलम में जो मैं ने तमाम इस्राईली क़बीलों में से चुन लिया है मैं अपना नाम अबद तक क़ाइम रखूँगा।
8. अगर इस्राईली एहतियात से मेरे उन तमाम अह्काम की पैरवी करें जो मूसा ने शरीअत में उन्हें दिए तो मैं कभी नहीं होने दूँगा कि इस्राईलियों को उस मुल्क से जिलावतन कर दिया जाए जो मैं ने उन के बापदादा को अता किया था।”
9. लेकिन लोग रब्ब के ताबे न रहे, और मनस्सी ने उन्हें ऐसे ग़लत काम करने पर उकसाया जो उन क़ौमों से भी सरज़द नहीं हुए थे जिन्हें रब्ब ने मुल्क में दाख़िल होते वक़्त उन के आगे से तबाह कर दिया था।
10. आख़िरकार रब्ब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त एलान किया,
11. “यहूदाह के बादशाह मनस्सी से क़ाबिल-ए-घिन गुनाह सरज़द हुए हैं। उस की हर्कतें मुल्क में इस्राईल से पहले रहने वाले अमोरियों की निस्बत कहीं ज़ियादा शरीर हैं। अपने बुतों से उस ने यहूदाह के बाशिन्दों को गुनाह करने पर उकसाया है।
12. चुनाँचे रब्ब इस्राईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं यरूशलम और यहूदाह पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इस की ख़बर मिलेगी उस के कान बजने लगेंगे।
13. मैं यरूशलम को उसी नाप से नापूँगा जिस से सामरिया को नाप चुका हूँ। मैं उसे उस तराज़ू में रख कर तोलूँगा जिस में अख़ियब का घराना तोल चुका हूँ। जिस तरह बर्तन सफ़ाई करते वक़्त पोंछ कर उलटे रखे जाते हैं उसी तरह मैं यरूशलम का सफ़ाया कर दूँगा।
14. उस वक़्त मैं अपनी मीरास का बचा खचा हिस्सा भी तर्क कर दूँगा। मैं उन्हें उन के दुश्मनों के हवाले कर दूँगा जो उन की लूट-मार करेंगे।
15. और वजह यही होगी कि उन से ऐसी हर्कतें सरज़द हुई हैं जो मुझे नापसन्द हैं। उस दिन से ले कर जब उन के बापदादा मिस्र से निकल आए आज तक वह मुझे तैश दिलाते रहे हैं’।”
16. लेकिन मनस्सी ने न सिर्फ़ यहूदाह के बाशिन्दों को बुतपरस्ती और ऐसे काम करने पर उकसाया जो रब्ब को नापसन्द थे बल्कि उस ने बेशुमार बेक़ुसूर लोगों को क़त्ल भी किया। उन के ख़ून से यरूशलम एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया।
17. बाक़ी जो कुछ मनस्सी की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उस में उस के गुनाहों का ज़िक्र भी किया गया है।
18. जब वह मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उस के महल के बाग़ में दफ़नाया गया जो उज़्ज़ा का बाग़ कहलाता है। फिर उस का बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ।
19. अमून 22 साल की उम्र में बादशाह बना और दो साल तक यरूशलम में हुकूमत करता रहा। उस की माँ मसुल्लिमत बिन्त हरूस युत्बा की रहने वाली थी।
20. अपने बाप मनस्सी की तरह अमून ऐसा ग़लत काम करता रहा जो रब्ब को नापसन्द था।
21. वह हर तरह से अपने बाप के बुरे नमूने पर चल कर उन बुतों की ख़िदमत और पूजा करता रहा जिन की पूजा उस का बाप करता आया था।
22. रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा को उस ने तर्क किया, और वह उस की राहों पर नहीं चलता था।
23. एक दिन अमून के कुछ अफ़्सरों ने उस के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे महल में क़त्ल कर दिया।
24. लेकिन उम्मत ने तमाम साज़िश करने वालों को मार डाला और अमून के बेटे यूसियाह को बादशाह बना दिया।
25. बाक़ी जो कुछ अमून की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है।
26. उसे उज़्ज़ा के बाग़ में उस की अपनी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उस का बेटा यूसियाह तख़्तनशीन हुआ।

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