2Kings (15/25)  

1. उज़्ज़ियाह बिन अमसियाह इस्राईल के बादशाह यरुबिआम दुवुम की हुकूमत के 27वें साल में यहूदाह का बादशाह बना।
2. उस वक़्त उस की उम्र 16 साल थी, और वह यरूशलम में रह कर 52 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यकूलियाह यरूशलम की रहने वाली थी।
3. अपने बाप अमसियाह की तरह उस का चाल-चलन रब्ब को पसन्द था,
4. लेकिन ऊँची जगहों को दूर न किया गया, और आम लोग वहाँ अपनी क़ुर्बानियाँ चढ़ाते और बख़ूर जलाते रहे।
5. एक दिन रब्ब ने बादशाह को सज़ा दी कि उसे कोढ़ लग गया। उज़्ज़ियाह जीते जी इस बीमारी से शिफ़ा न पा सका, और उसे अलाहिदा घर में रहना पड़ा। उस के बेटे यूताम को महल पर मुक़र्रर किया गया, और वही उम्मत पर हुकूमत करने लगा।
6. बाक़ी जो कुछ उज़्ज़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।
7. जब वह मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ान्दानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा यूताम तख़्तनशीन हुआ।
8. ज़करियाह बिन यरुबिआम यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 38वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। उस का दार-उल-हकूमत भी सामरिया था, लेकिन छः माह के बाद उस की हुकूमत ख़त्म हो गई।
9. अपने बापदादा की तरह ज़करियाह का चाल-चलन भी रब्ब को नापसन्द था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबिआम बिन नबात ने इस्राईल को उकसाया था।
10. सल्लूम बिन यबीस ने उस के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे सब के सामने क़त्ल किया। फिर वह उस की जगह बादशाह बन गया।
11. बाक़ी जो कुछ ज़करियाह की हुकूमत के दौरान हुआ उस का ज़िक्र ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में किया गया है।
12. यूँ रब्ब का वह वादा पूरा हुआ जो उस ने याहू से किया था, “तेरी औलाद चौथी पुश्त तक इस्राईल पर हुकूमत करती रहेगी।”
13. सल्लूम बिन यबीस यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह के 39वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। वह सामरिया में रह कर सिर्फ़ एक माह तक तख़्त पर बैठ सका।
14. फिर मनाहिम बिन जादी ने तिर्ज़ा से आ कर सल्लूम को सामरिया में क़त्ल कर दिया। इस के बाद वह ख़ुद तख़्त पर बैठ गया।
15. बाक़ी जो कुछ सल्लूम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो साज़िशें उस ने कीं वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है।
16. उस वक़्त मनाहिम ने तिर्ज़ा से आ कर शहर तिफ़्सह को उस के तमाम बाशिन्दों और गिर्द-ओ-नवाह के इलाक़े समेत तबाह किया। वजह यह थी कि उस के बाशिन्दे अपने दरवाज़ों को खोल कर उस के ताबे हो जाने के लिए तय्यार नहीं थे। जवाब में मनाहिम ने उन को मारा और तमाम हामिला औरतों के पेट चीर डाले।
17. मनाहिम बिन जादी यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 39वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। सामरिया उस का दार-उल-हकूमत था, और उस की हुकूमत का दौरानिया 10 साल था।
18. उस का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था, और वह ज़िन्दगी भर उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबिआम बिन नबात ने इस्राईल को उकसाया था।
19. मनाहिम के दौर-ए-हुकूमत में असूर का बादशाह पूल यानी तिग्लत-पिलेसर मुल्क से लड़ने आया। मनाहिम ने उसे 34,000 किलोग्राम चाँदी दे दी ताकि वह उस की हुकूमत मज़्बूत करने में मदद करे। तब असूर का बादशाह इस्राईल को छोड़ कर अपने मुल्क वापस चला गया। चाँदी के यह पैसे मनाहिम ने अमीर इस्राईलियों से जमा किए। हर एक को चाँदी के 50 सिक्के अदा करने पड़े।
20. मनाहिम के दौर-ए-हुकूमत में असूर का बादशाह पूल यानी तिग्लत-पिलेसर मुल्क से लड़ने आया। मनाहिम ने उसे 34,000 किलोग्राम चाँदी दे दी ताकि वह उस की हुकूमत मज़्बूत करने में मदद करे। तब असूर का बादशाह इस्राईल को छोड़ कर अपने मुल्क वापस चला गया। चाँदी के यह पैसे मनाहिम ने अमीर इस्राईलियों से जमा किए। हर एक को चाँदी के 50 सिक्के अदा करने पड़े।
21. बाक़ी जो कुछ मनाहिम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।
22. जब वह मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उस का बेटा फ़िक़हियाह तख़्त पर बैठ गया।
23. फ़िक़हियाह बिन मनाहिम यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह के 50वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। सामरिया में रह कर उस की हुकूमत का दौरानिया दो साल था।
24. फ़िक़हियाह का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबिआम बिन नबात ने इस्राईल को उकसाया था।
25. एक दिन फ़ौज के आला अफ़्सर फ़िक़ह बिन रमलियाह ने उस के ख़िलाफ़ साज़िश की। जिलिआद के 50 आदमियों को अपने साथ ले कर उस ने फ़िक़हियाह को सामरिया के महल के बुर्ज में मार डाला। उस वक़्त दो और अफ़्सर बनाम अर्जूब और अरिया भी उस की ज़द में आ कर मर गए। इस के बाद फ़िक़ह तख़्त पर बैठ गया।
26. बाक़ी जो कुछ फ़िक़हियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है।
27. फ़िक़ह बिन रमलियाह यहूदाह के बादशाह उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 52वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। सामरिया में रह कर वह 20 साल तक हुकूमत करता रहा।
28. फ़िक़ह का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर यरुबिआम बिन नबात ने इस्राईल को उकसाया था।
29. फ़िक़ह के दौर-ए-हुकूमत में असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर ने इस्राईल पर हम्ला किया। ज़ैल के तमाम शहर उस के क़ब्ज़े में आ गए : ऐय्यून, अबील-बैत-माका, यानूह, क़ादिस और हसूर। जिलिआद और गलील के इलाक़े भी नफ़्ताली के पूरे क़बाइली इलाक़े समेत उस की गिरिफ़्त में आ गए। असूर का बादशाह इन तमाम जगहों में आबाद लोगों को गिरिफ़्तार करके अपने मुल्क असूर ले गया।
30. एक दिन होसेअ बिन ऐला ने फ़िक़ह के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे मौत के घाट उतार दिया। फिर वह ख़ुद तख़्त पर बैठ गया। यह यहूदाह के बादशाह यूताम बिन उज़्ज़ियाह की हुकूमत के 20वें साल में हुआ।
31. बाक़ी जो कुछ फ़िक़ह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।
32. उज़्ज़ियाह का बेटा यूताम इस्राईल के बादशाह फ़िक़ह की हुकूमत के दूसरे साल में यहूदाह का बादशाह बना।
33. वह 25 साल की उम्र में बादशाह बना और यरूशलम में रह कर 16 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यरूसा बिन्त सदोक़ थी।
34. वह अपने बाप उज़्ज़ियाह की तरह वह कुछ करता रहा जो रब्ब को पसन्द था।
35. तो भी ऊँची जगहों के मन्दिर हटाए न गए। लोग वहाँ अपनी क़ुर्बानियाँ चढ़ाने और बख़ूर जलाने से बाज़ न आए। यूताम ने रब्ब के घर का बालाई दरवाज़ा तामीर किया।
36. बाक़ी जो कुछ यूताम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में क़लमबन्द है।
37. उन दिनों में रब्ब शाम के बादशाह रज़ीन और फ़िक़ह बिन रमलियाह को यहूदाह के ख़िलाफ़ भेजने लगा ताकि उस से लड़ें।
38. जब यूताम मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ान्दानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा आख़ज़ तख़्त पर बैठ गया।

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