2Kings (14/25)  

1. अमसियाह बिन यूआस इस्राईल के बादशाह यहूआस बिन यहूआख़ज़ के दूसरे साल में यहूदाह का बादशाह बना।
2. उस वक़्त वह 25 साल का था। वह यरूशलम में रह कर 29 साल हुकूमत करता रहा। उस की माँ यहूअद्दान यरूशलम की रहने वाली थी।
3. जो कुछ अमसियाह ने किया वह रब्ब को पसन्द था, अगरचि वह उतनी वफ़ादारी से रब्ब की पैरवी नहीं करता था जितनी उस के बाप दाऊद ने की थी। हर काम में वह अपने बाप यूआस के नमूने पर चला,
4. लेकिन उस ने भी ऊँची जगहों के मन्दिरों को दूर न किया। आम लोग अब तक वहाँ क़ुर्बानियाँ चढ़ाते और बख़ूर जलाते रहे।
5. जूँ ही अमसियाह के पाँओ मज़्बूती से जम गए उस ने उन अफ़्सरों को सज़ा-ए-मौत दी जिन्हों ने बाप को क़त्ल कर दिया था।
6. लेकिन उन के बेटों को उस ने ज़िन्दा रहने दिया और यूँ मूसवी शरीअत के ताबे रहा जिस में रब्ब फ़रमाता है, “वालिदैन को उन के बच्चों के जराइम के सबब से सज़ा-ए-मौत न दी जाए, न बच्चों को उन के वालिदैन के जराइम के सबब से। अगर किसी को सज़ा-ए-मौत देनी हो तो उस गुनाह के सबब से जो उस ने ख़ुद किया है।”
7. अमसियाह ने अदोमियों को नमक की वादी में शिकस्त दी। उस वक़्त उन के 10,000 फ़ौजी उस से लड़ने आए थे। जंग के दौरान उस ने सिला शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और उस का नाम युक़्तिएल रखा। यह नाम आज तक राइज है।
8. इस फ़त्ह के बाद अमसियाह ने इस्राईल के बादशाह यहूआस बिन यहूआख़ज़ को पैग़ाम भेजा, “आएँ, हम एक दूसरे का मुक़ाबला करें!”
9. लेकिन इस्राईल के बादशाह यहूआस ने जवाब दिया, “लुब्नान में एक काँटेदार झाड़ी ने देओदार के एक दरख़्त से बात की, ‘मेरे बेटे के साथ अपनी बेटी का रिश्ता बान्धो।’ लेकिन उसी वक़्त लुब्नान के जंगली जानवरों ने उस के ऊपर से गुज़र कर उसे पाँओ तले कुचल डाला।
10. मुल्क-ए-अदोम पर फ़त्ह पाने के सबब से आप का दिल मग़रूर हो गया है। लेकिन मेरा मश्वरा है कि आप अपने घर में रह कर फ़त्ह में हासिल हुई शुहरत का मज़ा लेने पर इकतिफ़ा करें। आप ऐसी मुसीबत को क्यूँ दावत देते हैं जो आप और यहूदाह की तबाही का बाइस बन जाए?”
11. लेकिन अमसियाह मानने के लिए तय्यार नहीं था, इस लिए यहूआस अपनी फ़ौज ले कर यहूदाह पर चढ़ आया। बैत-शम्स के पास उस का यहूदाह के बादशाह के साथ मुक़ाबला हुआ।
12. इस्राईल की फ़ौज ने यहूदाह की फ़ौज को शिकस्त दी, और हर एक अपने अपने घर भाग गया।
13. इस्राईल के बादशाह यहूआस ने यहूदाह के बादशाह अमसियाह बिन यूआस बिन अख़ज़ियाह को वहीं बैत-शम्स में गिरिफ़्तार कर लिया। फिर वह यरूशलम गया और शहर की फ़सील इफ़्राईम नामी दरवाज़े से कोने के दरवाज़े तक गिरा दी। इस हिस्से की लम्बाई तक़्रीबन 600 फ़ुट थी।
14. जितना भी सोना, चाँदी और क़ीमती सामान रब्ब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों में था उसे उस ने पूरे का पूरा छीन लिया। लूटा हुआ माल और बाज़ यरग़मालों को ले कर वह सामरिया वापस चला गया।
15. बाक़ी जो कुछ यहूआस की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उस ने किया और जो काम्याबियाँ उसे हासिल हुईं वह शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़ की किताब में दर्ज हैं। उस में उस की यहूदाह के बादशाह अमसियाह के साथ जंग का ज़िक्र भी है।
16. जब यहूआस मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में इस्राईल के बादशाहों की क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा यरुबिआम दुवुम तख़्तनशीन हुआ।
17. इस्राईल के बादशाह यहूआस बिन यहूआख़ज़ की मौत के बाद यहूदाह का बादशाह अमसियाह बिन यूआस मज़ीद 15 साल जीता रहा।
18. बाक़ी जो कुछ अमसियाह की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहान-ए-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।
19. एक दिन लोग यरूशलम में उस के ख़िलाफ़ साज़िश करने लगे। आख़िरकार उस ने फ़रार हो कर लकीस में पनाह ली, लेकिन साज़िश करने वालों ने अपने लोगों को उस के पीछे भेजा, और वह वहाँ उसे क़त्ल करने में काम्याब हो गए।
20. उस की लाश घोड़े पर उठा कर यरूशलम लाई गई जहाँ उसे शहर के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ान्दानी क़ब्र में दफ़नाया गया।
21. यहूदाह के तमाम लोगों ने अमसियाह के बेटे उज़्ज़ियाह को बाप के तख़्त पर बिठा दिया। उस की उम्र 16 साल थी
22. जब उस का बाप मर कर अपने बापदादा से जा मिला। बादशाह बनने के बाद उज़्ज़ियाह ने ऐलात शहर पर क़ब्ज़ा करके उसे दुबारा यहूदाह का हिस्सा बना लिया। उस ने शहर में बहुत तामीरी काम करवाया।
23. यहूदाह के बादशाह अमसियाह बिन यूआस के 15वें साल में यरुबिआम बिन यहूआस इस्राईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 41 साल था, और उस का दार-उल-हकूमत सामरिया रहा।
24. उस का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था। वह उन गुनाहों से बाज़ न आया जो करने पर नबात के बेटे यरुबिआम अव्वल ने इस्राईल को उकसाया था।
25. यरुबिआम दुवुम लबो-हमात से ले कर बहीरा-ए-मुर्दार तक उन तमाम इलाक़ों पर दुबारा क़ब्ज़ा कर सका जो पहले इस्राईल के थे। यूँ वह वादा पूरा हुआ जो रब्ब इस्राईल के ख़ुदा ने अपने ख़ादिम जात-हिफ़र के रहने वाले नबी यूनुस बिन अमित्ती की मारिफ़त किया था।
26. क्यूँकि रब्ब ने इस्राईल की निहायत बुरी हालत पर ध्यान दिया था। उसे मालूम था कि छोटे बड़े सब हलाक होने वाले हैं और कि उन्हें छुड़ाने वाला कोई नहीं है।
27. रब्ब ने कभी नहीं कहा था कि मैं इस्राईल क़ौम का नाम-ओ-निशान मिटा दूँगा, इस लिए उस ने उन्हें यरुबिआम बिन यहूआस के वसीले से नजात दिलाई।
28. बाक़ी जो कुछ यरुबिआम दुवुम की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उस ने किया और जो जंगी काम्याबियाँ उसे हासिल हुईं उन का ज़िक्र ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में हुआ है। उस में यह भी बयान किया गया है कि उस ने किस तरह दमिश्क़ और हमात पर दुबारा क़ब्ज़ा कर लिया।
29. जब यरुबिआम मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में बादशाहों की क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा ज़करियाह तख़्तनशीन हुआ।

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