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1. अख़ियब की मौत के बाद मोआब का मुल्क बाग़ी हो कर इस्राईल के ताबे न रहा।
2. सामरिया के शाही महल के बालाख़ाने की एक दीवार में जंगला लगा था। एक दिन अख़ज़ियाह बादशाह जंगले के साथ लग गया तो वह टूट गया और बादशाह ज़मीन पर गिर कर बहुत ज़ख़्मी हुआ। उस ने क़ासिदों को फ़िलिस्ती शहर अक़्रून भेज कर कहा, “जा कर अक़्रून के देवता बाल-ज़बूब से पता करें कि मेरी सेहत बहाल हो जाएगी कि नहीं।”
3. तब रब्ब के फ़रिश्ते ने इल्यास तिश्बी को हुक्म दिया, “उठ, सामरिया के बादशाह के क़ासिदों से मिलने जा। उन से पूछ, ‘आप दरयाफ़्त करने के लिए अक़्रून के देवता बाल-ज़बूब के पास क्यूँ जा रहे हैं? क्या इस्राईल में कोई ख़ुदा नहीं है?
4. चुनाँचे रब्ब फ़रमाता है कि ऐ अख़ज़ियाह, जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उस से तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।” इल्यास जा कर क़ासिदों से मिला।
5. उस का पैग़ाम सुन कर क़ासिद बादशाह के पास वापस गए। उस ने पूछा, “आप इतनी जल्दी वापस क्यूँ आए?”
6. उन्हों ने जवाब दिया, “एक आदमी हम से मिलने आया जिस ने हमें आप के पास वापस भेज कर आप को यह ख़बर पहुँचाने को कहा, ‘रब्ब फ़रमाता है कि तू अपने बारे में दरयाफ़्त करने के लिए अपने बन्दों को अक़्रून के देवता बाल-ज़बूब के पास क्यूँ भेज रहा है? क्या इस्राईल में कोई ख़ुदा नहीं है? चूँकि तू ने यह किया है इस लिए जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उस से तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।”
7. अख़ज़ियाह ने पूछा, “यह किस क़िस्म का आदमी था जिस ने आप से मिल कर आप को यह बात बताई?”
8. उन्हों ने जवाब दिया, “उस के लम्बे बाल थे, और कमर में चमड़े की पेटी बंधी हुई थी।” बादशाह बोल उठा, “यह तो इल्यास तिश्बी था!”
9. फ़ौरन उस ने एक अफ़्सर को 50 फ़ौजियों समेत इल्यास के पास भेज दिया। जब फ़ौजी इल्यास के पास पहुँचे तो वह एक पहाड़ी की चोटी पर बैठा था। अफ़्सर बोला, “ऐ मर्द-ए-ख़ुदा, बादशाह कहते हैं कि नीचे उतर आएँ!”
10. इल्यास ने जवाब दिया, “अगर मैं मर्द-ए-ख़ुदा हूँ तो आस्मान से आग नाज़िल हो कर आप और आप के 50 फ़ौजियों को भस्म कर दे।” फ़ौरन आस्मान से आग नाज़िल हुई और अफ़्सर को उस के लोगों समेत भस्म कर दिया।
11. बादशाह ने एक और अफ़्सर को इल्यास के पास भेज दिया। उस के साथ भी 50 फ़ौजी थे। उस के पास पहुँच कर अफ़्सर बोला, “ऐ मर्द-ए-ख़ुदा, बादशाह कहते हैं कि फ़ौरन उतर आएँ।”
12. इल्यास ने दुबारा पुकारा, “अगर मैं मर्द-ए-ख़ुदा हूँ तो आस्मान से आग नाज़िल हो कर आप और आप के 50 फ़ौजियों को भस्म कर दे।” फ़ौरन आस्मान से अल्लाह की आग नाज़िल हुई और अफ़्सर को उस के 50 फ़ौजियों समेत भस्म कर दिया।
13. फिर बादशाह ने तीसरी बार एक अफ़्सर को 50 फ़ौजियों के साथ इल्यास के पास भेज दिया। लेकिन यह अफ़्सर इल्यास के पास ऊपर चढ़ आया और उस के सामने घुटने टेक कर इलतिमास करने लगा, “ऐ मर्द-ए-ख़ुदा, मेरी और अपने इन 50 ख़ादिमों की जानों की क़दर करें।
14. देखें, आग ने आस्मान से नाज़िल हो कर पहले दो अफ़्सरों को उन के आदमियों समेत भस्म कर दिया है। लेकिन बराह-ए-करम हमारे साथ ऐसा न करें। मेरी जान की क़दर करें।”
15. तब रब्ब के फ़रिश्ते ने इल्यास से कहा, “इस से मत डरना बल्कि इस के साथ उतर जा!” चुनाँचे इल्यास उठा और अफ़्सर के साथ उतर कर बादशाह के पास गया।
16. उस ने बादशाह से कहा, “रब्ब फ़रमाता है, ‘तू ने अपने क़ासिदों को अक़्रून के देवता बाल-ज़बूब से दरयाफ़्त करने के लिए क्यूँ भेजा? क्या इस्राईल में कोई ख़ुदा नहीं है? चूँकि तू ने यह किया है इस लिए जिस बिस्तर पर तू पड़ा है उस से तू कभी नहीं उठने का। तू यक़ीनन मर जाएगा’।”
17. वैसा ही हुआ जैसा रब्ब ने इल्यास की मारिफ़त फ़रमाया था, अख़ज़ियाह मर गया। चूँकि उस का बेटा नहीं था इस लिए उस का भाई यहूराम यहूदाह के बादशाह यूराम बिन यहूसफ़त की हुकूमत के दूसरे साल में तख़्तनशीन हुआ।
18. बाक़ी जो कुछ अख़ज़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है।

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