2Corinthians (7/13)  

1. मेरे अज़ीज़ो, यह तमाम वादे हम से किए गए हैं। इस लिए आएँ, हम अपने आप को हर उस चीज़ से पाक-साफ़ करें जो जिस्म और रूह को आलूदा कर देती है। और हम ख़ुदा के ख़ौफ़ में मुकम्मल तौर पर मुक़द्दस बनने के लिए कोशाँ रहें।
2. हमें अपने दिल में जगह दें। न हम ने किसी से नाइन्साफ़ी की, न किसी को बिगाड़ा या उस से ग़लत फ़ाइदा उठाया।
3. मैं यह बात आप को मुज्रिम ठहराने के लिए नहीं कह रहा। मैं आप को पहले बता चुका हूँ कि आप हमें इतने अज़ीज़ हैं कि हम आप के साथ मरने और जीने के लिए तय्यार हैं।
4. इस लिए मैं आप से खुल कर बात करता हूँ और मैं आप पर बड़ा फ़ख़र भी करता हूँ। इस नाते से मुझे पूरी तसल्ली है, और हमारी तमाम मुसीबतों के बावुजूद मेरी ख़ुशी की इन्तिहा नहीं।
5. क्यूँकि जब हम मकिदुनिया पहुँचे तो हम जिस्म के लिहाज़ से आराम न कर सके। मुसीबतों ने हमें हर तरफ़ से घेर लिया। दूसरों की तरफ़ से झगड़ों से और दिल में तरह तरह के डर से निपटना पड़ा।
6. लेकिन अल्लाह ने जो दबे हुओं को तसल्ली बख़्शता है तितुस के आने से हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई की।
7. हमारा हौसला न सिर्फ़ उस के आने से बढ़ गया बल्कि उन हौसलाअफ़्ज़ा बातों से भी जिन से आप ने उसे तसल्ली दी। उस ने हमें आप की आर्ज़ू, आप की आह-ओ-ज़ारी और मेरे लिए आप की सरगर्मी के बारे में रिपोर्ट दी। यह सुन कर मेरी ख़ुशी मज़ीद बढ़ गई।
8. क्यूँकि अगरचि मैं ने आप को अपने ख़त से दुख पहुँचाया तो भी मैं पछताता नहीं। पहले तो मैं ख़त लिखने से पछताया, लेकिन अब मैं देखता हूँ कि जो दुख उस ने आप को पहुँचाया वह सिर्फ़ आरिज़ी था
9. और उस ने आप को तौबा तक पहुँचाया। यह सुन कर मैं अब ख़ुशी मनाता हूँ, इस लिए नहीं कि आप को दुख उठाना पड़ा है बल्कि इस लिए कि इस दुख ने आप को तौबा तक पहुँचाया। अल्लाह ने यह दुख अपनी मर्ज़ी पूरी कराने के लिए इस्तेमाल किया, इस लिए आप को हमारी तरफ़ से कोई नुक़्सान न पहुँचा।
10. क्यूँकि जो दुख अल्लाह अपनी मर्ज़ी पूरी कराने के लिए इस्तेमाल करता है उस से तौबा पैदा होती है और उस का अन्जाम नजात है। इस में पछताने की गुन्जाइश ही नहीं। इस के बरअक्स दुनियावी दुख का अन्जाम मौत है।
11. आप ख़ुद देखें कि अल्लाह के इस दुख ने आप में क्या पैदा किया है : कितनी सन्जीदगी, अपना दिफ़ा करने का कितना जोश, ग़लत हर्कतों पर कितना ग़ुस्सा, कितना ख़ौफ़, कितनी चाहत, कितनी सरगर्मी। आप सज़ा देने के लिए कितने तय्यार थे! आप ने हर लिहाज़ से साबित किया है कि आप इस मुआमले में बेक़ुसूर हैं।
12. ग़रज़, अगरचि मैं ने आप को लिखा, लेकिन मक़्सद यह नहीं था कि ग़लत हर्कतें करने वाले के बारे में लिखूँ या उस के बारे में जिस के साथ ग़लत काम किया गया। नहीं, मक़्सद यह था कि अल्लाह के हुज़ूर आप पर ज़ाहिर हो जाए कि आप हमारे लिए कितने सरगर्म हैं।
13. यही वजह है कि हमारा हौसला बढ़ गया है। लेकिन न सिर्फ़ हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई हुई है बल्कि हम यह देख कर बेइन्तिहा ख़ुश हुए कि तितुस कितना ख़ुश था। वह क्यूँ ख़ुश था? इस लिए कि उस की रूह आप सब से तर-ओ-ताज़ा हुई।
14. उस के सामने मैं ने आप पर फ़ख़र किया था, और मैं शर्मिन्दा नहीं हुआ क्यूँकि यह बात दुरुस्त साबित हुई है। जिस तरह हम ने आप को हमेशा सच्ची बातें बताई हैं उसी तरह तितुस के सामने आप पर हमारा फ़ख़र भी दुरुस्त निकला।
15. आप उसे निहायत अज़ीज़ हैं क्यूँकि वह आप सब की फ़रमाँबरदारी याद करता है, कि आप ने डरते और काँपते हुए उसे ख़ुशआमदीद कहा।
16. मैं ख़ुश हूँ कि मैं हर लिहाज़ से आप पर एतिमाद कर सकता हूँ।

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