2Chronicles (8/36)  

1. रब्ब के घर और शाही महल को तामीर करने में 20 साल सर्फ़ हुए थे।
2. इस के बाद सुलेमान ने वह आबादियाँ नए सिरे से तामीर कीं जो हीराम ने उसे दे दी थीं। इन में उस ने इस्राईलियों को बसा दिया।
3. एक फ़ौजी मुहिम्म के दौरान उस ने हमात-ज़ोबाह पर हम्ला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया।
4. इस के इलावा उस ने हमात के इलाक़े में गोदाम के शहर बनाए। रेगिस्तान के शहर तदमूर में उस ने बहुत सा तामीरी काम कराया
5. और इसी तरह बालाई और निशेबी बैत-हौरून और बालात में भी। इन शहरों के लिए उस ने फ़सील और कुंडे वाले दरवाज़े बनवाए। सुलेमान ने अपने गोदामों के लिए और अपने रथों और घोड़ों को रखने के लिए भी शहर बनवाए। जो कुछ भी वह यरूशलम, लुब्नान या अपनी सल्तनत की किसी और जगह बनवाना चाहता था वह उस ने बनवाया।
6. और इसी तरह बालाई और निशेबी बैत-हौरून और बालात में भी। इन शहरों के लिए उस ने फ़सील और कुंडे वाले दरवाज़े बनवाए। सुलेमान ने अपने गोदामों के लिए और अपने रथों और घोड़ों को रखने के लिए भी शहर बनवाए। जो कुछ भी वह यरूशलम, लुब्नान या अपनी सल्तनत की किसी और जगह बनवाना चाहता था वह उस ने बनवाया।
7. जिन आदमियों की सुलेमान ने बेगार पर भर्ती की वह इस्राईली नहीं थे बल्कि हित्ती, अमोरी, फ़रिज़्ज़ी, हिव्वी और यबूसी यानी कनआन के पहले बाशिन्दों की वह औलाद थे जो बाक़ी रह गए थे। मुल्क पर क़ब्ज़ा करते वक़्त इस्राईली इन क़ौमों को पूरे तौर पर मिटा न सके, और आज तक इन की औलाद को इस्राईल के लिए बेगार में काम करना पड़ता है।
8. जिन आदमियों की सुलेमान ने बेगार पर भर्ती की वह इस्राईली नहीं थे बल्कि हित्ती, अमोरी, फ़रिज़्ज़ी, हिव्वी और यबूसी यानी कनआन के पहले बाशिन्दों की वह औलाद थे जो बाक़ी रह गए थे। मुल्क पर क़ब्ज़ा करते वक़्त इस्राईली इन क़ौमों को पूरे तौर पर मिटा न सके, और आज तक इन की औलाद को इस्राईल के लिए बेगार में काम करना पड़ता है।
9. लेकिन सुलेमान ने इस्राईलियों को ऐसे काम करने पर मज्बूर न किया बल्कि वह उस के फ़ौजी और रथों के फ़ौजियों के अफ़्सर बन गए, और उन्हें रथों और घोड़ों पर मुक़र्रर किया गया।
10. सुलेमान के तामीरी काम पर भी 250 इस्राईली मुक़र्रर थे जो ज़िलओं पर मुक़र्रर अफ़्सरों के ताबे थे। यह लोग तामीरी काम करने वालों की निगरानी करते थे।
11. फ़िरऔन की बेटी यरूशलम के पुराने हिस्से बनाम ‘दाऊद का शहर’ से उस महल में मुन्तक़िल हुई जो सुलेमान ने उस के लिए तामीर किया था, क्यूँकि सुलेमान ने कहा, “लाज़िम है कि मेरी अहलिया इस्राईल के बादशाह दाऊद के महल में न रहे। चूँकि रब्ब का सन्दूक़ यहाँ से गुज़रा है, इस लिए यह जगह मुक़द्दस है।”
12. उस वक़्त से सुलेमान रब्ब को रब्ब के घर के बड़े हाल के सामने की क़ुर्बानगाह पर भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ पेश करता था।
13. जो कुछ भी मूसा ने रोज़ाना की क़ुर्बानियों के मुताल्लिक़ फ़रमाया था उस के मुताबिक़ बादशाह क़ुर्बानियाँ चढ़ाता था। इन में वह क़ुर्बानियाँ भी शामिल थीं जो सबत के दिन, नए चाँद की ईद पर और साल की तीन बड़ी ईदों पर यानी फ़सह की ईद, हफ़्तों की ईद और झोंपड़ियों की ईद पर पेश की जाती थीं।
14. सुलेमान ने इमामों के मुख़्तलिफ़ गुरोहों को वह ज़िम्मादारियाँ सौंपीं जो उस के बाप दाऊद ने मुक़र्रर की थीं। लावियों की ज़िम्मादारियाँ भी मुक़र्रर की गईं। उन की एक ज़िम्मादारी रब्ब की हम्द-ओ-सना करने में परस्तारों की राहनुमाई करनी थी। नीज़, उन्हें रोज़ाना की ज़रूरियात के मुताबिक़ इमामों की मदद करनी थी। रब्ब के घर के दरवाज़ों की पहरादारी भी लावियों की एक ख़िदमत थी। हर दरवाज़े पर एक अलग गुरोह की ड्यूटी लगाई गई। यह भी मर्द-ए-ख़ुदा दाऊद की हिदायात के मुताबिक़ हुआ।
15. जो भी हुक्म दाऊद ने इमामों, लावियों और ख़ज़ानों के मुताल्लिक़ दिया था वह उन्हों ने पूरा किया।
16. यूँ सुलेमान के तमाम मन्सूबे रब्ब के घर की बुन्याद रखने से ले कर उस की तक्मील तक पूरे हुए।
17. बाद में सुलेमान अस्यून-जाबर और ऐलात गया। यह शहर अदोम के साहिल पर वाक़े थे।
18. वहाँ हीराम बादशाह ने अपने जहाज़ और तजरिबाकार मल्लाह भेजे ताकि वह सुलेमान के आदमियों के साथ मिल कर जहाज़ों को चलाएँ। उन्हों ने ओफ़ीर तक सफ़र किया और वहाँ से सुलेमान के लिए तक़्रीबन 15,000 किलोग्राम सोना ले कर आए।

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