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1. | सुलेमान ने पीतल की एक क़ुर्बानगाह भी बनवाई जिस की लम्बाई 30 फ़ुट, चौड़ाई 30 फ़ुट और ऊँचाई 15 फ़ुट थी। |
2. | इस के बाद उस ने पीतल का बड़ा गोल हौज़ ढलवाया जिस का नाम ‘समुन्दर’ रखा गया। उस की ऊँचाई साढे 7 फ़ुट, उस का मुँह 15 फ़ुट चौड़ा और उस का घेरा तक़्रीबन 45 फ़ुट था। |
3. | हौज़ के किनारे के नीचे बैलों की दो क़तारें थीं। फ़ी फ़ुट तक़्रीबन 6 बैल थे। बैल और हौज़ मिल कर ढाले गए थे। |
4. | हौज़ को बैलों के 12 मुजस्समों पर रखा गया। तीन बैलों का रुख़ शिमाल की तरफ़, तीन का रुख़ मग़रिब की तरफ़, तीन का रुख़ जुनूब की तरफ़ और तीन का रुख़ मशरिक़ की तरफ़ था। उन के पिछले हिस्से हौज़ की तरफ़ थे, और हौज़ उन के कंधों पर पड़ा था। |
5. | हौज़ का किनारा पियाले बल्कि सोसन के फूल की तरह बाहर की तरफ़ मुड़ा हुआ था। उस की दीवार तक़्रीबन तीन इंच मोटी थी, और हौज़ में पानी के तक़्रीबन 66,000 लिटर समा जाते थे। |
6. | सुलेमान ने 10 बासन ढलवाए। पाँच को रब्ब के घर के दाएँ हाथ और पाँच को उस के बाएँ हाथ खड़ा किया गया। इन बासनों में गोश्त के वह टुकड़े धोए जाते जिन्हें भस्म होने वाली क़ुर्बानी के तौर पर जलाना था। लेकिन ‘समुन्दर’ नामी हौज़ इमामों के इस्तेमाल के लिए था। उस में वह नहाते थे। |
7. | सुलेमान ने सोने के 10 शमादान मुक़र्ररा तफ़्सीलात के मुताबिक़ बनवा कर रब्ब के घर में रख दिए, पाँच को दाईं तरफ़ और पाँच को बाईं तरफ़। |
8. | दस मेज़ें भी बना कर रब्ब के घर में रखी गईं, पाँच को दाईं तरफ़ और पाँच को बाईं तरफ़। इन चीज़ों के इलावा सुलेमान ने छिड़काओ के सोने के 100 कटोरे बनवाए। |
9. | फिर सुलेमान ने वह अन्दरूनी सहन बनवाया जिस में सिर्फ़ इमामों को दाख़िल होने की इजाज़त थी। उस ने बड़ा सहन भी उस के दरवाज़ों समेत बनवाया। दरवाज़ों के किवाड़ों पर पीतल चढ़ाया गया। |
10. | ‘समुन्दर’ नामी हौज़ को सहन के जुनूब-मशरिक़ में रखा गया। |
11. | हीराम ने बासन, बेलचे और छिड़काओ के कटोरे भी बनाए। यूँ उस ने अल्लाह के घर में वह सारा काम मुकम्मल किया जिस के लिए सुलेमान बादशाह ने उसे बुलाया था। उस ने ज़ैल की चीज़ें बनाईं : |
12. | दो सतून, सतूनों पर लगे पियालानुमा बालाई हिस्से, बालाई हिस्सों पर लगी ज़न्जीरों का डिज़ाइन, |
13. | ज़न्जीरों के ऊपर लगे अनार (फ़ी बालाई हिस्सा 200 अदद), |
14. | हथगाड़ियाँ, इन पर के पानी के बासन, |
15. | हौज़ बनाम समुन्दर, इसे उठाने वाले बैल के 12 मुजस्समे, |
16. | बालटियाँ, बेलचे, गोश्त के काँटे। तमाम सामान जो हीराम-अबी ने सुलेमान के हुक्म पर रब्ब के घर के लिए बनाया पीतल से ढाल कर पालिश किया गया था। |
17. | बादशाह ने उसे वादी-ए-यर्दन में सुक्कात और ज़र्तान के दर्मियान ढलवाया। वहाँ एक फ़ौंडरी थी जहाँ हीराम ने गारे से साँचे बना कर हर चीज़ ढाल दी। |
18. | इस सामान के लिए सुलेमान बादशाह ने इतना ज़ियादा पीतल इस्तेमाल किया कि उस का कुल वज़न मालूम न हो सका। |
19. | अल्लाह के घर के अन्दर के लिए सुलेमान ने दर्ज-ए-ज़ैल सामान बनवाया : सोने की क़ुर्बानगाह, सोने की वह मेज़ें जिन पर रब्ब के लिए मख़्सूस रोटियाँ पड़ी रहती थीं, |
20. | ख़ालिस सोने के वह शमादान और चराग़ जिन को क़वाइद के मुताबिक़ मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने जलना था, |
21. | ख़ालिस सोने के वह फूल जिन से शमादान आरास्ता थे, ख़ालिस सोने के चराग़ और बत्ती को बुझाने के औज़ार, |
22. | चराग़ को कतरने के ख़ालिस सोने के औज़ार, छिड़काओ के ख़ालिस सोने के कटोरे और पियाले, जलते हुए कोइले के लिए ख़ालिस सोने के बर्तन, मुक़द्दसतरीन कमरे और बड़े हाल के दरवाज़े। |
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