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1. | सुलेमान ने रब्ब के घर को यरूशलम की पहाड़ी मोरियाह पर तामीर किया। उस का बाप दाऊद यह मक़ाम मुक़र्रर कर चुका था। यहीं जहाँ पहले उर्नान यानी अरौनाह यबूसी अपना अनाज गाहता था रब्ब दाऊद पर ज़ाहिर हुआ था। |
2. | तामीर का यह काम सुलेमान की हुकूमत के चौथे साल के दूसरे माह और उस के दूसरे दिन शुरू हुआ। |
3. | मकान की लम्बाई 90 फ़ुट और चौड़ाई 30 फ़ुट थी। |
4. | सामने एक बराम्दा बनाया गया जो इमारत जितना चौड़ा यानी 30 फ़ुट और 30 फ़ुट ऊँचा था। उस की अन्दरूनी दीवारों पर उस ने ख़ालिस सोना चढ़ाया। |
5. | बड़े हाल की दीवारों पर उस ने ऊपर से ले कर नीचे तक जूनीपर की लकड़ी के तख़्ते लगाए, फिर तख़्तों पर ख़ालिस सोना मंढवा कर उन्हें खजूर के दरख़्तों और ज़न्जीरों की तस्वीरों से आरास्ता किया। |
6. | सुलेमान ने रब्ब के घर को जवाहिर से भी सजाया। जो सोना इस्तेमाल हुआ वह पर्वाइम से मंगवाया गया था। |
7. | सोना मकान, तमाम शहतीरों, दहलीज़ों, दीवारों और दरवाज़ों पर मंढा गया। दीवारों पर करूबी फ़रिश्तों की तस्वीरें भी कन्दा की गईं। |
8. | इमारत का सब से अन्दरूनी कमरा बनाम मुक़द्दसतरीन कमरा इमारत जैसा चौड़ा यानी 30 फ़ुट था। उस की लम्बाई भी 30 फ़ुट थी। इस कमरे की तमाम दीवारों पर 20,000 किलोग्राम से ज़ाइद सोना मंढा गया। |
9. | सोने की कीलों का वज़न तक़्रीबन 600 ग्राम था। बालाख़ानों की दीवारों पर भी सोना मंढा गया। |
10. | फिर सुलेमान ने करूबी फ़रिश्तों के दो मुजस्समे बनवाए जिन्हें मुक़द्दसतरीन कमरे में रखा गया। उन पर भी सोना चढ़ाया गया। |
11. | जब दोनों फ़रिश्तों को एक दूसरे के साथ मुक़द्दसतरीन कमरे में खड़ा किया गया तो उन के चार परों की मिल कर लम्बाई 30 फ़ुट थी। हर एक के दो पर थे, और हर पर की लम्बाई साढे सात सात फ़ुट थी। उन्हें मुक़द्दसतरीन कमरे में यूँ एक दूसरे के साथ खड़ा किया गया कि हर फ़रिश्ते का एक पर दूसरे के पर से लगता जबकि दाईं और बाईं तरफ़ हर एक का दूसरा पर दीवार के साथ लगता था। वह अपने पाँओ पर खड़े बड़े हाल की तरफ़ देखते थे। |
12. | जब दोनों फ़रिश्तों को एक दूसरे के साथ मुक़द्दसतरीन कमरे में खड़ा किया गया तो उन के चार परों की मिल कर लम्बाई 30 फ़ुट थी। हर एक के दो पर थे, और हर पर की लम्बाई साढे सात सात फ़ुट थी। उन्हें मुक़द्दसतरीन कमरे में यूँ एक दूसरे के साथ खड़ा किया गया कि हर फ़रिश्ते का एक पर दूसरे के पर से लगता जबकि दाईं और बाईं तरफ़ हर एक का दूसरा पर दीवार के साथ लगता था। वह अपने पाँओ पर खड़े बड़े हाल की तरफ़ देखते थे। |
13. | जब दोनों फ़रिश्तों को एक दूसरे के साथ मुक़द्दसतरीन कमरे में खड़ा किया गया तो उन के चार परों की मिल कर लम्बाई 30 फ़ुट थी। हर एक के दो पर थे, और हर पर की लम्बाई साढे सात सात फ़ुट थी। उन्हें मुक़द्दसतरीन कमरे में यूँ एक दूसरे के साथ खड़ा किया गया कि हर फ़रिश्ते का एक पर दूसरे के पर से लगता जबकि दाईं और बाईं तरफ़ हर एक का दूसरा पर दीवार के साथ लगता था। वह अपने पाँओ पर खड़े बड़े हाल की तरफ़ देखते थे। |
14. | मुक़द्दसतरीन कमरे के दरवाज़े पर सुलेमान ने बारीक कतान से बुना हुआ पर्दा लगवाया। वह नीले, अर्ग़वानी और क़िर्मिज़ी रंग के धागे से सजा हुआ था, और उस पर करूबी फ़रिश्तों की तस्वीरें थीं। |
15. | सुलेमान ने दो सतून ढलवा कर रब्ब के घर के दरवाज़े के सामने खड़े किए। हर एक 27 फ़ुट लम्बा था, और हर एक पर एक बालाई हिस्सा रखा गया जिस की ऊँचाई साढे 7 फ़ुट थी। |
16. | इन बालाई हिस्सों को ज़न्जीरों से सजाया गया जिन से सौ अनार लटके हुए थे। |
17. | दोनों सतूनों को सुलेमान ने रब्ब के घर के दरवाज़े के दाईं और बाईं तरफ़ खड़ा किया। दहने हाथ के सतून का नाम उस ने ‘यकीन’ और बाएँ हाथ के सतून का नाम ‘बोअज़’ रखा। |
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