2Chronicles (24/36)  

1. यूआस 7 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 40 साल था। उस की माँ ज़िबियाह बैर-सबा की रहने वाली थी।
2. यहोयदा के जीते जी यूआस वह कुछ करता रहा जो रब्ब को पसन्द था।
3. यहोयदा ने उस की शादी दो ख़वातीन से कराई जिन के बेटे-बेटियाँ पैदा हुए।
4. कुछ देर के बाद यूआस ने रब्ब के घर की मरम्मत कराने का फ़ैसला किया।
5. इमामों और लावियों को अपने पास बुला कर उस ने उन्हें हुक्म दिया, “यहूदाह के शहरों में से गुज़र कर तमाम लोगों से पैसे जमा करें ताकि आप साल-ब-साल अपने ख़ुदा के घर की मरम्मत करवाएँ। अब जा कर जल्दी करें।” लेकिन लावियों ने बड़ी देर लगाई।
6. तब बादशाह ने इमाम-ए-आज़म यहोयदा को बुला कर पूछा, “आप ने लावियों से क्यूँ नहीं मुतालबा किया कि वह यहूदाह के शहरों और यरूशलम से रब्ब के घर की मरम्मत के पैसे जमा करें? यह तो कोई नई बात नहीं है, क्यूँकि रब्ब का ख़ादिम मूसा भी मुलाक़ात का ख़ैमा ठीक रखने के लिए इस्राईली जमाअत से टैक्स लेता रहा।
7. आप को ख़ुद मालूम है कि उस बेदीन औरत अतलियाह ने अपने पैरोकारों के साथ रब्ब के घर में नक़ब लगा कर रब्ब के लिए मख़्सूस हदिए छीन लिए और बाल के अपने बुतों की ख़िदमत के लिए इस्तेमाल किए थे।”
8. बादशाह के हुक्म पर एक सन्दूक़ बनवाया गया जो बाहर, रब्ब के घर के सहन के दरवाज़े पर रखा गया।
9. पूरे यहूदाह और यरूशलम में एलान किया गया कि रब्ब के लिए वह टैक्स अदा किया जाए जिस का ख़ुदा के ख़ादिम मूसा ने रेगिस्तान में इस्राईलियों से मुतालबा किया था।
10. यह सुन कर तमाम राहनुमा बल्कि पूरी क़ौम ख़ुश हुई। अपने हदिए रब्ब के घर के पास ला कर वह उन्हें सन्दूक़ में डालते रहे। जब कभी वह भर जाता
11. तो लावी उसे उठा कर बादशाह के अफ़्सरों के पास ले जाते। अगर उस में वाक़ई बहुत पैसे होते तो बादशाह का मीरमुन्शी और इमाम-ए-आज़म का एक अफ़्सर आ कर उसे ख़ाली कर देते। फिर लावी उसे उस की जगह वापस रख देते थे। यह सिलसिला रोज़ाना जारी रहा, और आख़िरकार बहुत बड़ी रक़म इकट्ठी हो गई।
12. बादशाह और यहोयदा यह पैसे उन ठेकेदारों को दिया करते थे जो रब्ब के घर की मरम्मत करवाते थे। यह पैसे पत्थर तराशने वालों, बढ़इयों और उन कारीगरों की उजरत के लिए सर्फ़ हुए जो लोहे और पीतल का काम करते थे।
13. रब्ब के घर की मरम्मत के निगरानों ने मेहनत से काम किया, और उन के ज़ेर-ए-निगरानी तरक़्क़ी होती गई। आख़िर में रब्ब के घर की हालत पहले की सी हो गई थी बल्कि उन्हों ने उसे मज़ीद मज़्बूत बना दिया।
14. काम के इख़तिताम पर ठेकेदार बाक़ी पैसे यूआस बादशाह और यहोयदा के पास लाए। इन से उन्हों ने रब्ब के घर की ख़िदमत के लिए दरकार पियाले, सोने और चाँदी के बर्तन और दीगर कई चीज़ें जो क़ुर्बानियाँ चढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती थीं बनवाईं। यहोयदा के जीते जी रब्ब के घर में बाक़ाइदगी से भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ पेश की जाती रहीं।
15. यहोयदा निहायत बूढ़ा हो गया। 130 साल की उम्र में वह फ़ौत हुआ।
16. उसे यरूशलम के उस हिस्से में शाही क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है, क्यूँकि उस ने इस्राईल में अल्लाह और उस के घर की अच्छी ख़िदमत की थी।
17. यहोयदा की मौत के बाद यहूदाह के बुज़ुर्ग यूआस के पास आ कर मुँह के बल झुक गए। उस वक़्त से वह उन के मश्वरों पर अमल करने लगा।
18. इस का एक नतीजा यह निकला कि वह उन के साथ मिल कर रब्ब अपने बाप के ख़ुदा के घर को छोड़ कर यसीरत देवी के खम्बों और बुतों की पूजा करने लगा। इस गुनाह की वजह से अल्लाह का ग़ज़ब यहूदाह और यरूशलम पर नाज़िल हुआ।
19. उस ने अपने नबियों को लोगों के पास भेजा ताकि वह उन्हें समझा कर रब्ब के पास वापस लाएँ। लेकिन कोई भी उन की बात सुनने के लिए तय्यार न हुआ।
20. फिर अल्लाह का रूह यहोयदा इमाम के बेटे ज़करियाह पर नाज़िल हुआ, और उस ने क़ौम के सामने खड़े हो कर कहा, “अल्लाह फ़रमाता है, ‘तुम रब्ब के अह्काम की ख़िलाफ़वरज़ी क्यूँ करते हो? तुम्हें काम्याबी हासिल नहीं होगी। चूँकि तुम ने रब्ब को तर्क कर दिया है इस लिए उस ने तुम्हें तर्क कर दिया है’!”
21. जवाब में लोगों ने ज़करियाह के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे बादशाह के हुक्म पर रब्ब के घर के सहन में संगसार कर दिया।
22. यूँ यूआस बादशाह ने उस मेहरबानी का ख़याल न किया जो यहोयदा ने उस पर की थी बल्कि उसे नज़रअन्दाज़ करके उस के बेटे को क़त्ल किया। मरते वक़्त ज़करियाह बोला, “रब्ब ध्यान दे कर मेरा बदला ले!”
23. अगले साल के आग़ाज़ में शाम की फ़ौज यूआस से लड़ने आई। यहूदाह में घुस कर उन्हों ने यरूशलम पर फ़त्ह पाई और क़ौम के तमाम बुज़ुर्गों को मार डाला। सारा लूटा हुआ माल दमिश्क़ को भेजा गया जहाँ बादशाह था।
24. अगरचि शाम की फ़ौज यहूदाह की फ़ौज की निस्बत बहुत छोटी थी तो भी रब्ब ने उसे फ़त्ह बख़्शी। चूँकि यहूदाह ने रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा को तर्क कर दिया था इस लिए यूआस को शाम के हाथों सज़ा मिली।
25. जंग के दौरान यहूदाह का बादशाह शदीद ज़ख़्मी हुआ। जब दुश्मन ने मुल्क को छोड़ दिया तो यूआस के अफ़्सरों ने उस के ख़िलाफ़ साज़िश की। यहोयदा इमाम के बेटे के क़त्ल का इन्तिक़ाम ले कर उन्हों ने उसे मार डाला जब वह बीमार हालत में बिस्तर पर पड़ा था। बादशाह को यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। लेकिन शाही क़ब्रिस्तान में नहीं दफ़नाया गया।
26. साज़िश करने वालों के नाम ज़बद और यहूज़बद थे। पहले की माँ सिमआत अम्मोनी थी जबकि दूसरे की माँ सिमरीत मोआबी थी।
27. यूआस के बेटों, उस के ख़िलाफ़ नबियों के फ़रमानों और अल्लाह के घर की मरम्मत के बारे में मज़ीद मालूमात ‘शाहान की किताब’ में दर्ज हैं। यूआस के बाद उस का बेटा अमसियाह तख़्तनशीन हुआ।

  2Chronicles (24/36)