2Chronicles (21/36)  

1. जब यहूसफ़त मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ान्दानी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उस का बेटा यहूराम तख़्तनशीन हुआ।
2. यहूसफ़त के बाक़ी बेटे अज़रियाह, यहीएल, ज़करियाह, अज़रियाहू, मीकाएल और सफ़तियाह थे।
3. यहूसफ़त ने उन्हें बहुत सोना-चाँदी और दीगर क़ीमती चीज़ें दे कर यहूदाह के क़िलआबन्द शहरों पर मुक़र्रर किया था। लेकिन यहूराम को उस ने पहलौठा होने के बाइस अपना जानशीन बनाया था।
4. बादशाह बनने के बाद जब यहूदाह की हुकूमत मज़्बूती से उस के हाथ में थी तो यहूराम ने अपने तमाम भाइयों को यहूदाह के कुछ राहनुमाओं समेत क़त्ल कर दिया।
5. यहूराम 32 साल की उम्र में बादशाह बना, और वह यरूशलम में रह कर 8 साल तक हुकूमत करता रहा।
6. उस की शादी इस्राईल के बादशाह अख़ियब की बेटी से हुई थी, और वह इस्राईल के बादशाहों और ख़ासकर अख़ियब के ख़ान्दान के बुरे नमूने पर चलता रहा। उस का चाल-चलन रब्ब को नापसन्द था।
7. तो भी वह दाऊद के घराने को तबाह नहीं करना चाहता था, क्यूँकि उस ने दाऊद से अह्द बाँध कर वादा किया था कि तेरा और तेरी औलाद का चराग़ हमेशा तक जलता रहेगा।
8. यहूराम की हुकूमत के दौरान अदोमियों ने बग़ावत की और यहूदाह की हुकूमत को रद्द करके अपना बादशाह मुक़र्रर किया।
9. तब यहूराम अपने अफ़्सरों और तमाम रथों को ले कर उन के पास पहुँचा। जब जंग छिड़ गई तो अदोमियों ने उसे और उस के रथों पर मुक़र्रर अफ़्सरों को घेर लिया, लेकिन रात को बादशाह घेरने वालों की सफ़ों को तोड़ने में काम्याब हो गया।
10. तो भी मुल्क-ए-अदोम आज तक दुबारा यहूदाह की हुकूमत के तहत नहीं आया। उसी वक़्त लिब्ना शहर भी सरकश हो कर ख़ुदमुख़्तार हो गया। यह सब कुछ इस लिए हुआ कि यहूराम ने रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा को तर्क कर दिया था,
11. यहाँ तक कि उस ने यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में कई ऊँची जगहों पर मन्दिर बनवाए और यरूशलम के बाशिन्दों को रब्ब से बेवफ़ा हो जाने पर उकसाया। पूरे यहूदाह को वह बुतपरस्ती की ग़लत राह पर ले आया।
12. तब यहूराम को इल्यास नबी से ख़त मिला जिस में लिखा था, “रब्ब आप के बाप दाऊद का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘तू अपने बाप यहूसफ़त और अपने दादा आसा बादशाह के अच्छे नमूने पर नहीं चला
13. बल्कि इस्राईल के बादशाहों की ग़लत राहों पर। बिलकुल अख़ियब के ख़ान्दान की तरह तू यरूशलम और पूरे यहूदाह के बाशिन्दों को बुतपरस्ती की राह पर लाया है। और यह तेरे लिए काफ़ी नहीं था, बल्कि तू ने अपने सगे भाइयों को भी जो तुझ से बेहतर थे क़त्ल कर दिया।
14. इस लिए रब्ब तेरी क़ौम, तेरे बेटों और तेरी बीवियों को तेरी पूरी मिल्कियत समेत बड़ी मुसीबत में डालने को है।
15. तू ख़ुद बीमार हो जाएगा। लाइलाज मर्ज़ की ज़द में आ कर तुझे बड़ी देर तक तक्लीफ़ होगी। आख़िरकार तेरी अंतड़ियाँ जिस्म से निकलेंगी’।”
16. उन दिनों में रब्ब ने फ़िलिस्तियों और एथोपिया के पड़ोस में रहने वाले अरब क़बीलों को यहूराम पर हम्ला करने की तहरीक दी।
17. यहूदाह में घुस कर वह यरूशलम तक पहुँच गए और बादशाह के महल को लूटने में काम्याब हुए। तमाम माल-ओ-अस्बाब के इलावा उन्हों ने बादशाह के बेटों और बीवियों को भी छीन लिया। सिर्फ़ सब से छोटा बेटा यहूआख़ज़ यानी अख़ज़ियाह बच निकला।
18. इस के बाद रब्ब का ग़ज़ब बादशाह पर नाज़िल हुआ। उसे लाइलाज बीमारी लग गई जिस से उस की अंतड़ियाँ मुतअस्सिर हुईं।
19. बादशाह की हालत बहुत ख़राब होती गई। दो साल के बाद अंतड़ियाँ जिस्म से निकल गईं। यहूराम शदीद दर्द की हालत में कूच कर गया। जनाज़े पर उस की क़ौम ने उस के एहतिराम में लकड़ी का बड़ा ढेर न जलाया, गो उन्हों ने यह उस के बापदादा के लिए किया था।
20. यहूराम 32 साल की उम्र में बादशाह बना और यरूशलम में रह कर 8 साल तक हुकूमत करता रहा था। जब फ़ौत हुआ तो किसी को भी अफ़्सोस न हुआ। उसे यरूशलम शहर के उस हिस्से में दफ़न तो किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है, लेकिन शाही क़ब्रों में नहीं।

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