← 2Chronicles (19/36) → |
1. | लेकिन यहूदाह का बादशाह यहूसफ़त सहीह-सलामत यरूशलम और अपने महल में पहुँचा। |
2. | उस वक़्त याहू बिन हनानी जो ग़ैबबीन था उसे मिलने के लिए निकला और बादशाह से कहा, “क्या यह ठीक है कि आप शरीर की मदद करें? आप क्यूँ उन को पियार करते हैं जो रब्ब से नफ़रत करते हैं? यह देख कर रब्ब का ग़ज़ब आप पर नाज़िल हुआ है। |
3. | तो भी आप में अच्छी बातें भी पाई जाती हैं। आप ने यसीरत देवी के खम्बों को मुल्क से दूर करके अल्लाह के तालिब होने का पक्का इरादा कर रखा है।” |
4. | इस के बाद यहूसफ़त यरूशलम में रहा। लेकिन एक दिन वह दुबारा निकला। इस बार उस ने जुनूब में बैर-सबा से ले कर शिमाल में इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े तक पूरे यहूदाह का दौरा किया। हर जगह वह लोगों को रब्ब उन के बापदादा के ख़ुदा के पास वापस लाया। |
5. | उस ने यहूदाह के तमाम क़िलआबन्द शहरों में क़ाज़ी भी मुक़र्रर किए। |
6. | उन्हें समझाते हुए उस ने कहा, “अपनी रविश पर ध्यान दें! याद रहे कि आप इन्सान के जवाबदिह नहीं हैं बल्कि रब्ब के। वही आप के साथ होगा जब आप फ़ैसले करेंगे। |
7. | चुनाँचे अल्लाह का ख़ौफ़ मान कर एहतियात से लोगों का इन्साफ़ करें। क्यूँकि जहाँ रब्ब हमारा ख़ुदा है वहाँ बेइन्साफ़ी, जानिबदारी और रिश्वतखोरी हो ही नहीं सकती।” |
8. | यरूशलम में यहूसफ़त ने कुछ लावियों, इमामों और ख़ान्दानी सरपरस्तों को इन्साफ़ करने की ज़िम्मादारी दी। रब्ब की शरीअत से मुताल्लिक़ किसी मुआमले या यरूशलम के बाशिन्दों के दर्मियान झगड़े की सूरत में उन्हें फ़ैसला करना था। |
9. | यहूसफ़त ने उन्हें समझाते हुए कहा, “रब्ब का ख़ौफ़ मान कर अपनी ख़िदमत को वफ़ादारी और पूरे दिल से सरअन्जाम दें। |
10. | आप के भाई शहरों से आ कर आप के सामने अपने झगड़े पेश करेंगे ताकि आप उन का फ़ैसला करें। आप को क़त्ल के मुक़द्दमों का फ़ैसला करना पड़ेगा। ऐसे मुआमलात भी होंगे जो रब्ब की शरीअत, किसी हुक्म, हिदायत या उसूल से ताल्लुक़ रखेंगे। जो भी हो, लाज़िम है कि आप उन्हें समझाएँ ताकि वह रब्ब का गुनाह न करें। वर्ना उस का ग़ज़ब आप और आप के भाइयों पर नाज़िल होगा। अगर आप यह करें तो आप बेक़ुसूर रहेंगे। |
11. | इमाम-ए-आज़म अमरियाह रब्ब की शरीअत से ताल्लुक़ रखने वाले मुआमलात का हत्मी फ़ैसला करेगा। जो मुक़द्दमे बादशाह से ताल्लुक़ रखते हैं उन का हत्मी फ़ैसला यहूदाह के क़बीले का सरबराह ज़बदियाह बिन इस्माईल करेगा। अदालत का इन्तिज़ाम चलाने में लावी आप की मदद करेंगे। अब हौसला रख कर अपनी ख़िदमत सरअन्जाम दें। जो भी सहीह काम करेगा उस के साथ रब्ब होगा।” |
← 2Chronicles (19/36) → |