2Chronicles (13/36)  

1. अबियाह इस्राईल के बादशाह यरुबिआम अव्वल की हुकूमत के 18वें साल में यहूदाह का बादशाह बना।
2. वह तीन साल बादशाह रहा, और उस का दार-उल-हकूमत यरूशलम था। उस की माँ माका बिन्त ऊरीएल जिबिआ की रहने वाली थी। एक दिन अबियाह और यरुबिआम के दर्मियान जंग छिड़ गई।
3. 4,00,000 तजरिबाकार फ़ौजियों को जमा करके अबियाह यरुबिआम से लड़ने के लिए निकला। यरुबिआम 8,00,000 तजरिबाकार फ़ौजियों के साथ उस के मुक़ाबिल सफ़आरा हुआ।
4. फिर अबियाह ने इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े के पहाड़ समरैम पर चढ़ कर बुलन्द आवाज़ से पुकारा, “यरुबिआम और तमाम इस्राईलियो, मेरी बात सुनें!
5. क्या आप को नहीं मालूम कि रब्ब इस्राईल के ख़ुदा ने दाऊद से नमक का अबदी अह्द बाँध कर उसे और उस की औलाद को हमेशा के लिए इस्राईल की सल्तनत अता की है?
6. तो भी सुलेमान बिन दाऊद का मुलाज़िम यरुबिआम बिन नबात अपने मालिक के ख़िलाफ़ उठ कर बाग़ी हो गया।
7. उस के इर्दगिर्द कुछ बदमआश जमा हुए और रहुबिआम बिन सुलेमान की मुख़ालफ़त करने लगे। उस वक़्त वह जवान और नातजरिबाकार था, इस लिए उन का सहीह मुक़ाबला न कर सका।
8. और अब आप वाक़ई समझते हैं कि हम रब्ब की बादशाही पर फ़त्ह पा सकते हैं, उसी बादशाही पर जो दाऊद की औलाद के हाथ में है। आप समझते हैं कि आप की फ़ौज बहुत ही बड़ी है, और कि सोने के बछड़े आप के साथ हैं, वही बुत जो यरुबिआम ने आप की पूजा के लिए तय्यार कर रखे हैं।
9. लेकिन आप ने रब्ब के इमामों यानी हारून की औलाद को लावियों समेत मुल्क से निकाल कर उन की जगह ऐसे पुजारी ख़िदमत के लिए मुक़र्रर किए जैसे बुतपरस्त क़ौमों में पाए जाते हैं। जो भी चाहता है कि उसे मख़्सूस करके इमाम बनाया जाए उसे सिर्फ़ एक जवान बैल और सात मेंढे पेश करने की ज़रूरत है। यह इन नाम-निहाद ख़ुदाओं का पुजारी बनने के लिए काफ़ी है।
10. लेकिन जहाँ तक हमारा ताल्लुक़ है रब्ब ही हमारा ख़ुदा है। हम ने उसे तर्क नहीं किया। सिर्फ़ हारून की औलाद ही हमारे इमाम हैं। सिर्फ़ यह और लावी रब्ब की ख़िदमत करते हैं।
11. यही सुब्ह-शाम उसे भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ और ख़ुश्बूदार बख़ूर पेश करते हैं। पाक मेज़ पर रब्ब के लिए मख़्सूस रोटियाँ रखना और सोने के शमादान के चराग़ जलाना इन ही की ज़िम्मादारी रही है। ग़रज़, हम रब्ब अपने ख़ुदा की हिदायात पर अमल करते हैं जबकि आप ने उसे तर्क कर दिया है।
12. चुनाँचे अल्लाह हमारे साथ है। वही हमारा राहनुमा है, और उस के इमाम तुरम बजा कर आप से लड़ने का एलान करेंगे। इस्राईल के मर्दो, ख़बरदार! रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा से मत लड़ना। यह जंग आप जीत ही नहीं सकते!”
13. इतने में यरुबिआम ने चुपके से कुछ दस्तों को यहूदाह की फ़ौज के पीछे भेज दिया ताकि वहाँ ताक में बैठ जाएँ। यूँ उस की फ़ौज का एक हिस्सा यहूदाह की फ़ौज के सामने और दूसरा हिस्सा उस के पीछे था।
14. अचानक यहूदाह के फ़ौजियों को पता चला कि दुश्मन सामने और पीछे से हम पर हम्ला कर रहा है। चीख़ते चिल्लाते हुए उन्हों ने रब्ब से मदद माँगी। इमामों ने अपने तुरम बजाय
15. और यहूदाह के मर्दों ने जंग का नारा लगाया। जब उन की आवाज़ें बुलन्द हुईं तो अल्लाह ने यरुबिआम और तमाम इस्राईलियों को शिकस्त दे कर अबियाह और यहूदाह की फ़ौज के सामने से भगा दिया।
16. इस्राईली फ़रार हुए, लेकिन अल्लाह ने उन्हें यहूदाह के हवाले कर दिया।
17. अबियाह और उस के लोग उन्हें बड़ा नुक़्सान पहुँचा सके। इस्राईल के 5,00,000 तजरिबाकार फ़ौजी मैदान-ए-जंग में मारे गए।
18. उस वक़्त इस्राईल की बड़ी बेइज़्ज़ती हुई जबकि यहूदाह को तक़वियत मिली। क्यूँकि वह रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा पर भरोसा रखते थे।
19. अबियाह ने यरुबिआम का ताक़्क़ुब करते करते उस से तीन शहर गिर्द-ओ-नवाह की आबादियों समेत छीन लिए, बैत-एल, यसाना और इफ़्रोन।
20. अबियाह के जीते जी यरुबिआम दुबारा तक़वियत न पा सका, और थोड़ी देर के बाद रब्ब ने उसे मार दिया।
21. उस के मुक़ाबले में अबियाह की ताक़त बढ़ती गई। उस की 14 बीवियों के 22 बेटे और 16 बेटियाँ पैदा हुईं।
22. बाक़ी जो कुछ अबियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया और कहा, वह इद्दू नबी की किताब में बयान किया गया है।

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