2Chronicles (10/36)  

1. रहुबिआम सिकम गया, क्यूँकि वहाँ तमाम इस्राईली उसे बादशाह मुक़र्रर करने के लिए जमा हो गए थे।
2. यरुबिआम बिन नबात यह ख़बर सुनते ही मिस्र से जहाँ उस ने सुलेमान बादशाह से भाग कर पनाह ली थी इस्राईल वापस आया।
3. इस्राईलियों ने उसे बुलाया ताकि उस के साथ सिकम जाएँ। जब पहुँचा तो इस्राईल की पूरी जमाअत यरुबिआम के साथ मिल कर रहुबिआम से मिलने गई। उन्हों ने बादशाह से कहा,
4. “जो जूआ आप के बाप ने हम पर डाल दिया था उसे उठाना मुश्किल था, और जो वक़्त और पैसे हमें बादशाह की ख़िदमत में सर्फ़ करने थे वह नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त थे। अब दोनों को कम कर दें। फिर हम ख़ुशी से आप की ख़िदमत करेंगे।”
5. रहुबिआम ने जवाब दिया, “मुझे तीन दिन की मुहलत दें, फिर दुबारा मेरे पास आएँ।” चुनाँचे लोग चले गए।
6. फिर रहुबिआम बादशाह ने उन बुज़ुर्गों से मश्वरा किया जो सुलेमान के जीते जी बादशाह की ख़िदमत करते रहे थे। उस ने पूछा, “आप का क्या ख़याल है? मैं इन लोगों को क्या जवाब दूँ?”
7. बुज़ुर्गों ने जवाब दिया, “हमारा मश्वरा है कि इस वक़्त उन से मेहरबानी से पेश आ कर उन से अच्छा सुलूक करें और नर्म जवाब दें। अगर आप ऐसा करें तो वह हमेशा आप के वफ़ादार ख़ादिम बने रहेंगे।”
8. लेकिन रहुबिआम ने बुज़ुर्गों का मश्वरा रद्द करके उस की ख़िदमत में हाज़िर उन जवानों से मश्वरा किया जो उस के साथ पर्वान चढ़े थे।
9. उस ने पूछा, “मैं इस क़ौम को क्या जवाब दूँ? यह तक़ाज़ा कर रहे हैं कि मैं वह जूआ हल्का कर दूँ जो मेरे बाप ने उन पर डाल दिया।”
10. जो जवान उस के साथ पर्वान चढ़े थे उन्हों ने कहा, “अच्छा, यह लोग तक़ाज़ा कर रहे हैं कि आप के बाप का जूआ हल्का किया जाए? उन्हें बता देना, ‘मेरी छोटी उंगली मेरे बाप की कमर से ज़ियादा मोटी है!
11. बेशक जो जूआ उस ने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जूआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आप को कोड़े लगाए वहाँ मैं आप की बिच्छूओं से तादीब करूँगा’!”
12. तीन दिन के बाद जब यरुबिआम तमाम इस्राईलियों के साथ रहुबिआम का फ़ैसला सुनने के लिए वापस आया
13. तो बादशाह ने उन्हें सख़्त जवाब दिया। बुज़ुर्गों का मश्वरा रद्द करके
14. उस ने उन्हें जवानों का जवाब दिया, “बेशक जो जूआ मेरे बाप ने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जूआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आप को कोड़े लगाए वहाँ मैं आप की बिच्छूओं से तादीब करूँगा!”
15. यूँ रब्ब की मर्ज़ी पूरी हुई कि रहुबिआम लोगों की बात नहीं मानेगा। क्यूँकि अब रब्ब की वह पेशगोई पूरी हुई जो सैला के नबी अख़ियाह ने यरुबिआम बिन नबात को बताई थी।
16. जब इस्राईलियों ने देखा कि बादशाह हमारी बात सुनने के लिए तय्यार नहीं है तो उन्हों ने उस से कहा, “न हमें दाऊद से मीरास में कुछ मिलेगा, न यस्सी के बेटे से कुछ मिलने की उम्मीद है। ऐ इस्राईल, सब अपने अपने घर वापस चलें! ऐ दाऊद, अब अपना घर ख़ुद सँभाल लो!” यह कह कर वह सब चले गए।
17. सिर्फ़ यहूदाह के क़बीले के शहरों में रहने वाले इस्राईली रहुबिआम के तहत रहे।
18. फिर रहुबिआम बादशाह ने बेगारियों पर मुक़र्रर अफ़्सर अदूनीराम को शिमाली क़बीलों के पास भेज दिया, लेकिन उसे देख कर लोगों ने उसे संगसार किया। तब रहुबिआम जल्दी से अपने रथ पर सवार हुआ और भाग कर यरूशलम पहुँच गया।
19. यूँ इस्राईल के शिमाली क़बीले दाऊद के शाही घराने से अलग हो गए और आज तक उस की हुकूमत नहीं मानते।

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