1Timothy (4/6)  

1. रूह-उल-क़ुद्स साफ़ फ़रमाता है कि आख़िरी दिनों में कुछ ईमान से हट कर फ़रेबदिह रूहों और शैतानी तालीमात की पैरवी करेंगे।
2. ऐसी तालीमात झूट बोलने वालों की रियाकार बातों से आती हैं, जिन के ज़मीर पर इब्लीस ने अपना निशान लगा कर ज़ाहिर कर दिया है कि यह उस के अपने हैं।
3. यह शादी करने की इजाज़त नहीं देते और लोगों को कहते हैं कि वह मुख़्तलिफ़ खाने की चीज़ों से पर्हेज़ करें। लेकिन अल्लाह ने यह चीज़ें इस लिए बनाई हैं कि जो ईमान रखते हैं और सच्चाई से वाक़िफ़ हैं इन्हें शुक्रगुज़ारी के साथ खाएँ।
4. जो कुछ भी अल्लाह ने ख़लक़ किया है वह अच्छा है, और हमें उसे रद्द नहीं करना चाहिए बल्कि ख़ुदा का शुक्र करके उसे खा लेना चाहिए।
5. क्यूँकि उसे अल्लाह के कलाम और दुआ से मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस किया गया है।
6. अगर आप भाइयों को यह तालीम दें तो आप मसीह ईसा के अच्छे ख़ादिम होंगे। फिर यह साबित हो जाएगा कि आप को ईमान और उस अच्छी तालीम की सच्चाइयों में तर्बियत दी गई है जिस की पैरवी आप करते रहे हैं।
7. लेकिन दादी-अम्माँ की इन बेमानी फ़र्ज़ी कहानियों से बाज़ रहें। इन की बजाय ऐसी तर्बियत हासिल करें जिस से आप की रुहानी ज़िन्दगी मज़्बूत हो जाए।
8. क्यूँकि जिस्म की तर्बियत का थोड़ा ही फ़ाइदा है, लेकिन रुहानी तर्बियत हर लिहाज़ से मुफ़ीद है, इस लिए कि अगर हम इस क़िस्म की तर्बियत हासिल करें तो हम से हाल और मुस्तक़बिल में ज़िन्दगी पाने का वादा किया गया है।
9. यह बात क़ाबिल-ए-एतिमाद है और इसे पूरे तौर पर क़बूल करना चाहिए।
10. यही वजह है कि हम मेहनत-मशक़्क़त और जाँफ़िशानी करते रहते हैं, क्यूँकि हम ने अपनी उम्मीद ज़िन्दा ख़ुदा पर रखी है जो तमाम इन्सानों का नजातदिहन्दा है, ख़ासकर ईमान रखने वालों का।
11. लोगों को यह हिदायात दें और सिखाएँ।
12. कोई भी आप को इस लिए हक़ीर न जाने कि आप जवान हैं। लेकिन ज़रूरी है कि आप कलाम में, चाल-चलन में, मुहब्बत में, ईमान में और पाकीज़गी में ईमानदारों के लिए नमूना बन जाएँ।
13. जब तक मैं नहीं आता इस पर ख़ास ध्यान दें कि जमाअत में बाक़ाइदगी से कलाम की तिलावत की जाए, लोगों को नसीहत की जाए और उन्हें तालीम दी जाए।
14. अपनी उस नेमत को नज़रअन्दाज़ न करें जो आप को उस वक़्त पेशगोई के ज़रीए मिली जब बुज़ुर्गों ने आप पर अपने हाथ रखे।
15. इन बातों को फ़रोग़ दें और इन के पीछे लगे रहें ताकि आप की तरक़्क़ी सब को नज़र आए।
16. अपना और तालीम का ख़ास ख़याल रखें। इन में साबितक़दम रहें, क्यूँकि ऐसा करने से आप अपने आप को और अपने सुनने वालों को बचा लेंगे।

  1Timothy (4/6)